राजधानी दिल्ली में नगर निगम को लेकर तस्वीर साफ हो चुकी है कि एकीकरण होगा। आज दिल्ली में इस बात को लेकर तमाम लोग चर्चा करते रहते हैं कि आखिर तीनों निगमों (उत्तरी, दक्षिणी एवं पूर्वी दिल्ली नगर निगम) का एकीकरण क्यों जरूरी है? वर्ष 2011 में तत्कालीन केन्द्र सरकार एवं दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली नगर निगम का विभाजन जिस मकसद से किया था, क्या वह पूरा नहीं हो पाया? ग्यारह वर्ष बाद यदि आज तीनों निगमों को एक करने की आवश्यकता शिद्दत से महसूस हो रही है तो उसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार है।
आम आदमी पार्टी की सरकार जबसे दिल्ली में सत्ता में आई है तब से उसकी मंशा यही रही है कि ‘येन-केन प्रकारेण’ भाजपा शासित नगर निगम को बदनाम किया जाये। नगर निगम को बदनाम करने की मंशा से दिल्ली सरकार ने तीनों निगमों का तेरह हजार करोड़ रुपया दिया ही नहीं। आवश्यकता की दृष्टि से देखा जाये तो इस समय तीनों निगमों को 16 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। उत्तरी निगम को 10 हजार करोड़ रुपये, पूर्वी निगम को चार हजार करोड़ और दक्षिणी निगम को दो हजार करोड़ के अतिरिक्त फंड की जरूरत है। आंकड़ों को देखकर यह अंदाजा स्वतः लगाया जा सकता है कि निगम के प्रति दिल्ली सरकार का रवैया कैसा है? दिल्ली सरकार ने यदि तीनों निगमों को तेरह हजार करोड़ दे दिया होता तो अतिरिक्त फंड के रूप में मात्र 3 हजार करोड़ की जरूरत पड़ती और इस हद तक तीनों निगमों की स्थिति खराब नहीं होती।
दिल्ली सरकार के द्वेषपूर्ण रवैये के कारण नगर निगमों के कई प्रोजेक्ट पूरे नहीं किये जा सके हैं। तीनों निगम तीनों निगम स्थानीय राजनीतिक कारणों से आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इस संबंध में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की पूर्व सचिव संगीता बंसल का कहना है कि राजधानी में तीन निगम होने से आर्थिक बोझ इतना बढ़ गया है कि वे अपने कर्मचारियों को समय से वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं। बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। जो अधिकारी एवं कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें पेंशन भी समय से नहीं मिल पा रही है।
किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी को यदि तीन-चार माह तक पेंशन न मिल पाये तो स्थिति बहुत दुखदायी हो जाती है। वैसे भी देखा जाये तो राजधानी का प्रदूषण लोगों को परेशान कर रहा है, ऐसे में पैसे के अभाव में यदि नालियों की सफाई न हो पाये, टूटी हुई गलियां बन न पायें, पार्कों की हरियाली को बढ़ाया न जा सके तो प्रदूषण का स्तर और अधिक बढ़ता ही जायेगा। इसके अतिरक्ति फंड की कमी से यदि निगम कर्मचारियों को वेतन न मिल सके और वे वेतन के लिए हड़ताल पर चले जायें तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है।
इस संदर्भ में दिल्ली नगर निगम के पूर्व आयुक्त के.एस. मेहरा का कहना है कि दिल्ली एक केन्द्र शासित राज्य है। यहां पर बहु निकाय व्यवस्था के जाल से जनता को निकालने के लिए काफी प्रयास हुए हैं किन्तु उसमें काफी सफलता नहीं मिल पायी है परंतु एक निगम दिल्ली को बहु निकाय जाल से मुक्ति देने में कुछ तो कारगर साबित होगा। तीनों निगमों के एकीकरण से एक बड़ा लाभ यह होगा कि अभी निगम की व्यवस्था को चलाने के लिए तीन गुणा खर्च होता है, वह दो गुणा कम हो जायेगा। अभी तीन महापौर हैं, तीन आयुक्त हैं और तीन सदन चलते हैं। निगम जब एक होगा तो कर्मचारी दूसरे कार्यों में लग जायेंगे। इससे कर्मचारियों की कमी भी काफी हद तक पूरी हो जायेगी। कर्मचारियों की संख्या व्यवस्थित होने से जो राशि बचेगी वह विकास में लग जायेगी।
किसी भी राज्य को देखा जाये तो कुछ क्षेत्र आर्थिक रूप से विकसित होते हैं तो कुछ कमजोर होते हैं किन्तु जब व्यवस्था एकीकृत होती है तो आर्थिक समस्या का समाधान हो जाता है। उदाहरण के तौर पर देखा जाये तो दक्षिणी नगर निगम पूर्वी निगम की अपेक्षा आर्थिक रूप से अधिक सक्षम है। ऐसे में जब तीनों निगम एक होंगे तो पूर्वी दिल्ली को भी आर्थिक समस्याओं से बहुत अधिक जूझना नहीं पड़ेगा। इस दृष्टि से भी देखा जाये तो निगम का एकीकरण अति आवश्यक है।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की बात की जाये तो वहां के निगम की तारीफ देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में होती है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बी.एम.सी.) जितने बड़े क्षेत्र के लिए कार्य करता है, यदि उसके भी तीन-चार हिस्से कर दिये जायें तो वहां भी वही समस्या पैदा होगी, जो आज दिल्ली में है। हर राज्य में कुछ क्षेत्र ऐसे होते हैं जो विकसित होते हैं और कुछ का विकास हो रहा होता है। जिस निगम के हिस्से में विकसित क्षेत्र आयेगा, स्वाभाविक रूप से उसका राजस्व दूसरे की तुलना में अधिक होगा। बीएमसी का उदाहरण हम सभी के सामने है, इसलिए दिल्ली के तीनों निगमों का एकीकरण बेहद जरूरी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि भाजपा हार के भय से निगमों का एकीकरण करना चाहती है जिससे चुनाव को टाला जा सके। दिल्ली के मुख्यमंत्री का यह बयान एकदम गैर जिम्मेदाराना है। उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि भाजपा राष्ट्र एवं समाज के लिए पूर्ण रूप से समर्पित पार्टी है। भारतीय जनता पार्टी का अपने स्थापना काल से ही यह सिद्धांत रहा है कि वह सिर्फ सरकार बनाने के लिए राजनीति नहीं करती है बल्कि सरकार के माध्यम से राष्ट्र एवं समाज की बेहतरी के लिए कार्य करती है।
समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के विकास एवं कल्याण के लिए काम करती है। आम आदमी पार्टी तो सिर्फ सत्ता के आनंद के लिए राजनीति करती है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता का स्पष्ट रूप से मानना है कि तीनों निगमों के एक होने से दिल्ली की तमाम समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी एवं विकास की रफ्तार में राजधानी और आगे जायेगी।
– हिमानी जैन