अधिकतर भारतीयों का मानना है कि वर्तमान राजनीतिक स्थिति के अनुसार भारत जल्द ही हिन्दू राष्ट्र बनने वाला है। और यदि इस विषय पर उन लोगों से इसका कारण पूछा जाय तो अधिकतर मात्र इतना ही जवाब देते हैं कि मोदी, योगी और अमित शाह का यह एक मात्र एजेंडा है जिसके तहत वे इस विषय को आगे बढ़ा रहे हैं। चलो मान लिया कि अगर नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और अमित शाह का यह एक एजेंडा है जिस पर वे काम कर रहे हैं और हो सकता है कि जल्द ही वे इसके लिए घोषणा भी कर दें। लेनिक, अगर भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाता है तो इससे फायदा किसको है और नुकसान किसको है?
ऐसे में अधिकतर वे लोग जो खुद हिंदू समुदाय से आते हैं उनमें करीब-करीब 80 प्रतिशत तो इस बात से सहमत है कि हां भारत को अब हिन्दू राष्ट्र बन ही जाना चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों है कि बाकी बचे करीब 20 प्रतिशत हिंदू समुदाय के लोग हैं वे इस बहस में पड़ना ही नहीं चाहते।
कारण पूछने पर वे 20 प्रतिशत यही बतायेंगे कि इससे क्या फायदा होगा? क्या भारत के हिन्दू राष्ट्र बन जाने से देश की समस्याओं का समाधान हो पायेगा? क्या नौकरी-व्यावसाय में गरीबों को लाभ होगा? अगर ऐसा होता है तो फिर उन मुस्लिामों और क्रिश्चियनों का क्या होगा? वे कहां जायेंगे? क्या हिन्दू राष्ट्र बन जाने के बाद भारत जापान या अमेरिका की तरह तेज गति से विकास कर पायेगा?
कमाल की बात तो ये है कि उन 20 प्रतिशत हिंदुओं में से अधिकतर का सवाल ये भी होता है कि अगर हिन्दू राष्ट्र बन जाता है तो क्या हमको फिर से वही पंद्रहवी-सोलहवीं शताब्दी वाली जिंदगी जीना होगा?, क्या उसी प्रकार से माथे पर एक लंबा-सा टीका, गले में रुद्राक्ष की माला, गेरुए कपड़े और कमर में धोती पहनने जैसी कुछ पुरानी परंपराओं और पहनावे को फिर से अपनाना होगा? क्या फिर से वही परंपरागत त्योहारों को सख्ती से पालन करने वाली मानसिकता का सामना करने को मजबूर होना होगा? और न जाने क्या-क्या…? यानी सीधे-सीधे कहें तो वे 20 प्रतिशत लोग अपने आप को हिन्दु भी नहीं मानना चाहते हैं, हिंदुत्व और सनातन तो दूर की बात है।
तो, सोचिए कि अगर ऐसे-ऐसे अनगिनत और अजीबोगरीब सवालों का जवाब दिया जाये तो क्या होगा? लेकिन, ये सच है कि हर भारतीय इन सवालों के जवाब चाहता है। भले ही उन 20 प्रतिशत सैक्युलर हिंदुओं को इन प्रश्नों के उत्तर ना मिले, लेकिन, वे सवाल कुछ इस प्रकार से करते हैं तो स्वाभाविक ही है कि वे लोग एक सैक्युलर और आजाद खयालों वाले ऐसे मुल्क में रह रहे हैं जो हर किसी को अपने-अपने प्रकार की आजादी देता है। लेकिन, इन सभी सवालों के पीछे एक सच ये भी है कि वे 20 प्रतिशत सैक्युलर हिंदु ऐसे हैं जो न तो हिंदू कहे जा सकते हैं और न ही भारतीय। दरअसल, वे 20 प्रतिशत लोग एक ऐसी विशेष मानसिकता के लोग कहे जा सकते हैं जो शत-प्रतिशत कम्युनिष्ट सोच रखते हैं।
भले ही इन लोगों की संख्या लगभग 20 प्रतिशत तक है, लेकिन, कम्युनिष्ट सोच रखने वाले ये सभी लोग सिर्फ और सिर्फ हिंदु धर्म से ही संबंध रखते हैं। जबकि इस्लाम या क्रिश्चनिटी में ऐसे लोग बिल्कुल भी देखने को नहीं मिलते। और यदि इस्लाम या क्रिश्चनिटी में ऐसे लोग गलती से मिल भी जाते हैं तो उनका हाल क्या होता है ये भी किसी से छूपा नहीं है।
दरअसल, इस विषय को लेकर कई मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि कम्युनिष्ट मानसिकता या सोच एक प्रकार से मानसिक रोग के बराबर कही जा सकती है जो न तो हिन्दू धर्म को मानता है और न ही मानवतावादी होती है। लेकिन, इसकी सबसे बड़ी और अजीब खासियत ये है कि इसको हिन्दू धर्म के अलावा बाकी सभी धर्म प्रिय है और उन सभी में वे 20 प्रतिशत लोग शत-प्रतिशत अपनी आस्था रखते हैं, फिर चाहे वे दिखावा ही क्यों न कर रहे हों। लेकिन, बात यदि हिंदू धर्म की हो तो न सिर्फ वे नफरत करते हैं बल्कि लड़ने के लिए भी तैयार हो जाते हैं।
तो, आखिर ऐसा क्या है जो वे 20 प्रतिशत सैक्युलर प्रजाति के लोग हिंदुत्व और हिंदु से दूर भागते हैं और नफरत करते हैं। दरअसल, समस्या ये है कि जब भी आप ऐसे 20 प्रतिशत सैक्युलर प्रजाति के लोगों से बहस की जाती है तो वे इस बात को बिल्कुल भी नहीं मानते हैं कि हिंदुत्व या सनातन कोई धर्म नहीं बल्कि एक जीवन पद्धति है। इसलिए इसमें हिंदू होने के लिए जन्म से नहीं बल्कि कर्म से ही मानवतावादी होना पड़ता है, और उन 20 प्रतिशत लोगों में इसी की कमी देखी जाती है। जबकि इस्लाम या क्रिश्चनिटी में इसके ठीक विपरित यानी मानवतावादी आचार-विचार या व्यवहार की शत-प्रतिशत कमी होती है।
इस्लाम या क्रिश्चनिटी में आपको एक ही किताब के आधार पर जीवन जिना होता है। जबकि सनातन के लिए किसी भी किताब को मानने की आवश्यकता नहीं होती है, आप चाहे ईश्वर की पूजा करें या न करें। सम्मान करें या न करें, कोई फर्क नहीं पड़ता। जबकि इसके ठीक उलट इस्लाम या क्रिश्चनिटी में आपको उसी एक किताब को आधार मानकर चलना होगा, जीना होगा और मरना भी उसी के आधार पर होगा।
कोई धर्म परिवर्तन कर हिन्दू नही बन सकता बल्कि हिन्दू होने का एक ही तरीका है वह है व्यक्ति जन्म से ही हिन्दू होता है, यही आपके धर्म की सबसे बड़ी विशेषता है जिसे आप ईस्वर का उपहार ही समझो क्योकि ऐसा किसी अन्य धर्म में नही है।
– कमल सिंह ठाकुर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)