प्रदूषण कम करने के लिए फिलहाल जो भी उपाय किये जा रहे हैं वे तो होते रहने चाहिए किन्तु वास्तव में इन उपायों के अतिरिक्त एक उपाय ऐसा भी है जिस पर ध्यान फोकस कर के प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सर्व सुलभ एवं सहज बना दिया जाये तो सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या वैसे भी कम हो जायेगी और सड़कों पर जब निजी वाहनों की संख्या कम होगी तो प्रदूषण का स्तर स्वतः गिरता जायेगा। इस विषय की तरफ ध्यान दिये जाने की नितांत आवश्यकता है।
‘नेशनल हाइवे’ का विस्तार
आवागमन के साधन एवं सड़कें जितनी अच्छी होंगी, विकास का पहिया उतनी ही तेज गति से दौड़ेगा। वर्तमान केन्द्र सरकार ने इस दिशा में निश्चित रूप से बहुत ही बेहतरीन कार्य किया है। पूरे देश में ‘नेशनल हाइवे’ एवं सड़कों का जाल बिछ रहा है। उत्तर प्रदेश की बात की जाये तो वहां ‘ताज एक्सप्रेस वे’ के माध्यम से लखनऊ तक का आवागमन बहुत आसान हो गया और उसके बाद ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस वे’ के निर्माण एवं अन्य सड़कों के निर्माण से विकास का पहिया और तेज गति से दौड़ेगा।
आजकल देश में ‘दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे’ बहुत ही चर्चा का विषय बन रहा है। कहा जा रहा है कि इस एक्सप्रेस वे निर्माण से सड़क मार्ग से मात्र 12 घंटे में दिल्ली से मुंबई पहुंचा जा सकेगा। इस प्रकार ट्रेनों में टिकटों के लिए जो मारा-मारी होती है और अनेक बार लोगों को किसी जरूरी काम से आने-जाने के लिए भी समय पर रेलों में जगह नहीं मिल पाती है तो इस हाइवे के निर्माण से ट्रेनों पर पड़ने वाले दबाव में भी कमी आयेगी और लोग समय पर सड़क मार्ग से आसानी से कहीं आ-जा सकेंगे। इस तरह के कार्यों को और अधिक गति देने की आवश्यकता है।
– दीपक सिंह / आलोक पांडेय