अजय सिंह चौहान || श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे मन्धाता द्वीप पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में चैथे स्थान पर माना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग की सबसे अनूठी बात यह है कि यहां दो ज्योतिस्वरूप शिवलिंग श्री ओंकारेश्वर और ममलेश्वर हैं। और ये दोनों ही शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग किस एक मंदिर में या एक ही स्थान पर नहीं, बल्कि नदी के दो अलग-अलग किनारों पर स्थित हैं। और श्री ओंकारेश्वर और ममलेश्वर नाम के इन दोनों ही शिवलिंगों के दर्शन करने पर ही श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शनों की यह यात्रा पूरी मानी जाती है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर नर्मदा नदी के ओम पर्वत पर यानी टापू पर बना हुआ है। इस टापू को ओम पर्वत, शिवपुरी या फिर मंधाता द्वीप जैस नामों से भी पुकारा जाता है। इस टापू पर या उस मंदिर तक पहुंचने के लिए यहां तीन अलग-अलग रास्ते हैं। जिनमें से एक है झूला पूल जो कार पार्किंग के नजदीक है। इसको ममलेश्वर सेतु के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरा है पक्का पूल।
और क्योंकि उस टापू पर कोई भी वाहन नहीं जा सकता है इसलिए इन दोनों ही पूल को पार करने के लिए यात्रियों को पैदल चलना होता है। जबकि तीसरे रास्ते के तौर पर आप चाहें तो नाव का सहारा लेकर नर्मदा नदी को पार कर ओम पर्वत पर यानी टापू पर पहुंच सकते हैं।
अगर आप यहां नाव से जाते हैं तो उसके लिए गौमूख घाट से ओंकारेश्वर मंदिर तक एक सवारी के 10 रुपये देना होता है।
नदी पार करने के बाद अधिकतर श्रद्धालु श्री ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन करने से पहले नर्मदा नदी में स्नान करते हुए देखे जा सकते हैं। आप भी चाहें तो यहां आराम से स्नान कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रखें कि यहां नदी की गहराई बहुत अधिक है इसलिए सावधान रह कर ही नहायें और गहरे पानी में ना जायें।
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मंधाता पहाड़ी की एक दम ढलान पर बना हुआ है इसलिए यहां अन्य मंदिरों की तरह बहुत बड़ा और ज्यादा खुला आंगन या सभा मंडप नहीं है। लेकिन, मंदिर का सभा मंडप भी बहुत ही आकर्षक और मनमोहन लगता है। सभा मंडप से नर्मदा नदी का दृश्य बहुत ही आकर्षक और मनमोहन लगता है।
देवी अहिल्याबाई होल्कर के द्वारा निर्मित यह मंदिर और इसके सभा मंडप में कुल 60 बड़े और 15-15 फिट ऊंचे विशाल आकार वाले नक्काशीदार स्तंभ हैं।
इस पांच मंजिलों वाले श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास पहुंच कर आपको यहां लगभग 50 से भी अधिक सीढ़ियां चढ़नी होती है। उसके बाद ही आप मुख्य मंदिर के प्रांगण में पहुंच पाते हैं। मंदिर के प्रांगण में दर्शनार्थियों की भीड़ को देखते हुए और लंबी-लंबी कतारों को देखकर आप परेशान ना हों।
लेकिन, अगर आप लाईन में नहीं लगना चाहते हैं तो फिर आप 300 रुपये का वीआईपी टिकट लेकर लाईन से बच सकते हैं और सीधे ज्योतिर्लिंग मंदिर के गर्भगृह में पहुंच कर दर्शन कर सकते हैं। श्री ओंकारेश्वर का शिवलिंग एक प्राकृति शिवलिंग है, यानी स्वयंभू है और इसके चारों ओर हमेशा जल भरा रहता है।
ध्यान रखें कि गर्भगृह में पहुंच कर आप ना ही सीधे जल चढ़ा सकते और और ना ही शिवलिंग को स्पर्श कर सकते हैं। बल्कि यहां आपको एक पात्र में जल डालना होता है। वहां से वह जल एक नली के द्वारा सीधे शिवलिंग पर पहुंच जाता है। अगर आप यहां शाम के 4 बजे के बाद पहुंचते हैं तो आपको यहां जल चढ़ाने की अनुमति नहीं मिलेगी क्योंकि 4 बजे के बाद यहां भगवान शिव का विशेष श्रंगार किया जाता है।
इसके अलावा यहां एक खास और सबसे महत्वपूर्ण बात ध्यान रखने वाली है कि अगर आप ने श्री ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन कर लिए हैं तो आप यह न समझें की आपके श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन संपूर्ण हो चुके हैं। क्योंकि जब तक यहां आप एक अन्य मंदिर में, यानी श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर लेते आपकी श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की यह यात्रा अधूरी ही मानी जायेगी।
यहां आप को उसी तरह पूल से या फिर नाव के सहारे जाना होता है। नदी पार करने के बाद आपको सामने ही श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन हो जाते हैं। ममलेश्वर मंदिर को श्री अमरेश्वर मंदिर के नाम से भी पहचाना जाता है। खूले स्थान पर बनी यह एक अति प्राचीन मंदिर संरचना है। जबकि इसके प्रांगण में 6 अन्य मंदिर भी बने हुए हैं।
यदि यहां आपको नर्मदा नदी में विशेष स्नान करने का मन करे तो मंदिर से करीब ढेड किलोमीटर की दूरी पर नदी के बहाव की दिशा में यहां के संगम घाट पर जरूर जाना चाहिए। संघम घाट विशेष महत्व का माना जाता है। यहां नर्मदा और कावेरी नदी का पवित्र संगम स्थल है।
वास्त में यह संगम वह संगम है जो इस टापू की दूसरी ओर से निकल आ रही नर्मदा नदी ही है। धार्मिक दृष्टि से इस संगम का एक विशेष और पौराणिक महत्व माना जाता है।
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यहां तक पहुंचने के लिए आप चाहें तो आॅटो से या पैदल या फिर चाहें तो नाव का भी सहारा ले सकते हैं।
अब रही बात भोजन व्यवस्था की तो बता दें कि यहां वैसे तो अनेकों होटल और ढाबे बने हुए हैं जहां आपको सस्ता-महंगा हर प्रकार का भोजन मिल जायेगा। लेकिन, अगर आपको पूरी तरह से सात्विक और शुद्ध शाकाहारी भोजन ही चाहिए तो इसके लिए आप चाहें तो श्री औंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से करीब एक किलोमीटर दूर श्री औंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ट्रस्ट की ओर से श्री औंकार प्रसादालय में बहुत ही कम दाम पर स्वादिष्ट और भरपेट भोजन का आनंद ले सकते हैं।
बता दें कि अगर आप श्री औंकार प्रसादालय में सुबह 10 बजे तक पहुंचते हैं तो आपको निःशुल्क खिचड़ी के रूप में प्रसाद मिल जायेगा। जबकि दोपहर के भोजन के लिए यहां 11 बजे से 3 बजे के बीच मात्र 20 रुपये में भरपेट भोजन का आनंद ले सकते हैं। और अगर आप यहां शाम को 7 बजे से रात 10 बजे तक पहुंचते हैं तो उसके लिए आपको यहां मात्र 10 रुपये में एक विशेष प्रकार की स्वादिष्ट खिचड़ी प्रसाद के रूप में मिलती है।
लेकिन, ध्यान रखें कि अगर आपको यहां कोई विशेष भोजन चाहिए तो उसके लिए आपको प्रति व्यक्ति के हिसाब से 50 रुपये का कूपन लेना होगा। श्री औंकार प्रसादालय में एक विशाल आकार वाला डायनिंग हाॅल तथा रसोईघर है जिसमें एक बार में करीब 500 लोगों को भोजन उपलब्ध करावाया जा सकता है।
वैसे तो श्री ओंकारेश्वर की यात्रा ही अपने आप में एक संपूर्ण यात्रा है। लेकिन, फिर आप यहां के कुछ अन्य मंदिरों के भी दर्शन करना चाहें तो उनमें कुछ प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिर हैं – श्री सिद्धनाथ मंदिर, आशा माता मंदिर, मामा-भांजा मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, मंधाता का मंदिर और मां नर्मदा मंदिर और गुरुद्वारा भी प्रमुख हैं। ये सभी मंदिर शिवपुरी यानी मंधाता द्वीप पर ही मौजूद हैं।