जब हम एक बहुत सफल व्यक्ति के व्यक्तित्व (Personality development in Hindi) को समझते हैं और उसका विश्लेषण करते हैं तो हम उस व्यक्ति के गुण व विशेषताओं को देखते हैं जो कि एक सफल व्यक्ति बनने के लिए आवश्यक है। दरअसल, व्यक्तित्व एक व्यक्ति की विचार, भावनाएं और वह भावनाएं जो अद्वितीय होती हैं। व्यक्तित्व गुणों का वह समूह है जो एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से अलग बनाता है अर्थात् दो व्यक्तियों के अलग-अलग व्यक्तित्व के बारे में बताते हैं।
व्यक्तित्व का अर्थ है मुखौटा। प्राचीन लैटिन भाषा दुनिया के थियेटर में, मुखौटा एक विशेष चरित्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक पारंपरिक उपकरण था। एक व्यक्ति का व्यक्तित्व वह है जैसे वह खुद की दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है, (शिष्टाचार, आदतें, स्वभाव, आदि) या फिर दूसरे उसे कैसे देखते हैं?
स्वस्थ नेतृत्व के लिए व्यक्ति का समुचित व्यक्तित्व विकास आवश्यक है। व्यक्तित्व विकास सदा-सर्वदा निरंतर होना चाहिए। व्यक्तित्व यानी व्यक्ति के विचारों का आविष्कार, व्यक्ति की अभिरुचि, अभिव्यक्ति, अभिवृत्ति, कार्य पद्धति में व्यक्त हुआ व्यक्ति का सम्मुचयात्मक स्वरूप। व्यक्तित्व विकास किसी व्यक्ति की प्रगति और खुशी की कुंजी है। यह सिर, हृदय और हाथ का संयोजन और मिश्रण है। यह व्यक्ति की क्षमता, आदतों और दृष्टिकोण का कुल योग है। व्यक्तित्व विकास सफल जीवन का मंत्र है, विकास एक निरंतर प्रक्रिया है।
स्व गुण विकसन, गुणवत्ता वृद्धि और कुशलता विकसन यानी व्यक्तित्व का विकास, जिज्ञासा, सहिष्णुता, सामूहिकता एवं सक्रियता, यह व्यक्त के व्यक्तित्व विकास की कुंजी है। व्यक्तित्व विकास हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है। आदर्श नागरिक बनने में पोषक भूमिका और अपने जीवन को कृतिशील बनाने में उपयोगी होता है। व्यक्तित्व विकास प्रक्रिया में शिक्षा का महत्व है। हमारे स्वभाव और व्यवहार में अनुशासन, एकाग्रता, कृति आदि गुणों का समावेश आवश्यक है जिससे हमारा व्यक्तित्व प्रभावी होगा।
व्यक्तित्व के दो रूप हैं, पहला- बाहरी व्यक्तित्व जैसे कि आप कैसे दिखते हैं। आप खुद को कैसे प्रस्तुत करते हैं, आप कैसे खड़े होते हैं, बैठे कैसे हैं, लोगों के साथ कैसी बातें करते हैं, शारीरिक हाव-भाव यह सब महत्वपूर्ण बातें हैं, बाहरी व्यक्तित्व आपकी शारीरिक ऊंचाई, पहनावा, आवाज, कार्यपद्धती यह सब चीजें आती हैं। दूसरा, अंतर्गत व्यक्तित्व जिसमें आपका मन, बुद्धि, विचार, भावना, आपकी भावनिक परिपक्वता यह सब बातें आती हैं।
अपने व्यक्तित्व का विकास हम कैसे करें यह भी जानना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। व्यक्तित्व विकास के मार्ग तथा कुशलताएँ जानने से ही व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकता है। व्यक्तित्व विकास में ज्ञान, कौशल, उत्कृष्टता एवं दृष्टिकोण का बहुत महत्व है। हमें पढ़ाई और अध्ययन की तरफ भी ध्यान देना चाहिए, प्रतिदिन अखबार व पुस्तकें पढ़नी चाहिए। दूरदर्शन समाचार सुनना चाहिए, पुस्तकालय का सदस्य बनना चाहिए व मनपसंद विषय का अध्ययन करना चाहिए।
व्यक्तित्व विकास में लेखन कुशलता भी जरूरी है, व्यक्ति को उत्तम रीति से पत्र, चिट्ठी, निवेदन, ईमेल लिखने की कला से अवगत होना चाहिए। संभाषण कला- छोटी बैठक, नुक्कड़ सभा, सार्वजनिक सभा, पत्रकार वार्ता में उत्तम भाषण प्रस्तुति, सभा संचालन, किसी की बात को ध्यानपूर्वक सुनना भी व्यक्तित्व विकास का आवश्यक पहलू है।
व्यक्तित्व विकास के लिए व्यक्ति का ध्येय निश्चित होना आवश्यक है। जीवन में क्या करना है, इसके बारे में स्पष्ट एवं निश्चित होना जरूरी है। स्वयं का प्रस्तुतिकरण- वाणी, पहनावा, प्रसन्नता, आत्म विश्वास युक्त व्यवहार, जनसंपर्क आपके स्वभाव में हो, आपका व्यवहार विनम्र हो, यह सब एक अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति की पहचान है। समय नियोजन, कार्य जीवन संतुलन, व्यक्तिगत एवं सामाजिक और पारिवारिक कार्य में संतुलन होना आवश्यक है। निर्णय, नेतृत्व और निर्णय करने की क्षमता का व्यक्तित्व विकास में अत्यंत महत्व है।
स्वामी विवेकनन्द ने व्यक्तित्व विकास की पंचशील बताई हैंः-
- अनुशासन
- भावनाएं
- आत्मनिर्भरता
- आत्म त्याग
- स्वयं एहसास
व्यक्तित्व विकास के लिए स्वयं का मूल्यांकन भी करना चाहिए। व्यक्तित्व विकास जीवन को अधिक सफल, प्रभावी, कार्यसक्षम एवं अर्थपूर्ण बनाता है इसलिए इसके प्रति प्रयासरत रहना चाहिए।
– श्रेया सिंह