अजय सिंह चौहान || आज हमारे जीवन में प्लास्टिक का उपयोग बहुत ही अहम हो चुका है। लेकिन शायद बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि यही प्लास्टिक हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए कितना बड़ा खतरा बन चुका है। इसलिए यहां इस लेख के माध्यम से हम आपको प्लास्टिक से जुड़े ऐसे ही कई सारे उदाहरण और जानकारियां बताएंगे जिनसे आपको पता चलेगा कि प्लास्टिक (Plastic Pollution) हमारे लिए कितना खतरनाक हैं। बावजूद इसके, हमारे दैनिक जीवन में प्लास्टिक से बनी तमाम चीजों का जितना ज्यादा उपयोग होता जा रहा है उतना शायद ही किसी और चीज का होता है।
भले ही प्लास्टिक का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसका उपयोग इतना बढ़ गया है कि इसकी खोज करने वालों ने इसके खतरों के बारे शायद कभी कल्पना भी नहीं की होगी। क्योंकि प्लास्टिक के आविष्कार से हमारे जीवन में जितनी सरलता आई है उससे कहीं ज्यादा इससे होने वाले तमाम प्रकार के नुकसान हमारे स्वास्थ और पर्यावरण के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।
आपने कभी यह सोचा है कि प्लास्टिक (Plastic Pollution) से बनी किसी भी चीज का उपयोग अगर आप कर रहे हैं तो क्या वह सही है? यदि नहीं तो इस लेख के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा कि प्लास्टिक के बने किसी भी प्रकार के सामान का उपयोग करने से हमारे शरीर को क्या और कैसे नुक्सान होता है।
डिस्पोजे़बल प्लास्टिक के खतरे –
अक्सर हम प्लास्टिक के डिस्पोजे़बल कप और प्लेस्ट्स में गर्मागरम खाना खाते हैं और फैंक देते हैं। चाय पीते हैं और फेंक देते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं सोचते कि जिस डिस्पोजे़बल प्लास्टिक में हमने खाया या पिया उसका प्लास्टिक (Plastic Pollution) कैसा था या उसको बनाने में कौन से रासायनिक पदार्थ मिलाये गये होंगे जो हमारे शरीर को किस हद तक नुक्सान पहुंचा सकता है।
दरअसल, प्लास्टिक के जिस डिस्पोजे़बल में हम चाय या काॅफी पीते हैं उसके ऊपरी भाग में मोम लगा होता है जो गर्म चीजों के पड़ते ही पिघलने लगता है और वही मोम उस खाने या पीने के साथ हमारे शरीर में धीरे-धीरे पहुंचता रहता है और ना सिर्फ हमारे लीवर को कमजोर करता जाता है बल्कि शरीर में कैंसर भी पैदा करता रहता है।
प्लास्टिक (Plastic Pollution) से बना चाहे कोई भी सामान क्यों न हो, गर्मी और धूप में वह धीरे-धीरे पिघलने लगता है और उसके साथ जहरीले रासायनिक पदार्थ भी धीरे-धीरे पिघल कर बाहर आने लगते हैं। यही रासायनिक पदार्थ धीरे-धीरे खाने-पीने के सामानों के माध्यम से हमारे शरीर के अंदर जाकर एक भयंकर बीमारी को जन्म देते हैं जिसका नाम है कैंसर।
बच्चों के खिलौने –
बच्चों के लिए बने प्लास्टिक (Plastic Pollution) के खिलौनों में जिन रंगों का इस्तेमाल होता है वह तो और भी ज्यादा खतरनाक होता है। क्योंकि खिलौनों के इस प्लास्टिक में कई तरह के कैमिकल्स से बने रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि सीसा और आर्सेनिक नाम के रासायनिकों का उपयोग होता है जो कि बहुत ही जहरीले होते हैं। छोटे बच्चे अक्सर इन जहरीलेे सामानों से बने ऐसे खिलौनों को मुंह में डालते रहते हैं। खासकर का चाइना से आने वाले फेन्सी खिलौनों के बारे में तो अक्सर यह शिकायत देखने को मिलती है। कम आयु के लोगों और खासकर बच्चों में कैंसर की बिमारी का होना इनमें से एक बड़ी वजह भी मानी जाती है।
पानी की बोतल –
हमारे दैनिक जीवन में मिट्टी, पीतल या तांबे के पारंपरिक बर्तनों की जगह प्लास्टिक (Plastic Pollution) की बोतल से पानी पीना एक फैशन बन चुका है। लेकिन इसके पीछे कितना बड़ा नुकसान है हमने इस बात को बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर आप बोतलबंद पानी ज्यादा पीना पसंद करते हैं तो निश्चित है कि आप कैंसर के शिकार होते जा रहे हैं।
भाभा एटमिक रिसर्च सेंटर द्वारा बोतलबंद पानी की विस्तृत वैज्ञानिक जांच में पता चला कि एक लिटर बोतलबंद पानी में ब्रोमेट नामक रसायन की मात्रा 27 प्रतिशत पाई गई। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ब्रोमेट की यह मात्रा 1 लिटर में सिर्फ 4 मिलीग्राम से ज्यादा हो तो यह जहर का काम करता है।
प्लास्टिक से बनी पानी की बोतल को लेकर हैरान करने वाली बात यह है कि इन बोतलों पर जो एक्सपायरी डेट लिखी होती है वह बोतल के लिए होती है, न की उसके अंदर के पानी के लिए। इसमें हैरान करने वाली बात यह रही कि सामान्य पानी में इसकी मात्रा नहीं पाई गई।
प्लास्टिक पर शोध –
प्लास्टिक को लेकर वैज्ञानिकों और डाॅक्टरों ने कई बार और कई तरह से शोध किए हैं और हर शोध के बाद डाॅक्टरों का यही कहना है कि प्लास्टिक (Plastic Pollution) के सामन के लगातार उपयोग करने वालों में 90 प्रतिशत कैंसर की संभावना होती है, और इस बात को वैज्ञानिकों ने भी प्रमाणित किया है।
हर शोध के बाद यही बातें सामने आई हैं कि प्लास्टिक (Plastic Pollution) के बने सामान को हम जितना आसानी से इस्तेमाल में लाते हैं वह हर किसी के लिए उतना ही हानिकारक है।
प्लास्टिक बैग के खतरे –
अब अगर हम प्लास्टिक से बने बैग या थैली के खतरों को देखें तो हममें से हर कोई सबसे ज्यादा अगर किसी न किसी रूप में प्लास्टि का इस्तेमाल करते हैं तो वह है प्लास्टिक की थैलियां और प्लास्टिक पैकेजिंग।
प्लास्टिक (Plastic Pollution) से होने वाले पर्यावरण संबंधी नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर छोटे-बड़े शहर की सड़के हों या फिर गांवों की गलियां, प्लास्टिक की थैलियां हर जगह बिखरी हुई मिल जाती हैं। और जब बारिश का मौसम आता है तो यही थैलियां नालियों को जाम कर देती हैं जिससे गलियों और सड़कों पर पानी भर जाता है और उससे महामारिया फैलती हैं।
समुद्री जीवों को भी खतरा –
इन सब खतरों से अलग अगर हम समुद्री जीवों पर प्लास्टिक का असर देखें तो पता चलता है कि न सिर्फ हमारी नदिया और तालाब बल्कि समुद्र में भी प्लास्टि ने भारी नुकसान करना शुरू कर दिया है। सन 2005 की विश्व वन्यजीव कोष रिपोर्ट बताती है कि, अलग-अलग समुद्रों में भी प्लास्टिक की थैलियों की वजह से व्हेल, डाॅल्फिन और कछुओं सहित तमाम प्रकार के समुद्री जीवों की लगभग 200 विभिन्न प्रजातियां खत्म हो चुकी हैं।
प्लास्टिक (Plastic Pollution) को लेकर पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी समस्या कितनी भयानक है इस बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के आंकड़ों पर गौर करने पर पता चलता है कि हर साल 500 अरब और एक ट्रिलियन प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल किया जाता है। यहां गौर करने वाली सबसे भयानक बात यह है कि अधिकतर प्लास्टिक को रिसायकल ही नहीं किया जाता है, क्योंकि यह प्रोसेस प्लास्टि का नया उत्पादन करने से ज्यादा खर्चीला होता है।
प्लास्टिक (Plastic Pollution) से सिर्फ इंसानों और समुद्री जीवों को ही नहीं बल्कि पेड़-पौधे, जमीन, मिट्टी, पानी और हवा और तमाम प्रकार के पशु-पक्षियों का ऐसा बड़ा नुकसान होता जा रहा है जो कभी भी ठीक होने वाला नहीं है।
प्लास्टिक को कैसे नकारें –
हम जब प्लास्टि को अपने जीवन का एक हिस्सा बना चुके हैं तो ऐसे में इससे दूर होना बहुत ही मुश्किल है। लेकिन, अगर आप मान कर चलें कि ‘मैं धीरे-धीरे प्लास्टि का इस्तेमाल कम कर दूंगा’, तो आपको महसूस होने लगेगा कि आप 10 लाख से अधिक पशु-पक्षियों को मरने से बचा भी रहे हैं। अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आपको महसूस होगा कि आप उन हजारों पशु-पक्षियों के बारे में या फिर उनके संरक्षण के बारे में बारे में भी ध्यान दे रहे हैं।
आपको महसूस होने लगेगा कि आप अपने और अपने परिवार, अपने घर, और अपने समाज के बारे में सोच रहे हैं। बाजार में हों या फिर घर में, कहीं भी हों, प्लास्टि (Plastic Pollution) को नकारने की कोशिश भर भी करेंगे तब भी आपको लगेगा कि आप सचमुच अपने बारे में सोच रहे हैं।
थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन, एक बार कोशिश तो कर ही सकते हैं। एक दम से नहीं, लेकिन धीरे-धीरे दिन में एक बार या दो बार ही सही। बहुत जरूरी हो तब भी आपको ये बात ध्यान रखनी चाहिए कि प्लास्टिक के नुकसान क्या-क्या है। और अगर आप ऐसा करते हैं तो आप एक समस्या नहीं, बल्कि समाधान का हिस्सा बनते जायेंगे।
प्लास्टिक के कुछ रोचक तथ्य –
प्लास्टिक (Plastic Pollution) का आविष्कार सन 1862 में इंग्लैंड के अलेक्जैन्डर पाक्र्स ने किया था। प्लास्टिक शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के ‘प्लास्तिकोज’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है बनाना।
- लगभग दस खरब से अधिक प्लास्टिक बैग दुनिया भर में हर साल उपयोग किये जाते हैं।
- अकेले चीन में रोजाना 3 अरब प्लास्टिक बैग का उपभोग होता है।
- एक प्लास्टिक बैग अपने वजन से 2,000 गुना ज्यादा बोझ उठा सकता हैं।
- एक प्लास्टिक बैग को गलने के लिए 1,000 साल लग सकते हैं।
- हर साल पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक फेंका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी के चार घेरे बन जाएं।
- बीबीसी के अनुसार ब्रिटेन में 200 प्लास्टिक की थैलियों में से केवल 1 ही रिसायकल हो पाती है।
- फिनलैंड ही एक मात्र ऐसा देश है जहां हर दस में से 9 बोतलों को रिसायकल किया जाता है।
- पूरी दुनिया में सिर्फ रवांडा ही एकमात्र ऐसा देश है जहां प्लास्टिक पूरी तरह बैन है।