याद कीजिए अपनी दादी नानी को। सुबह सवेरे मंदिर की घंटी या अरदास या प्रार्थना से जब आपकी नींद खुलती थी। अगरबत्ती का धुंआ घर भर में और एक पवित्र सा वातावरण। आज उस तरह पूजा पाठ ना होता हो शायद, फिर भी अधिकतर महिलाएं ही पूजा पाठ करती नजर आती हैं।
घर पर कोई भी आयोजन हो उसमें सबसे अधिक जुड़ाव घर की स्त्री का होता है। अपने आस पास के किसी मंदिर, गुरद्वारे, चर्च में जाइए तो देखने को मिलेगा कि श्रद्धा भाव से हाथो में धार्मिक पुस्तक लिए कोई न महिला हाथ जोड़े ईश्वर के समक्ष नतमस्तक नजर आएगी।
असुरक्षा – महिलाओं को मन की असुरक्षा ईश्वर के सामने नतमस्तक कर देती है। अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा, वैसा हुआ तो क्या होगा का डर भूलने के लिय वे ईश्वर के चरणों में खुद को समर्पित कर देती हैं।
अपनों की चिंता – महिलाएं बहुत भावुक होती हैं। खुद को कुछ भी हो जाए, उनको परवाह नहीं होती, लेकिन, उनके किसी अपने का जरा भी बुरा न हो इसके लिए वे मन ही मन ईश्वर के सामने सर झुकाए रहती हैं।
संस्कार – हर धर्म में बचपन से बच्चों को ईश आराधना के संस्कार दिए जाते हैं और संस्कारों को लड़कियां बहुत जल्दी आत्मसात कर लेती हैं। अपनी मां-बहन-दादी-नानी को जिस पूजा पाठ करते देखती हैं, बिना कोई कारण जाने उस पूजा को पीढियों तक हस्तांतरित करती हैं।
अंधविश्वास – स्त्रियों में अंधविश्वासी होने का प्रतिशत ज्यादा होता है। बीमारी, मुकदमा हो या अन्य परेशानी, वे उनका ईश भक्ति से समाधान खोजती हैं।
सुकून – महिलाएं अपने मन में सुकून महसूस करती हैं जब वो खुद को ईश्वर के नजदीक पाती हैं। इनके अलावा, बच्चों के लिए अच्छा करियर चुनना हो या पति की उन्नति, महिलाएं अनेक व्रत पूजा करती हैं।
– नीलिमा शर्मा