Skip to content
27 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • धर्मस्थल
  • श्रद्धा-भक्ति

पाकिस्तान की कैद में है हिंगलाज माता का शक्तिपीठ मंदिर

admin 10 April 2021
Ormara Via Makran Coastal Highway

पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान की पहाड़ियों में स्थित हिंगलाज देवी के शक्तिपीठ मंदिर का दिव्या दर्शन

Spread the love

अजय सिंह चौहान  || हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों और धर्म स्थलों में से एक है माता हिंगलाज देवी का मंदिर। धर्म ग्रंथों के अनुसार यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। लेकिन हिंदू धर्म के लिए यह बहुत ही बड़ा दूर्भाग्य है कि वे यहां दर्शन करने नहीं जा सकते। और जाहिर है कि अगर वहां जाना हो तो पहले पाकिस्तान जाना होगा। तो इसका मतलब यह हुआ कि हिंगलाज माता के उस पवित्र शक्तिपीठ के दर्शनों के लिए श्रद्धालु पाकिस्तान पर निर्भर हैं। और अगर जाना भी हो तो भारत से कुछ गिने-चुने हिंदू तीर्थयात्रियों को ही पाकिस्तान का वीजा मिल पाता है।

हिंगलाज देवी का यह मंदिर इस समय भारत से बाहर और पाकिस्तान अधिकृत बलूचिस्तान की दुर्गम पहाड़ियों में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 30 किलोमीटर लंबे इस पैदल मार्ग में बहुत सी कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं। क्योंकि मंदिर तक पहुंचने के लिए कोई भी सड़क व्यवस्था नहीं है।

यह मंदिर थरपारकर क्षेत्र से लगा हुआ है और यहां ज्यादातर श्रद्धालु थरपारकर क्षेत्र से ही आते हैं, क्योंकि वहां पर बलुचिस्तान और पाकिस्तान की सबसे ज्यादा हिंदू आबादी रहती है।

इस सिद्ध शक्तिपीठ मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालुओं के पास दो रास्तों का विकल्प होता है। जिसमें से एक रास्ता ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों से होकर जाता है तो दूसरा थरपारकर या थार रेगिस्तान से होकर जाता है। पहाड़ी रास्ता जितना मुश्किलों से भरा है उससे कहीं अधिक रेगिस्तान का रास्ता भी खतरनाक और थका देने वाला है।

यहां दोनों ही रास्तों पर दूर-दूर तक आबादी का कोई नामो-निशान तक नजर नहीं आता। एक रास्ते में कई छोटे-बड़े बरसाती नाले मिलते हैं तो दूसरे रास्ते में रेत ही रेत। इस यात्रा के लिए पाकिस्तान सरकार की तरफ से सुविधाओं का तो कोई नामोनिशान तक नहीं है।

लगभग 30 किलोमीटर लंबे पहाड़ी यात्रा मार्ग में जाने पर माता काली का एक मंदिर पड़ता है। इस मंदिर का इतिहास बताता है कि यह लगभग 2,000 वर्ष पुराना है। इस मंदिर से थोड़ा आगे चलने के बाद रेतीले पहाड़ों के बीच माता हिंगलाज देवी की गुफा आती है जो प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर में दाखिल होने के लिए पत्थर की सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। इसमें माता हिंगलाज देवी की प्रतिमा साक्षात माता वैष्णो देवी का रूप हैं।

इस मंदिर में न तो कोई दरवाजा ही है और न ही कोई पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था है। यात्री गुफा के एक रास्ते से दाखिल होकर दूसरी ओर निकल जाते हैं।

इस मंदिर के को लेकर मान्यता है कि अपने पिता दक्ष द्वारा अपमानित होकर देवी सती ने आत्मदाह कर लिया था। क्रोध में आकर भगवान शिव ने वैराग्य धारण कर लिया और माता सती के उस शव को अपने कंधे पर उठाए ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने रहे। उनके वैराग्य धारण कर लेने से सृष्टि का संचालन बाधित हो रहा था इसलिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े कर दिए थे।

जहां-जहां सती के शव के अंग गिरे थे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई, जिनकी रक्षा आज भी स्वयं भगवान शिव अपने भैरव रूप में करते हैं। और पाकिस्तान अधिकृत बलूचिस्तान प्रांत के जिस क्षेत्र में आज हिंगलाज माता का मंदिर स्थापित है, वहां देवी सती का सिर आकर गिरा था। जबकि भगवान शिव भैरवलोचन या भीमलोचन के रूप में वहां प्रतिष्ठित हैं।

माता हिंगलाज मंदिर परिसर में श्रीगणेश, कालिका माता की प्रतिमा के अलावा ब्रह्मकुंड और तीरकुंड आदि प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि इस प्रसिद्ध मंदिर में माता के पूजन और दर्शन के लिए गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देव जी, दादा मखान जैसे महान आध्यात्मिक संत भी आ चुके हैं। लोककथाओं के अनुसार भगवान श्री राम भी इस शक्तिपीठ के दर्शन कर चुके हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्रि ने यहां घोर तप किया था।

नवरात्रि के दौरान तो यहां पर नौ दिनों तक शक्ति की उपासना का विशेष आयोजन होता है। सिंध-कराची के सैकड़ों सिंधी श्रद्धालु यहां माता के दर्शन को आते हैं। माता की यह प्राचीन मूर्ति मानवनिर्मित नहीं बल्कि प्राकृतिक रूप से निर्मित यानी स्वयंभू मूर्ति मानी जाती है। मूर्ति पूरी तरह से सिंदूर से ढंकी हुई है।

हिंगलाज माता का यह मंदिर थरपारकर क्षेत्र में आता है जो पाकिस्तान अधिकृत बलुचिस्तान का सबसे पिछड़ा हुआ क्षेत्र है। पाकिस्तानी सरकार के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो वे बताते हैं कि यहां हर साल लगभग 25 से 30 हजार श्रद्धालु हर साल दर्शन करने पहुंचते हैं। जिनमें सबसे अधिक संख्या पैदल श्रद्धालुओं की होती है।

हिंगलाज माता के इस मंदिर से जुड़े कुछ अन्य रोचक तथ्य –

  • हिंगलाज माता के इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से भी पुराना है।
  • हिंगलाज देवी को पांडवों और क्षत्रियों की कुलदेवी के रूप में भी जाना जाता है।
  • इसे माता हिंगुल या हिंगुलाज शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है।
  • जबकि भगवान शिव भैरवलोचन या भीमलोचन के रूप में वहां प्रतिष्ठित हैं।
  • हिंगलाज माता के नाम से ही इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी का नाम हिंगोल नदी पड़ा है।
  • हिंदुओं के लिए यह शक्तिपीठ है जबकि मुस्लिमों के लिए यह बीबी नानी का मंदिर है।
  • स्थानीय आदिवासियों के लिए यह मंदिर नानी की हज के नाम से जाना जाता है।
  • वे महिलाएं जो इस माता का दर्शन कर लेतीं हैं वे हाजियानी कहलातीं हैं।
  • हर साल अप्रैल के महीने में यहां चार दिवसीय मेला भी लगता है।
  • इस मेले में पाकिस्तान और बलुचिस्तान के लगभग हर कोने से हिन्दू और मुस्लिम यहां आते हैं।
  • यहां हिंदू और मुस्लिम लगभग समान रूप से पूजा-अर्चना करते हैं।
  • भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले यहां बारहों मास भक्तों की भीड़ लगी रहती थी।
  • हिंगलाज माता का यह मंदिर एक गुफा में है। और यह गुफा एक प्राकृतिक गुफा है।
  • इस गुफा में हिंगलाज माता की जो पवित्र मुर्ति है वह किसी कलाकार द्वारा दी गई आकृति नहीं बल्कि प्राकृतिक मुर्ति है।
  • और यह साधारण-सी प्राकृतिक आकार वाली पवित्र मूर्ति सिंदूर से लिपटी हुई है।
  • हिंगलाज शब्द की उत्पत्ति संभवतः संस्कृत के शब्द हिंगुला से है।
  • संस्कृत में हिंगुला का अर्थ सिंदूर होता है।
  • स्थानीय भाषा में हिंगलाज माता को कोट्टारी, कोट्टावी और कोट्टारिशा आदि नामों से भी जाना जाता है।
  • यह मंदिर अरब सागर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर है जबकि कराची से लगभग 250 किमी दूर है।

About The Author

admin

See author's posts

1,748

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: समाज को भटकने से बचाना होगा – शक्तिपुत्र जी महाराज
Next: श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी के विवाह का साक्षी है यह देवी मंदिर | Avantika Devi Temple Bulandshahr

Related Stories

Importance of social service according to the scriptures and the Constitution
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

धर्मशास्त्रों और संविधान के अनुसार सेवा का उद्देश्य और महत्व

admin 26 July 2025
Masterg
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

admin 13 April 2025
ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

admin 30 March 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081272
Total views : 148064

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d