ज्योति सोलंकी || वैसे तो संपूर्ण भारत ही एक तीर्थ स्थल है। यहां के हर हिस्से में ढेरों सिद्ध, प्रसिद्ध और दर्शनीय स्थान समाये हुए हैं। इन्ही असंख्य सिद्ध, प्रसिद्ध और दर्शनीय महत्व के स्थानों में से एक है उज्जैन नगरी। आज हम बात करेंगे उज्जैन के दर्शनीय स्थलों के बारे में।
आप में से अधिकतर लोग उज्जैन से परिचित होंगे और गये भी होंगे। ऐसे में अगर आप अपने बच्चों और परिवार के अन्य साथियों के साथ उज्जैन जाकर कुछ दिन की छुट्टियाँ बिताने के बारे में सोच रहे हैं तो बता दूं कि उज्जैन इसके लिए हर प्रकार से उत्तम रहेगा। यहां के दर्शनीय स्थल आपके लिए एक यादगार साबित होंगे और यहां की संस्कृति तथा यहां के लोग आपके लिए अनजान साबित नहीं होंगे। क्योंकि उज्जैन न सिर्फ धार्मिक नगरी है बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी उत्तम है।
उज्जैन देवों के देव भगवान महाकाल की धरती कहलाती है। हर साल यहां देशभर से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। उज्जैन के धार्मिक महत्व को लेकर यहां एक प्रचलित है कहावत है कि, “अगर आप यहां एक बोरी भर कर चावल भी लायेंगे और यहां के हर मंदिर में एक-एक दाना भी चढ़ायेंगे तो तब भी दाने कम पड़ जायेंगे, लेकिन, मंदिर स्थल खत्म नहीं होंगे”।
उज्जैन के अनगिनत दर्शनीय स्थलों पर जाना तो संभव नहीं है लेकिन यहां आपको कम से कम 3 से 4 दिनों का समय निकलकर लगभग सभी महत्वपूर्ण स्थानों के दर्शन करने का अवसर मिल जाता है। यदि आप उज्जैन में पर्यटन या दर्शनों के लिए घूमने निकलते हैं और आप आॅटो या फिर टैक्सी का खर्च नहीं उठा सकते हैं तो आप यहां की उज्जैन दर्शन बस की सुविधा का भी लाभ उठा सकते हैं। यह बस 40 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से हर प्रति दिन देवास गेट बस अड्डे से प्रातः 7 बजे और दोपहर 2 बजे चलती है।
महाकालेश्वर मंदिर –
उज्जैन के सबसे प्रमुख और विशेष दर्शनीय स्थलों में से सबसे पहले जो नाम आता है वह है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान महाकालेश्वर का ज्योतिर्लिंग मंदिर। यह ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन के रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर ही मौजूद है। यह एक ऐसा ज्योतिर्लिंग मंदिर है जिसका प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा की ओर है। इसी कारण से इस स्थान पर तांत्रिक विद्याओं का महत्व विशेष माना जाता है।
भगवान महाकालेश्वर का ज्योतिर्लिंग एक स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है जो अपने आप इस स्थान पर प्रगट हुआ था। महाकालेश्वर की सबसे विशेष भस्म आरती में सिले हुए कपड़े पहनना वर्जित है इसलिए पुरुषों को धोती पहन कर और महिलाओं को इसमें साड़ी पहनकर ही शामिल होना पड़ता है। इस आरती की एक और खासियत है कि इसमें शामिल होने के लिए काफी पहले से ही बुकिंग करवानी होती है।
शिक्षा नदी का राम घाट –
उज्जैन की सबसे प्रिय और सबसे पवित्र नदी है शिप्रा नदी। उज्जैन शिक्षा नदी के किनारे पर ही बसा हुआ है इसलिए इस नदी और इसके रामघाट का प्राचीन महत्व सबसे पवित्र और पावन इसी घाट पर हर 12 वर्षों में एक बार महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक नदी के इस पवित्र घाट पर आस्था की पवित्र डुबकी लगाते हैं। रामघाट पर बने कई छोटे-बड़े मंदिरों का अपना अलग ही महत्व और इतिहास है। इंदौर की जानापाव पहाड़ियों से इस नदी का उद्गम हुआ है।
हालांकि, जितनी पवित्र और विशेष है उतनी इसकी लंबाई नहीं है। बल्कि यह मात्र 195 किलोमीटर लंबी नदी है। जबकि इसक तट पर मात्र यही एक घनी आबादी वाला शहर बसता है जिसको उज्जयनी के नाम से भी पहचाना जाता है।
मंगलनाथ मंदिर –
भगवान मंगलनाथ का यह मंदिर सिर्फ उज्जैन में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस स्थान पर स्वयं भगवान शिव के एक अंश के गिरने से ही मंगल ग्रह का जन्म हुआ था। इसके अलावा इसका महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी मंदिर से कर्क रेखा भी गुजरती है।
यहां हर वर्ष एक विशेष पूजा आयोजित की जाती है जिसका उद्देश्य शांति बनाए रखने के लिए होता है। अति प्राचीन इस मंदिर स्थल पर दर्शन करने आने वाले भक्तों की विशेष भीड़ देखी जाती है। भगवान मंगलनाथ के इस मंदिर की दूरी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की है।
देवी हरिसिद्धी मंदिर –
देवी हरसिद्धी का शक्तिपीठ मंदिर उज्जैन के दर्शनीय स्थल में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मान्यता है कि इस शक्तिपीठ को स्वयं भगवान शिव ने ही यह हरिसिद्धी नाम दिया था। 51 शक्तिपीठों में से एक माता हरिसिद्धी यह मंदिर सम्राट विक्रमादित्य की अराध्य देवी हैं।
मान्यता है कि मा ता हरसिद्धि के दर्शन मात्र से ही कई कष्ट और रोग दूर हो जाते है।
मां हरसिद्धि का यह शक्तिपीठ मंदिर की मध्य प्रदेश के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। यहां कई बड़ी राजनितिक और धार्मिक हस्तीयां मत्था टेकने आती रहतीं हैं। वर्तमान में माँ हरसिद्धि के मंदिर की देखभाल पुरातत्व विभाग के अधीन है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से हरसिद्धि मंदिर की दूरी पैदल चलने पर मात्र पांच मिनट की ही है।
चिंतामन गणेश मंदिर –
चिंतामन गणेश के नाम से प्रसिद्ध भगवान गणेश का यह मंदिर उज्जैन के दर्शनीय स्थल में सबसे विशेष माना जाता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर प्रकार की चिंताओं का निवारण भगवान चिंतामन गणेश कर देते हैं।
उज्जैन और इसके आस-पास के सभी निवासी अपने परिवार में आयोजित किए जाने वाले विशेष उत्सवों और आयोजनों में भगवान गणेश को आमंत्रण देने के लिए जाते हैं और उनका आशीर्वाद लेकर ही शुभकार्य प्रारंभ करते हैं।