लेखक राजीव मल्होत्रा व विजया विश्वनाथन की पुस्तक Snakes in the Ganga: Breaking India 2.0 भारत के खिलाफ रची जा रही साजिशों का खुलाशा करने वाली अब तक की एक बेहतरीन पुस्तक कही जा सकती है। आज के दौर में जिस प्रकार से भारत के विरुद्ध हर क्षेत्र में विरोध और षड्यंत्र रचे जा रहे हैं उसको देखते हुए हर भारतीय को यह पुस्तक (Snakes in the Ganga in English) आवश्यक पढ़ना चाहिए ताकि पता चल सके कि हमारी इस धरती और इसके मूल निवासियों के विरुद्ध किस प्रकार से एक के बाद एक जटिल से जटिल षड्यंत्रों का जाल बना जा रहा है।
आम भारतियों और खासकर हिन्दुओं को पता चलना चाहिए कि भारत के विरुद्ध किस तरह का ग्लोबल वार चल रहा है, और इसका केंद्र US का Harvard university किस प्रकार से गतिविधियों को खुला समर्थन दे रहा है। ताज्जुब तो यह है कि भारत के कुछ ऐसे अरबपति भी हैं जो खुद भी harvard university को फंड करते हैं, ताकि भारत के सनातन परिवारों व समाज व्यवस्था को धीरे-धीरे तोड़कर हमेशा के लिए समाप्त किया जा सके।
हैरानी की बात है कि भारत की सभी राजनीतिक पार्टियां और सरकारें भी हार्वर्ड से सर्टिफाइड होने के लिए उनकी ही विभाजकारी नीतियों को आगे न सिर्फ बढ़ाव देती हैं बल्कि उनके विचारों को भी आगे बढ़ाने में हाथ बंटाती दिख रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाई गई वर्तमन की शिक्षा नीति को ही देख लें तो पता चलता है की यह नई शिक्षा नीति भी हार्वर्ड सर्टिफाइड है और इसके लिए नीति आयोग में बैठे उनके (harvard university) कुछ सर्टिफाइड विचारक इसमें सीधे-सीधे वैचारिक विभाजक बनकर दखल रखते हैं।
राजीव मल्होत्रा व विजया विश्वनाथन की पुस्तक (Snakes in the Ganga: Breaking India 2.0) से पता चलता है कि किस प्रकार जहां एक और भारत जैसे विशाल देश में हार्वर्ड विचारधारा का बोलबाला है वहीं एक सिंगापुर जैसे छोटे से देश की सरकार ने भी हार्वर्ड पर सिकंजा कस दिया है। चीन जैसे देश ने तो पहले ही हार्बर्ड की विचारधारा और उसके अनुयायिओं को बाहर का रास्ता दिखा रखा है। लेकिन पता नहीं क्यों, भारत की सरकार, भारत के राजनेता, भारत के उद्यमी और भारत का एक विशेष एलिट वर्ग harvard university से सर्टिफाइड होने के लिए इस कदर बिछ जा ते हैं कि मानो वे उनके देश और माँ-बाप से बढ़कर हैं
भारत की सरकारें, राजनेता, उद्यमी और भारत का समस्त एलिट वर्ग आज अपने ही देश व धर्म के विरुद्ध हार्बर्ड की थ्योरी को फंड करने से लेकर अपनी तमाम योजनाओं तक में उसे जगह देने और उसके भारत विरोधी एजेंडों को बढ़ाने में जुटे हैं।
लेखक राजीव मल्होत्रा की यह पुस्तक Snakes in the Ganga ऐसे एक-एक व्यक्ति, संस्था और उद्यमियों के नाम तक उजागर करती है। आम जनता यदि इसे पढ़े- समझे और उसके बाद राजनेताओं और सरकारों पर दबाव बनाए तो हो सकता है कि भारत के विरुद्ध चल रहे विदेशी षड्यंत्रों को रोका जा सके या काम किया जा सके, अन्यथा भारत और विशेषकर हिन्दुओं का भविष्य क्या होगा और कैसा होगा किसी को कोई चिंता नहीं है!
समय की मांग है कि इस पुस्तक का अनुवाद देश की हर भाषा में हो, ताकि एक बड़ा वर्ग इन साजिशों को समझ कर इसके विरुद्ध उतर सके। हार्ड कवर में उपलभ्द 813 पृष्ठों की इस पुस्तक (Snakes in the Ganga: Breaking India 2.0) की कीमत 895 रुपये है
पुस्तक का विवरण इस प्रकार है –
Snakes in the Ganga: Breaking India 2.0
Author: Rajiv Malhotra & Vijaya Viswanathan
ISBN: 9789392209093
Language: English
Publisher– Occam (An Imprint of BluOne Ink)
Edition 1st
Publication Year 2022
Number of pages 813
Binding Style-HB– अजय सिंह चौहान
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