Movie Review: Thalapathy 64 (Master)
मूवी रिव्यूः थालापथी 64 (मास्टर)
अजय सिंह चौहान || अगर आप दक्षिण भारतीय फिल्मों के शौकिन हैं तो आपके लिए मुख्य रूप से तमिल भाषा में बनी एक और बेहतरीन फिल्म आ चुकी है, जिसका नाम है थालापथी 64 (मास्टर) Thalapathy 64 (Master)। 13 जनवरी, 2021 को रिलीज हुई ये फिल्म हिन्दी भाषी दर्शकों के लिए भी पहले से ही डबिंग की जा चुकी थी।
लोकेश कनगराज के निर्देशन में बनी फिल्म ‘मास्टर’ मारधाड़ और एक्शन से भरपूर होने के साथ-साथ समाज को शिक्षा देने वाली और मनोरंजन के लिहाज से भी जानदार है। फिल्म के मुख्य कलाकारों में विजय , मालविका मोहनन (Malavika Mohanan) और विजय सेतुपति (Vijay Sethupathi) नजर आते हैं।
थालापथी 64 (मास्टर) Thalapathy 64 (Master) की एक साधारण और औसत कहानी होते हुए भी अपने दर्शकों को बांध कर रखती है। फिल्म को देखने से लगता है जैसे इसके निर्देशक लोकेश कंगाराज (Lokesh Kanagraj) को आम दर्शकों की नब्ज के बारे में बहुत अच्छी तरह से पता है कि उन्हें कैसी कहानी और कैसे एक्शन सीन दिखाये जाने चाहिए।
बाॅलीवुड के निर्माता और निर्देशकों को भी इस फिल्म से कुछ ऐसा ही सीखना चाहिए जो उनके भविष्य में काम आ सकता है। इसके अलावा फिल्म उद्योग में आने वाले उन नये चेहरों को भी इस फिल्म को देखकर सीखना चाहिए कि किस प्रकार से एक छोटी और साधारण कहानी को भी खास बनाया जा सकता है।
जहां एक ओर कोरोना काल के चलते पिछले साल सिनेमाघरों में सन्नाटा पसरा रहा वहीं ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर दिखाई गई तमाम कचरा टाइप की बाॅलीवुड फिल्मों से लोग बहुत निराश हो चुके थे। लेकिन इस मास्टर (Master) फिल्म को देख कर ऐसा लगता है जैसे पिछले कई साल का मनोरंजन मसाला एक साथ मिल गया हो।
अब जब कोरोना काल में लाॅकडाउन के चलते बंद हुए सिनेमाघरों में रौनक फिर से लौट आई है तो उसके लिए साउथ के सिनेमाघरों में से अधिकतर में इस फिल्म को देखने वालों की भीड़ पिछले सारे रिकाॅर्ड तोड़ती जा रही है। क्योंकि विजय सेतुपति और जोसफ विजय की इस फिल्म ने सिनेमाघरों में तूफान मचाकर रखा हुआ है।
फिल्म मास्टर (Master) की कहानी के अनुसार जेडी का नाम का एक प्रोफेसर है। कहने को तो वो प्रोफेसर है लेकिन पक्का शराबी है। काॅलेज के चुनाव में हिंसा होने के बाद उसे सजा के तौर पर एक बाल सुधार गृह का मास्टर बनाकर भेज दिया जाता है। बाल सुधार गृह भवानी नाम के एक कुख्यात अपराधी के कब्जे में है। जब जेडी को बाल सुधार गृह में होने उन वाले तमाम अपराधों के बारे में सच्चाई का पता चलता है तो वो भवानी के खिलाफ खड़ा हो जाता है।
सूनने में तो ये एक औसत मुंबईया फिल्मी कहानी लगती है। लेकिन, आप सिर्फ इसकी कहानी पर ही मत जाइये। क्योंकि ये फिल्म बाॅलीवुड में नहीं बल्कि टाॅलीवुड में बनी है। इसलिए इसमें एक्शन, रोमांस और मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक शिक्षा की 100 परसेंट गारंटी भी दी जाती है।
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कहानी के अनुसार फिल्म में भवानी की क्रूरता और मास्टर जेडी का साहस समा बांध देता है। इसमें कई ऐसे बेहतरीन दृश्य हैं जो बहुत ज्यादा प्रभावित करने वाले कहे जा सकते हैं। भवानी के गुंडों को जेडी मास्टर, लाॅकअप में जिस तरह से पीटता है उससे ऐसा लगता है कि एक आम आदमी के मन में भी अपराधियों के प्रति वही गुस्सा और नफरत भरी हुई है और वे सब भी उन गुंडों को पीट रहे हों। फिल्म के अधिकांश एक्शन सीन्स में काफी कुछ नयापन दिखाई देता है।
फिल्म के सभी कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों में पूरी मेहनत और निष्ठा का परिचय दिया है। बाॅलीवुड के मशहुर बुझते सितारों के अभिनय से त्रस्त दर्शकों को टाॅलीवुड की इस ‘मास्टर’ (Master) फिल्म के छोटे से लेकर सभी बड़े कलाकारों ने भरपूर पैसा वसूली का अवसर दिया है।
बाॅलीवुड ने जहां एक ओर देश और धर्म विरोधी एजेण्डावादी फिल्में बनाते-बनाते वे दर्शकों से इतनी दूरी बना ली है कि अब वे हर फिल्म के रिलीज होने के बाद अपने आप को किसी खाई में गिरा हुआ महसूस करते हैं। बावजूद इसके वे न तो कुछ सिखना ही चाहते हैं और ना ही समझना कि आखिर दर्शकों को कैसी फिल्में परौसी जानी चाहिए। लेकिन टाॅलीवुड ये बात अच्छी तरह से जानता है कि सिर्फ और सिर्फ एजेंडावादी फिल्म बनाने से अच्छा है अच्छी फिल्में भी बनाई जाए और इसी का नतीजा है ये ‘मास्टर’।