हमारा शरीर दर्द सहीत तमाम बीमारियों का न सिर्फ एक आईना है बल्कि अन्य बीमारियों की सूचना देने वाला एक संदेश वाहक भी है। किसी भी प्रकार का दर्द हमारे शरीर में सहजता से आता है और अपनी जड़ें जमाता जाता है। ऐसे में यदि समय रहते हैं सावधान होकर उसका उपचार कर दिया जाए, रोग का कारण हटा दिया जाय तो वह दर्द भी चला जाता है। लेकिन दर्द को अनदेखा किया जाए या एलोपेथी की दवा देकर उसे दबा दिया जाए तो फिर वह दर्द या अन्य बीमारी शरीर के भीतर घातक जड़ जमाती जाती है।
किसी भी व्यक्ति के शरीर में दर्द या अन्य बिमारी का प्रवेश उसी प्रकार से होता है जैसे किसी चोर के घुसने पर चैकीदार सावधान करने के लिए लाठी पीटता है या सीटी बजाता है, ताकि आप सावधान हो जायें। लेकिन, उस समय हम अगर उस सीटी बजाने वाले की सीटी छीन कर उसकी आवाज बंद करा दें तो फिर चोर आराम से हमारे घर में चोरी का काम कर सकता है।
सामान्य अवस्था में देखा जाता है कि मानव शरीर में उत्पन्न होने वाले दर्द अनेक प्रकार के होते हैं और आधुनिक चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने भी दर्द के अनेक प्रकारों का वर्णन और भेद किया है। जैसे कि कोई दर्द अगर शरीर के एक भाग से शुरू होकर के दूर के किसी भाग मैं अपना असर दिखाता है उसे आज की भाषा में ‘वांडरिंग पेन’ कहते हैं, प्राचीन भाषा में इसे ‘घुमंतु दर्द’ या ‘रिंगण वायु’ का दर्द कहा जाता है। इसी प्रकार से ‘इडियोपेथिक दर्द’ उसे कहते हैं जिसका कोई विशेष कारण नहीं होता।
‘जंपिंग पेन’ जोड़ों के दर्द में देखा जाता है जो झटका देकर कूदने की तरह महसूस होता है। ‘लाइटनिंग पेन’ एक प्रकार का शाॅट झटका देकर आता और चला जाता है और कुछ क्षण बाद दुबारा आता है तो शरीर के उस भाग को पूरी तरह हिला जाता है। ‘टियरवैटिंग पेन’ और ‘बोरिंग पेन’ में ऐसा लगता है जैसे दर्द वाले अंग में कोई छेद कर रहा हो जैसे बोरिंग के समय धरती में छेद किया जाता है वैसा दर्द होता है जैसे कोई गहरे में कील वगैरह बैठा रहा हो।
किसी भी देश या क्षेत्र के एक आम व्यक्ति को किसी भी उम्र में भूख लगने पर पेट में जो दर्द होता है और भोजन करने पर शांत हो जाता है उसे साधारण और आम भाषा में ‘हंगर पेन’ कहा जाता है। लेकिन, इससे थोड़ा हट कर एक ‘फंक्शनल पेन’ होता है जो विभिन्न देशों या क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार से उत्पन्न होने वाले दर्द होते हैं जो स्थानिय स्तर पर मनोविकारों से ग्रस्त लोगों को हुआ करता है।
इसके अलावा, शरीर के किसी भी भाग पर जब चोट लगती है तो हमारे स्नायु तंत्र को झंकृत करते हैं और यह संदेश ग्रहण करके मस्तिष्क को पहुंचाते हैं। हालांकि, शरीर में कुछ ऐसे भी क्षेत्र होते हैं जहां दर्द महसूस करने वाले स्नायु नहीं के बराबर होते हैं। इसी कारण जैसे हड्डियां और मस्तिष्क के अंदर में जो बीमारियां होती है उन में दर्द महसूस नहीं हुआ करता। लेकिन, वह दर्द अंदर ही अंदर गांठ के रूप में बन जाता है जिसे हम ट्îमर कहते हैं। वही ट्मर आगे चल कर विभिन्न बीमारियों के रूप में उभर कर आता है और व्यक्ति को तभी पता चलता है जब ये बीमारियां अचानक से प्रकट होती हैं। इनमें दर्द भी तब होता है जब उससे जुड़ी किसी झिल्ली में रोग का लक्षण प्रकट होता है।
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सिर दर्द के विषय में कहा जाता है कि कभी-कभी मस्तिष्क को दर्द के बारे में गलत सूचनाएं भी मिलती हैं, जिसके कारण सिर दर्द होता है। जैसे मनुष्य का स्वभाव अक्सर भाव संवेदनाओं को प्रकट करने के लिए होता है और भावनात्मक रूप से जिनको पोषण नहीं मिलता या भावना के वेग के दुःख से दुःखी होते उनके सिर में तेज दर्द होने लगता है। सिर में अनेक प्रकार के उत्तक, अनेक प्रकार के टिश्यू होते हैं जिनसे विभिन्न प्रकार का सिरदर्द उत्पन्न हुआ करता है यह दर्द मांसपेशियों के तनाव और उनके परिवर्तन तथा मस्तिष्क की उत्तेजना के कारण भी हो सकते हैं अतः सिर दर्द का कोई एक कारण न होकर अनेक कारण हो सकते हैं इसलिए कभी-कभी लंबी चिकित्सा या अनेकों उपचारों के बाद भी कई बार सिर दर्द मिटता नहीं।
दुनियाभर में तनाव से उत्पन्न होने वाले सिर दर्द के कारण वर्तमान में सर्वाधिक लोग पीड़ित होते हैं। जबकि माइग्रेन आदि का सिर दर्द भी बड़ा तकलीफ देय व असाध्य रोग के रूप में जाना जाता है। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार कुछ हारमोंस की कमी के कारण भी माइग्रेन का दर्द हो जाता है।
इसके अलावा गर्भनिरोधक गोलियां भी महिलाओं में सिर का दर्द उत्पन्न करती है। जबकि दांत का दर्द चेहरे के उपरी भाग को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। दांतों में कैल्शियम और फास्फोरस की कमी होने से शरीर में दांत के मसूड़ों की जड़ें कमजोर हो जाती है, ऐसे में उनमें सूजन आकर दर्द होने लगता है और दांत का दर्द फैलते-फैलते पूरे मस्तिष्क में फेल कर भारी पीड़ा देता है।
आधुनिक युग में चाॅकलेट, चीनी, कई प्रकार की मिठाइयां, केमिकल के मिश्रण से बने तमाम प्रकार के खाद्य पदार्थ आदि के कारण मसूड़ों बीमारियां बड़ी तेजी से फैल रही है जिसमें छोटे से लेकर बड़े आयु वाले सभी लोग दांत के दर्द से परेशान हुआ करते हैं और केवल दर्द निवारक दवाइयां खा कर के दर्द का समाधान करते हैं।
नशीले पदार्थों में शराब, मार्फिन, अफीम, कोकीन आदि से तेज दर्द को कुछ समय के लिए तो ठंडा या शांत किया जा सकता है लेकिन उसके कारण शरीर में अन्य मानसिक बीमारियां, नाडी संबंधी बीमारियां और भी ज्यादा जटिल हो जाती हैं।
प्राथमिक अवस्था में यानी किसी भी बीमारी या दर्द की शुरूआत में ही उसका उपचार करवा लेना चाहिए और उसके पीछे के रोगों के मूल कारण को पहचानने का या जानने का प्रयास करना चाहिए और उस कारण को हटाना चाहिए। लेकिन, हमने अगर उपचार के नाम पर मात्र दर्द निवारक दवाओं से उस दर्द को आराम देने की कोशिश की तो हमारा रोग भीतर ही भीतर घातक बनता चला जाता है। यही कारण है कि आज सर्वसाधारण से लेकर सारा संसार इसी प्रकार के दर्द और बीमारियों से परेशान है।
आज भले ही चिकित्सा की दुनिया में दर्द निवारक दवाओं का सबसे ज्यादा अविष्कार हुआ है और हर डाॅक्टर द्वारा आने वाले किसी भी रोगी को तत्काल दर्द से राहत देने वाली दवाइयां दी जाती है, लेकिन इनके घातक परिणामों के कारण रोगी के शरीर में बीमारियां साधारण से बढ़ते-बढ़ते भयंकर कष्टप्रद व असहनीय होती चली जाती हैं।
अगर आप किसी भी प्रकार के दर्द और बीमारियों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो उनके कारणों को हटाइए और उन पर नियंत्रण का अभ्यास करें। उस दर्द को कुछ सहने का अभ्यास करें और रोग का मूल कारण हटते ही दर्द भी अपने आप चला जायेगा। प्रारंभिक चरण का और धीरे-धीरे उठने वाला दर्द आपके लिए एक सच्चा संदेशवाहक और बीमारियों की सूचना देने वाला हितेषी मित्र कहा जा सकता है। उस दर्द की सूचनाओं के आधार पर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे तो इसी में आपका कल्याण होगा।
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