प्रकृति एवं मानवीय रचनाओं से समृद्ध और महाराणा उदय सिंह द्वारा बसाये गये राजस्थान के एक प्रमुख शहर को आज हम सब उदयपुर के नाम से जानते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि राजस्थान में इससे सुंदर और आकर्षक शहर कोई ओर नहीं है।
अपनी पुरानी राजधानी चित्तौड़गढ़ पर मुगलों के लगातार आक्रमण से परेशान होकर महाराणा उदय सिंह ने पिछौला झील के तट पर अपनी राजधानी बनाई थी जिसे उदयपुर नाम दिया गया।
देश और दुनियाभर के पर्यटकों के लिए सबसे आकर्षक कहे जाने वाला उदयपुर के शानदार बाग-बगीचे, झीलें, संगमरमर के महल, हवेलियां इस शहर की शान में चार चांद लगाते हैं।
उदयपुर शहर आज अपने सौंदर्य के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां की हवेलियों और महलों की भव्यता को देखकर दुनियाभर के पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
उदयपुर के लोग, उनका व्यवहार, यहां की संस्कृति, लोक-गीत, लोक-नृत्य, पहवाने, उत्सव एवं त्योहारों में ऐसा आकर्षण है कि देशी-विदेशी पर्यटक, फोटोग्राफर, लेखक, फिल्मकार, कलाकार, व्यावसायी सभी यहां खिंचे चले आते हैं।
पिछौला झील के पूर्वी किनारे पर बने विशालकाय और भव्य सिटी पैलेस की परछाई पर्यटकों को रोमांचित करती है। यह महल राजस्थान के विशालकाय महलों में से एक है। पवित्र धूनी माता व राणा प्रताप का संग्रहालय इस महल के परिसर के दर्शनीय स्थल हैं। इसके अतिरिक्त उदयपुर में सिटी पैलेस के नजदीक ही भव्य जगदीश मंदिर है। इस मंदिर के नजदीक बाग, जग मंदिर, सज्जनगढ़ महल, कुंभागढ़ का किला, रनकपुर का जैन मंदिर और भारतीय लोक कला संग्रहालय भी है।
उदयपुर में प्रमुख आकर्षण का केन्द्र ऐतिहासिक लेक पैलेस है जो सन 1743 से 1746 के मध्य बनाया गया था। इसे देखकर लगता है मानो यह महल पिछौला झील में तैर रहा है। इस महल तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि, अब यह महल एक लग्ज़री होटल में बदल चुका है।
उदयपुर में बजट के अनुसार होटलों और रेस्तरां आदि की भी कोई कमी नहीं हैं देशी-विदेशी हर प्रकार के स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया जा सकता है। वैसे यहां का स्थानीय और खास व्यंजन है दाल-बाटी और चूरमा। इसके अतिरिक्त उदयपुर चटपटे और मिर्च-मसाले वाले भोजन के लिए भी जाना जाता है। यदि आप भोजन में मिच कुछ ज्यादा खा सकते हैं या पचा सकते हैं तो स्थानिय लोगों द्वारा खाए जाने वाली गट्टे की सब्जी, मिर्ची वड़ा और कचैड़ी का भी स्वाद चख सकते हैं।
उदयपुर में खरीदारी के लिए छोटे-बड़े बाजारों की कमी नहीं है मगर स्थानीय हाट और मेले यहां के आकर्षण का केन्द्र होते हैं। इन बाजारों में खूबसूरत कठपुतलियां, गुड्डे-डुड़िया, खिलौने, राजस्थान परिधान यानी हैंड प्रिन्ट बंधेज और बाटिक प्रिंट के वस्त्र, चद्दरें, लकड़ी के खिलौने, तरह-तरह के आकर्षक मिट्टी के बर्तन, दिवारों पर लगाने के लिए तरह-तरह की राजस्थानी पेंटिंग और कलाकृतियों की भरमार होती है जो आपको उचित दाम में मिल जाती हैं। इसके अतिरिक्त राजस्थान सरकार के हैंडीक्राफ्ट इंपोरियम, चेतक सर्कल, बापू बाजार, सिटी मार्केट, हाथी पोल और लेक पैलेस रोड जैसे बाजारों में घूमा जा सकता है और खरीदारी की जा सकती हैं इसके अलावा इस शहर में आपको जगह-जगह ऊंट की सवारी और घुड़सवारी का भी आनंद लेने को मिल जायेगा।
राज्य की राजधानी से उदयपुर की दूरी लगभग 400 किलोमीटर है। जबकि दिल्ली से यह दूरी लगभग 665 किलोमीटर और अहमदाबाद से 250 किलोमीटर है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए हवाई मार्ग से लेकर सड़क मार्ग और रेल मार्ग जैसे किसी भी मार्ग से आने में कोई परेशानी नहीं है।
अरावली की पहाड़ियों से घीरे और पांच मुख्य झीलों के इस शहर को देखने या घुमने-फिरने के लिए उत्तम समय वैसे तो सितंबर से अप्रैल का महीना ही सबसे अच्छा होता है मगर आप यहां किसी भी महीने में आयेंगे तो आपको देशी-विदेशी सैलानियों की भीड़ कम नहीं दिखेगी।