अजय सिंह चौहान || अगर आप उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन करने का मन बना रहे हैं तो यहां हम आपको बता दें कि उज्जैन, जिसका प्राचीन नाम उज्जयनी या अवन्तिका नगरी भी है, यह हिन्दू धर्म के लगभग सभी महत्वपूर्ण धर्मस्थलों से संबंधित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। क्योंकि उज्जैन, धार्मिक महत्व के लिहाज से सात मोक्ष पुरियों में से एक है। इसके अलावा उज्जैन का महत्व केवल धर्म के लिए ही नहीं बल्कि अध्यात्म, कला, साहित्य, संस्कृति और इतिहास के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध है।
उज्जैन कोई बहुत बड़ा या विकसित महानगर तो नहीं है, लेकिन, किसी महानगर से कम भी नहीं है। आज भी आप यहां के निवासियों की दिनचर्या में वही सैकड़ों वर्ष पुराने कला, संस्कृति, अध्यात्म और प्राचीन साहित्य के रंगों का असर देख सकते हैं।
उज्जैन में क्या है खास –
वैसे यहां हम यह भी बता दें कि, उज्जैन में श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के अलावा भी अनेकों मंदिर हैं जो सिद्ध और विश्व प्रसिद्ध हैं जिनमें – चिंतामन गणेश मंदिर, महर्षि सांदीपनि का आश्रम, जंतर-मंतर, प्राचीनकाल का सबसे अद्भूत और आश्चर्य चकीत कर देने वाला 52 कुंड, क्षिप्रा नदी का रामघाट, भगवान मंगलनाथ और देवी कढ़कालिका का प्रसिद्ध मंदिर।
इन सब के अलावा, यहां जो सबसे विशेष और आकर्षण का केन्द्र है, वो है इतिहास पुरूष सम्राट विक्रमादित्य के जीवन से जुड़े कुछ एतिहासिक तथ्य और प्रमाण। और ये सभी स्थान यहां उज्जैन शहर में लगभग 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में उपलब्ध हो जाते हैं।
उज्जैन कैसे पहुंचे –
अगर आप भी उज्जैन दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो बता दें कि, उज्जैन शहर के लिए, देश के हर भाग से और हर राज्य से रेल और सड़क मार्ग से आसानी से जाया जा सकता है। और, अगर आप यहां इंदौर की तरफ से आ रहे हैं तो यह आपको करीब 55 से 60 किलोमीटर दूर पड़ेगा। और अगर आप शाजापुर की तरफ से आ रहे हैं तो यहां भी आपको लगभग 60 किलोमीटर दूर ही पड़ेगा।
इसके अलावा, अगर आप भोपाल से उज्जैन की ओर आ रहे हैं तो भोपाल और उज्जैन के बीच की यह दूरी करीब 180 किलोमीटर है। लेकिन, अगर आप इससे भी थोड़ा दूर यानी अगर अहमदाबाद से उज्जैन के लिए आ रहे हैं तो यह दूरी करीब 400 किलोमीटर तय करनी होगी।
रतलाम से अगर आप ट्रेन के द्वारा उज्जैन आना चाहते हैं तो इसके लिए आपको करीब 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। लेकिन वहीं अगर आप सडक के द्वारा रतलाम से उज्जैन पहुंचेंगे तो उसके लिए करीब आपको 70 किलोमीटर चलना होगा।
लेकिन, अगर आपको उज्जैन पहुंचने के लिए हवाई जहाज का सहारा लेना हो तो उसके लिए यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर का अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा ही है, जो उज्जैन से करीब 55 से 60 किलोमीटर दूर है।
उज्जैन आने या जाने के लिए हर स्थान से कई निजी और रोडवेज की बसें चलती हैं, जिनमें एसी और नान एसी वाली हर प्रकार की सुविधाजनक होती है।
उज्जैन कब जाना चाहिए –
अगर आप अपने परिवार के बच्चों और बुजुर्गों के साथ उज्जैन जाकर श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो उसके लिए यहां जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर से अप्रैल के बीच का सुहावना मौसम ही हो सकता है। क्योंकि इसके अलावा बाकी के महीनों में यानी, मई से लेकर अगस्त के महीने तक तो यहां गर्मी का प्रकोप देखा जाता है। इसलिए बच्चों और बुजुर्गों के साथ ऐसे मौसम में यहां जाने पर थोड़ी परेशानी हो सकती है।
उज्जैन में कहां ठहरें –
ध्यान रखें कि उज्जैन में कोई बड़ा या आलिशान होटल आपको नहीं मिलेगा। लेकिन, क्योंकि यह एक धार्मिक महत्व का नगर है इसलिए यहां कुछ अच्छी और सुविधाजनक धर्मशालायें, छोटे-मोटे अनेकों होटल, लाॅज और अतिथि गृह जैसी सुविधायें सैकड़ों की संख्या में मिल जाती हैं।
इसके अलावा, अगर आप यहां श्री महाकालेश्वर मंदिर के पास ही में ठहरना चाहते हैं तो उसके लिए आपको यहां मंदिर प्रशासन द्वारा संचालित पंडित सूर्यनारायण व्यास धर्मशाला और महाकालेश्वर धर्मशाला में यह सुविधा उपलब्ध है।
लेकिन, उसके लिए आप को कोशिश करनी होगी कि उज्जैन आने से पहले ही इसकी आॅनलाईन बुकिंग करवा लें। क्योंकि यहां आने वाले अधिकतर श्रद्धालु इसकी ऑनलाइन बुकिंग करवा लेते हैं जिसके कारण अक्सर यहां कमरे खाली नहीं मिलते, या फिर ऐसा भी होता है कि आपको अपनी पसंद का स्थान नहीं मिल पाता। हालांकि, इस तरह की परेशानी किसी खास उत्सव या अवसर पर ही देखने को मिलती है।
अगर, आप श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा संचालित धर्मशाला में ठहरने के लिए कमरा लेते हैं तो उसके लिए आपको बिना एसी का कमरा 400 रुपये में और एसी कमरा 1200 रुपये तक में मिल जाता है।
इसके अलावा आप यहां 750 रुपये में एक फैमिली हाॅल भी बुक करा सकते हैं जिसमें कम से कम 8 सदस्यों के ठहरने का स्थान होता है। लेकिन अगर आप के साथ परिवार के सदस्यों की संख्या लगभग 15 तक है तो ऐसे में आप यहां एक बड़ा हाॅल भी बुक करा सकते हैं जिसका किराया आपको 1,200 रुपये तक देना होगा। लेकिन, ध्यान रहे कि अगर धर्मशाला द्वारा निर्धारित तय संख्या से अधिक व्यक्ति यहां आपके साथ ठहरना चाहते हैं तो इसकी सूचना संचालन से संबंधित कार्यालय में देनी होगी और 75 रुपये से लेकर 125 रुपये तक का अतिरिक्त शुल्क भी देना होगा।
इन धर्मशालाओं में वैसे तो कमरे मिल ही जाते हैं, मगर, फिर भी अधिकतर कमरों की बुकिंग करीब अगले एक सप्ताह पहले से ही हो चुकी होती है। लेकिन, अगर आप यहां श्रावण मास के विशेष अवसर पर जाते हैं तो धर्मशाला की यह बुकिंग लगभग असंभव ही होती है। क्योंकि इस अवसर पर श्रद्धालुजन यहां बहुत पहले से ही इसकी बुकिंग करवा लेते हैं। वैसे इसके अलावा मंदिर के आस-पास के किसी अन्य होटल या धर्मशाला में भी ठहरने के लिए आपको बजट के अनुसार अच्छी सुविधाओं वाले कमरे मिल जाते हैं।
लेकिन, अगर आप को श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा संचालित धर्मशाला में ही ठहरने का मन है तो इसके लिए आप भी ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा का लाभ ले सकते हैं।
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर समिति की ओर से संचालित इस वेबसाइट पर आनलाइन बुकिंग फार्म को भर कर आप वहां कमरे की उपलब्धता की जांच कर सकते हैं और बुक कर सकते हैं। (नोट: यहां बताये गए किसी भी प्रकार के खर्च का विवरण समय के साथ कम या अधिक होता रहता है इसलिए कृपया इसे निश्चित ना माने )
इन दोनों ही धर्मशालाओं में आनलाईन रुम बुकिंग के लिए वेबसाईट का लिंक देखें –
महाकालेश्वर के दर्शन –
अब बारी आती है श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शनों की। तो, दर्शन करने के लिए मंदिर में प्रवेश करने से पहले आपको प्रवेश द्वार के पास ही में लाॅकर सहित जूता-चप्पल स्टैंड भी नजर आ जाता है। इसके अलावा यहीं पर आपको प्रसाद और फूलों की सैकड़ों दूकानें भी देखने को मिल जाती है।
यहां आम दिनों में भी श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी लाइनें देखी जा सकती हैं जिसमें गर्भगृह तक पहुंचते-पहुंचते कम से कम दो से तीन घंटे का समय तो लग ही जाता है।
महाकालेश्वर के विशेष (वीआईपी) दर्शन –
अब हम बात करेंगे भगवान महाकाल के विशेष दर्शनों की। इस विशेष दर्शन को आप वीआईपी दर्शन भी कह सकते हैं। इस सुविधा के द्वारा, देश के कुछ अन्य प्रमुख मंदिरों की तरह ही यहां भी आपको 250 रुपये देकर वीआईपी दर्शन वाला पास लेकर एक विशेष प्रवेश द्वार से सीधे गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति मिल जाती है। लेकिन, ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया में भी कम से कम आधे घंटे का समय तो लग ही जाता है।
इस वीआईपी दर्शन का एक यही लाभ होता है कि इसमें आपको लंबी-लंबी लाइनों में लग कर दो से तीन घंटे तक का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस ‘वीआईपी दर्शन पास’ के लिए मंदिर में एक विशेष काऊंटर बनाया गया है। लेकिन अगर आप चाहें तो इस ‘वीआईपी दर्शन पास’ के लिए भी आॅनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
मंदिर की वेबसाईट पर दिये गये आॅनलाईन ‘वीआईपी दर्शन पास’ का लिंक यहां देखें –
http://dic.mp.nic.in/ujjain/mahakal/Darshan_Ticket/151_ticket.aspx?section_name=151%20Ticket
‘भोग’ महाकालेश्वर का विशेष प्रसाद –
श्री महाकालेश्वर के दर्शन करने के बाद जब आप बाहर आते हैं तो यहां आपको मंदिर के प्रांगण में प्रसाद के लिए एक विशेष काऊंटर बना हुआ दिखता है। उस काऊंटर से आप घर ले जाने के लिए प्रसाद खरीद सकते हैं।
इस प्रसाद की खासियत यह है कि महाकाल बाबा को चढ़ाए जाने वाले इस प्रसाद पर विशेष ‘’भोग’’ का टैग लगा हुआ है। यह टैग मंदिर में तैयार होने वाले प्रसाद की शुद्धता और खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथाॅरिटी आफ इंडिया, यानी एफ.एस.एस.ए.आई. ने महाकाल मंदिर के इस प्रसाद को ‘भोग’ यानी ‘ब्लिसफुल हाइजिनिक आफरिंग टू गाॅड’ का दर्जा दिया है।
यह विशेष प्रसाद यानी ‘‘भोग’’ प्रतिदिन लगभग 15 क्विंटल तक बिक जाता है। जिसमें, इसकी बिक्री, खास तौर पर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर निर्भर करती है। महाकाल मंदिर में इस प्रसाद को बेचने के लिए कुल पांच अलग-अलग काउंटर हैं।
आनलाईन प्रसाद ‘भोग’ के आर्डर की सुविधा –
वैसे यहां हम आपको एक और जानकारी दे दें कि, अगर आप किसी कारण से भगवान महाकाल के दर्शन करने नहीं जा पा रहे हैं और आपका मन करता है कि भगवान महाकाल का प्रसाद घर बैठे ही खाने को मिल जाये तो कितना अच्छा होता। तो ऐसी इच्छा रखने वाले श्रद्धालुओं के लिए श्री महाकालेश्वर ट्रस्ट ने आनलाईन आर्डर करने पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रसाद को आनलाइन आर्डर के द्वारा भेजने का भी विशेष प्रबंध किया है।
प्रसाद की इस आनलाईन सुविधा के अनुसार आपको मंदिर की वेबसाइट पर दिये गये एक फार्म को भरना होता है, जिसके बाद आर्डर करने पर आपको उस प्रसाद की कीमत के साथ-साथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा उस प्रसाद की कीमत के साथ उसके शिपिंग चार्ज यानी प्रसाद को भेजने का खर्च भी आपसे लिया जायेगा।
यदि आप भी भगवान महाकाल का प्रसाद यानी ‘‘भोग’’ आनलाईन आॅर्डर करके अपने घर मंगाना चाहते हैं और इस सुविधा का लाभ लेना चाहते हैं तो उसका लिंक यहां देखें –
http://dic.mp.nic.in/ujjain/mahakal/Prasad_Book/Prasad_order.aspx?section_name=Prasad%20Order
भस्म आरती में शामिल हो सकते हैं –
अब हम बात करेंगे भगवान महाकाल की सबसे दुर्लभ और विश्व प्रसिद्ध भस्म आरती की।
भस्म आरती दिन में एक ही बार होती है और यह प्रति दिन सुबह 4 बजे शुरू होती है। अगर आप भी भगवान महाकाल की उस सबसे दुर्लभ और विश्व प्रसिद्ध भस्म आरती में भी शामिल होना चाहते हैं तो उसके लिए आपको यहां पहले से ही इसकी बुकिंग करवानी होती है।
यह बुकिंग आनलाईन और आफलाइन दोनों ही प्रकार से होती है। आप चाहें तो सीधे मंदिर में जाकर काउंटर से इसकी बुकिंग करवा सकते हैं या फिर आनलाईन भी करवा सकते है। लेकिन, ध्यान रखें कि आनलाईन बुकिंग करवाने के बाद भी आपको वहां पहुंचकर, यानी, जिस दिन आरती में शामिल होना होता है उसके एक दिन पहले मंदिर में बने बुकिंग काऊंटर पर पहुंचकर आपको अपनी उपस्थिति की सूचना देनी होती है और वहां से एक विशेष प्रवेश टीकट या टोकन लेना होता है।
भस्म आरती में शामिल होने के लिए देशभर से लोग यहां आते हैं इसलिए यह बुकिंग पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर ही दी जाती है। इस बुकिंग के लिए आपको एक पहचान पत्र की फोटोकाॅपी के साथ वहां एक फार्म भकर कर जमा करवाना होता है।
फार्म स्वीकार हो जाने पर ही आपके पास मंदिर समिति की ओर उस फार्म पर दिये गए आपके फोन नंबर पर शाम के सात बजे के बाद एक एसएमएस से सूचना पहुंचती है। उस एसएमएस के बाद आपको मंदिर के काऊंटर पर जाकर वह मैसेज दिखाना होता है और टोकन लेना होता है। आरती में शामिल होने से पहले ध्यान रखें कि, इसमें महिलाओं के लिए साड़ी पहनना अनिवार्य है, जबकि पुरुषों को इसके लिए लूंगी या धोती पहनना पड़ता है।
अगर आप भी इस भस्म आरती में शामिल होने के लिए आनलाईन बुकिंग करना चाहते हैं तो भस्म आरती की आनलाईन बुकिंग का लिंक यहां देखें –
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि, इस भस्म आरती में शामिल होने के लिए अगले एक महीने से भी अधिक समय तक के लिए स्थान बुक हो चुका होता है, इसलिए अक्सर यहां तत्काल नंबर आना संभव नहीं होता। इसलिए यहां भस्म आरती में शामिल होने के लिए भी एक दिन अतिरिक्त लग सकता है।