अजय चौहान | कोरोना वायरस को अब संपूर्ण दुनिया चायनीज़ वायरस के नाम से जानने और पहचानने लगी है। चायनीज़ वायरस का नाम, दहशत और डर, इस समय देश और दुनिया के हर तबके, हर मजहब और हर क्षेत्र के हर व्यक्ति की जबान पर चढ़ चुका है। क्योंकि अब संपूर्ण दुनिया इस वायरस के खतरे को ना सिर्फ जान चुकी है बल्कि भूगत भी रही है। वे लोग जो कभी भी किसी से नहीं डरते थे अब अपने घरों में बैठकर इस महामारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। चायनीज़ वायरस के नाम से प्रसिद्ध यह कोरोना अब चीन से निकलकर दुनिया के हर देश में मौत का तांडव दिखा रहा रहा है।
कहां से आया कोरोना वायरस
चायनीज़ वायरस यानी कोरोना वायरस के कारण लगातार बढ़ रहे मौत के आंकड़ों के अलावा भी इस पर चल रही हर प्रकार की रिसर्च को लेकर दुनियाभर से दिन-प्रतिदिन कुछ न कुछ नये अपडेट्स सामने आते जा रहे हैं। चाहे देसी हो या विदेशी, हर छोटे-बड़े देश के डाॅक्टर और वैज्ञानिकों के विचार और तर्क-कुतर्क भी इस महामारी पर सुनने और पढ़ने को मिल रहे हैं।
तमाम तरह की खबरें उठ रही हैं कि कोरोना वायरस मूलतः चीन की लेब में विकसित किया गया एक जैविक हथियार है जो चीन के वुहान क्षेत्र में सबसे पहले सामने आया था।
शक किस पर हो रहा है
तमाम खबरों पर गौर करें तो पता चलता है कि अब तो डब्यू. एच. ओ. यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन का प्रमुख भी अब इस महामारी को फैलाने को लेकर शक के घेरे में आ चुका है। यानी आशंका है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख की मिलीभगत से ही चीन ने इस महामारी को दुनिया में फैलाया है।
विश्व स्वास्थ्य और विश्व पर्यावरण पर काम करने वाली कई गैरसरकारी संस्थाओं से जुड़े डाॅक्टर भी इसमें अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। कभी कहा गया कि यह वायरस चमगादड़ों से मनुष्यों में फैला है तो कभी कहा गया कि सांप को खाने से हुआ है।
दो हिस्सों में बंटा विश्व
इसमें कई विशेषज्ञ, डाॅक्टर और कुछ विशेष मीडिया घराने तो सिर्फ चीन को बचाने के खातिर ही अब दुनिया को भ्रमित कर रहे हैं और इसके लिए उल्टा अमेरिका को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। वहीं कुछ विशेषज्ञों ने यह भी माना है कि यह कोरोना वायरस चीन के द्वारा छोड़ा गया एक जैविक हथियार है इसलिए इसे कोरोना नहीं बल्कि ‘चीनी वायरस’ कहा जाय।
भारतीय मीडिया की भूमिका
‘चायनीज़ वायरस’ यानी कोरोना वायरस को लेकर भारतीय मीडिया जगत भी दो हिस्सों में बंट चुका है। अधिकतर प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया और वेब पोर्टल तो सीधे-सीधे चीन के पक्ष में ही उतर आये हैं और कोरोना वायरस को ‘चायनीज़ वायरस’ कहने पर भी चीढ रहे हैं। इसमें कई जाने-माने पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और राजनीतिक लोग शामिल हैं। जबकि मात्र कुछ ही मीडिया घराने हैं जो इस बात को मान रहे हैं कि यह कारसतानी चीन ही हो सकती है, क्योंकि इसको लेकर चीन ने कई प्रकार की अहम जानकारियों को दुनिया से छुपाया है और इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने भी उसका साथ दिया है।
कोरोना की भविष्यवाणियां
हालांकि कोरोना यानी ‘चीनी वायरस’ को लेकर अब कई प्रकार की भविष्यवाणियां भी सामने आ चुकी हैं जिसके अनुसार चीन के वैज्ञानिकों ने एक साल पहले ही इस प्रकार के किसी वायरस जैसी महामारी की चेतावनी दे दी थी। जबकि कुछ लोग कहते हैं कि इसकी भविष्यवाणी आज से करीब 40 साल पहले ही हो चुकी थी।
बहरहाल, इस समय तो सच्चाई क्या है और आगे आने वाला समय क्या होगा, इस विषय पर फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है।
भविष्य क्या होगा
कोरोना यानी चायनीज़ वायरस के कारण लगातार बढ़ रहे मौत के आंकड़ों के कारण संपूर्ण दुनिया में एक विशेष प्रकार के डर का माहौल पैदा हो गया है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह विश्व युद्ध से भी अधिक भयानक स्थित है। क्योंकि युद्ध की स्थिति में आम आदमी किसी भी सुरक्षित स्थात पर जा सकता है या फिर जंगलों में जाकर छूप सकता है। लेकिन, इस महामारी के कारण वह धरती के किसी भी कोने में अधिक दिनों तक सुरक्षित और जीवित नहीं रह सकता है। ऐसे में संभव है कि अगर समय पर इस महामारी से बचने के लिए किसी दवाई या टीके को नहीं खोजा गया तो संपूर्ण मानव जीवन का अस्तित्व ही समाप्त हो सकता है। जबकि कुछ का मानना है कि वर्तमान हालातों के अनुसार मात्र एक या दो देश की जनता ही सुरक्षित और शेष रह पायेगी और बाकी के सभी देशों और उनकी जनता का लगभग विनाश होना संभव है।