सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म, आज जिसे हिन्दू धर्म भी कहा जाता है, इसका करीब 20 अरब वर्ष (1,960,853,110) पूराना इतिहास है, और इसके इतने पुराने होने के ऐतिहासिक प्रमाण भी मौजूद हैं। भारत और आधुनिक पाकिस्तानी क्षेत्र की सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के ऐसे कई चिह्न मिलते हैं जिससे इसकी पुष्टि होती है। इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग और पीपल की पूजा जैसे कई प्रमाण आज भी प्रमुख हैं।
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों को आर्य कहा जाता था और उनका मूलस्थान भारत ही था। लेकिन, मात्र कुछ ही इतिहासकारों के एक अन्य दृष्टिकोण के अनुसार इस सभ्यता के अन्त के दौरान मध्य एशिया से एक अन्य जाति का आगमन हुआ, जो स्वयं को आर्य कहते थे और संस्कृत नाम की एक हिन्द यूरोपीय भाषा बोलते थे, हालांकि इसका कोई आधार नहीं है।
प्राचीन काल में भारतीय सनातन धर्म में गाणपत्य, शैवदेवःकोटी वैष्णव, शाक्त और सौर नाम के पाँच सम्प्रदाय होते थे। गाणपत्य गणेश की, वैष्णव विष्णु की, शैवदेवःकोटी शिव की, शाक्त शक्ति की और सौर सूर्य की पूजा आराधना किया करते थे। हालांकि, वे यह भी मानते थे कि ये सब एक ही सत्य या एक ही ईश्वर हैं। और यही बात ऋग्वेद बल्कि, रामायण और महाभारत जैसे लोकप्रिय ग्रन्थों में भी स्पष्ट रूप से कही गई है। अनादि काल से चले आ रहे सनातन धर्म में विष्णु, शिव और शक्ति को समान माना गया है।
‘सनातन’ ही हिन्दू धर्म का वास्तविक नाम है। सनातन‘ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला‘, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है, जो किसी जमाने में पूरे संसार में व्याप्त था। सनातन धर्म का सारा साहित्य वेद, पुराण, श्रुति, स्मृतियाँ, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता आदि संस्कृत भाषा में रचा गया है।
ऋग्वेद में इस बात को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि- यह पथ सनातन है। समस्त देवता और मनुष्य इसी मार्ग से पैदा हुए हैं तथा प्रगति की है। इसलिए, हे मनुष्यों आप अपने उत्पन्न होने की आधाररूपा अपनी माता को नष्ट न करें।
– अमृति देवी