एक तरफ जहां प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व की बदौलत एवं उनके मार्ग दर्शन के कारण 116 करोड़ जनता को मुफ्त कोरोना टीका लग चुका है और 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के कारण भारत को फिर से खड़ा करने में भरपूर सहायता मिल रही है वहीं दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार हर क्षेत्र में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ जंग में हर गरीब और बेबस को भी आशा की एक नई जिंदगी प्रदान की। जनधन योजनाओं में राशि, किसानों की मदद, मजदूरों को रोजगार, देश के करोड़ों गरीबों को मुफ्त राशन और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराने जैसी केंद्र सरकार की योजनाएं भारत को फिर से खड़ा करने में सहायक साबित हो रही हैं।
दिल्ली सरकार ने हर समस्या के लिए दूसरों पर दोष डालते हुए जनता में घबराहट का माहौल बनाने की चेष्टा की। न वैक्सीन की कमी थी, न आक्सीजन की कमी थी और न कोयले की कमी थी लेकिन केजरीवाल सरकार ने हर बार झूठ बोलकर पैनिक पैदा करने की कोशिश की।
यह दिल्लीवालों का दुर्भाग्य ही है कि आज दिल्लीवालों के पास न शुद्ध हवा है और न ही पानी। दिल्ली की हवा को जहरीला बना दिया गया है क्योंकि केजरीवाल सरकार ने समय रहते इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। इसके विपरीत दिल्ली सरकार प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली को ही दोष देती रही। दिल्ली सरकार ने एक घटिया षडयंत्र के तहत न सिर्फ पड़ोसी राज्यों के किसानों को बदनाम किया बल्कि अपनी अकर्मण्यता को भी छिपाने की कोशिश की।
प्रदूषण से निपटने के लिए 20 करोड़ रुपए की लागत से स्माॅग टावर लगाया गया लेकिन वह भी बंद पड़ा हुआ है। दिल्ली सरकार ने पराली से खाद बनाने के लिए 40 हजार रूपए का रासायनिक घोल खरीदा जिससे एक छंटाक भी खाद नहीं बनाई गई जबकि उसके विज्ञापन पर 15 करोड़ 60 लाख रुपए बर्बाद कर दिए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की यह कहते हुए भी पोल खोल दी कि वह जनता से टैक्स तो वसूल कर रही है लेकिन उस राशि का इस्तेमाल सिर्फ विज्ञापनों के लिए कर रही है। माननीय कोर्ट ने तो यहां तक भी कह दिया कि इस करतूत का आॅडिट कराना पड़ेगा। दिल्ली सरकार ने पिछले सात सालों में पर्यावरण सेस के रूप में 1439 करोड़ रुपया वसूल किया है लेकिन कोई नहीं जानता कि आखिर यह राशि कहां खर्च की गई?
यमुना नदी, प्रदूषण के कारण दिल्ली में कितनी मैली हो चुकी हैं। पूरे विश्व में दिल्ली की मैली यमुना की चर्चा हुई। केजरीवाल सरकार वायु प्रदूषण के अलावा यमुना के प्रदूषण को दूर करने में भी पूरी तरह नाकाम रही है। केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार को 2419 करोड़ रुपए दिए हैं लेकिन उस रकम का कोई हिसाब-किताब नहीं है।
केंद्र ने राज्यों से अनुरोध किया कि वे वैट कम करके जनता को राहत दें। 25 राज्यों ने ऐसा किया भी लेकिन दिल्ली सरकार ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुई।
दिल्ली में अब शराब के अड्डों की संख्या बढ़ाकर 3 हजार से भी ज्यादा की जा रही है। 849 दुकानों के अलावा लगभग एक हजार बैंक्वेट हालों को भी पक्के लाइसेंस दिए जा रहे हैं। इसके अलावा रेस्टोरेंट, बार और क्लबों में भी शराब के अड्डे खोले जा रहे हैं।
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दिल्ली में शराब परोसने का वक्त भी बढ़ा दिया गया है। अब तक आमतौर पर क्लबों, बार आदि में रात 11 बजे के बाद शराब सर्व नहीं की जाती थी लेकिन अब यह छूट रात तीन बजे तक कर दी गई है। दिल्ली में शराब ठेकेदारों का कमीशन 2 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है। शराब ठेकेदारों को यह छूट दे दी गई है कि वे कोई भी ब्रांड रखें, उसकी कितनी ही कीमत रखें और कितनी ही मात्रा रखें। यही नहीं, कहीं शराब नकली तो नहीं है, यह टेस्ट करने और फैसला करने का अधिकार भी शराब ठेकेदारों को दे दिया गया है।
लगता है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत राजधानी दिल्ली को शराब की राजधानी बनाने का निश्चय कर ही लिया है।दिल्ली की शराब नीति के तहत केजरीवाल सरकार लोगों को शराब पीने का तरीका सिखाएगी। महिलाओं के लिए अलग से दुकानें खोली जाएंगी। भाजपा इस तरह समाज को बर्बाद नहीं होने देगी और इस शराब नीति का पुरजोर विरोध करेगी।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद पिछले सात सालों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का भट्टा बैठ गया है। इन सात सालों में डीटीसी की एक भी बस नहीं खरीदी जा सकी। गौर करने लायक बात यह है कि बिना बस खरीदे ही पिछले सात सालों में डीटीसी का घाटा आठ हजार करोड़ से भी ज्यादा हो चुका है।
दिल्ली सरकार ने एक हजार बसें खरीदने के लिए जो टेंडर दिया, उसमें भी पांच हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है जिसकी सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है। उस पर भी चिंता की बात यह है कि दिल्ली में आज डीटीसी की जो 3760 बसें बची हैं, वे सभी अपनी उम्र पार कर चुकी हैं।
हैरानी की बात है कि दिल्ली सरकार ने 2015 में ही इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की योजना शुरू कर दी थी और इसके तहत दिल्ली को 400 इलेक्ट्रिक बसें दी जानी थीं। केंद्र ने इसके लिए वित्तीय सहायता भी दे दी लेकिन दिल्ली सरकार एक भी बस नहीं चला पाई।
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आज दिल्ली के 1200 सरकारी स्कूलों में से 750 स्कूलों में तो प्रिंसिपल ही नहीं हैं। 418 स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल भी नहीं हैं और कुल 24,500 शिक्षकों की कमी है। केजरीवाल सरकार सिर्फ स्कूलों में कमरे बनवाने पर जोर दे रही है ताकि बिल्डर को फायदा हो और चोर दरवाजे से उसकी अपनी जेब भी भरती रहे। केजरीवाल सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल जनता कोरोना के दौरान खुद ही देख चुकी है। दिल्ली सरकार ने एक हजार मोहल्ला क्लीनिक खोलने का वादा किया जिनमें से अब तक सिर्फ 450 ही खुल पाए हैं और उनमें से भी सिर्फ 150 ही काम कर रहे हैं।
दिल्ली सरकार सारा धन सिर्फ विज्ञापन और प्रचार पर उड़ा रही है और जनता के लाभ की विकास योजनाओं के लिए उसके पास फंड नहीं है। दिल्ली नगर निगमों के 13 हजार करोड़ रुपए की राशि का अब तक भुगतान नहीं किया गया। दिल्ली सरकार ने बजट में घोषणा के बावजूद ग्रामीण विकास बोर्ड की राशि जारी नहीं की।
दिल्ली में पिछले कई महीनों से पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। दिल्ली में रोजाना 1300 एमजीडी पानी की जरूरत है लेकिन दिल्ली के पास 800 एमजीडी पानी भी नहीं है। अधिकतर इलाकों में 24 में से सिर्फ 2 घंटे पानी की सप्लाई होती है। कई जगह पानी इतना गंदा आता है कि उसे पीना तो दूर, उससे साफ-सफाई भी नहीं हो सकती।
केजरीवाल सरकार दिल्ली में फ्री बिजली के नाम पर जनता को बेवकूफ बना रही है। आज दिल्ली में कमर्शियल बिजली औसतन 20 रुपए प्रति यूनिट और घरेलू बिजली औसतन 8.90 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से सप्लाई की जाती है जोकि देश में सबसे ज्यादा है। दिल्ली में फिक्स्ड चार्ज के नाम पर देश में सबसे ज्यादा 270 रुपए प्रति किलोवाट की दर से राशि वसूली जाती है।
जब सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में गरीबों को राशन मुहैया कराने के लिए कम्युनिटी किचन की बात की, तब भी यह सरकार गरीबों के लिए कुछ नहीं कर पाई। दिल्ली में करीब 60 लाख ऐसे लोग हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं। दिल्ली सरकार ने पिछले सात सालों में एक भी राशन कार्ड नहीं बनवा सकी। दिल्ली की वर्तमान स्थितियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि केजरीवाल सरकार हर मोर्चे पर फ्लाप है।
– हिमानी जैन, मंत्री- भारतीय जनता पार्टी, दरियागंज मंडल, दिल्ली प्रदेश