हमेशा से यह माना गया है कि भारत एक सांस्कृतिक और पारंपरिक देश है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारत की संस्कृति और सभ्यता दुनिया के सबसे धनी, और सभ्य संस्कृतियों में से एक है। जिसकी झलक हमें भारतीय ग्रंथों और पुराणों में देखने को मिल मिलती है। विभिन्न संस्कृति और परम्परा के रह रहे लोग यहां सामाजिक रूपों से स्वतंत्र हैं और इसी कारण से धर्मों की विविधता में एकता के मजबूत संबंधों का यहां अस्तित्व है।
भले ही भारत कितना भी आगे बढ़ जाए, लोग कितने भी आधुनिक हो जाएं, लेकिन आज भी ऐसी कुछ परंपरा और रीति-रिवाज हैं, जो सदियों से लोग निभाते आ रहे हैं और निभाते रहेंगे क्योंकि यही भारतीयों की पहचान है। कई लोग हमारी परंपराओं, हमारी संस्कृति और रीति-रिवाजों पर सवाल खड़े करते हैं कि यह बस हमारा अंधविश्वास है और कुछ नहीं। आइए जानते हैं, भारतीय संस्कृति की 20 ऐसी परंपराओं और रीति-रिवाजों के बारे में जिन पर लोगों का अंधविश्वास है और उनके इस अंधविश्वास के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से क्या महत्व है।
दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार करना –
हम भारतीय जब किसी से मिलते हैं तो अभिवादन के स्वरुप उसे हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। यह किसी भी अपरिचित और मेहमान से परिचय की शुरुआत करने का पहला चरण होता है साथ ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। जब दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है तो अंगुलियों के टिप्स आपस में जुड़ जाते हैं। यह टिप्स कानों, आंखों और दिमाग के प्रेशर पॉइंट होते हैं। जब दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है तो प्रेशर पॉइंट सक्रिय हो जाते हैं, जिससे आप किसी व्यक्ति को लम्बे समय तक याद रख पाते हैं।
महिलाओं द्वारा बिछिया पहनना –
बिछिया पैर की अंगूठी होती है। औरतों द्वारा बिछिया को पहनने का वैज्ञानिक महत्व यह है कि इससे खून की दौड़ान विनियमित रहती है। चांदी का बिछिया ध्रुवीय ऊर्जा को अवशोषित करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
माथे पर तिलक –
माथे पर तिलक लगाने का भी अपना महत्व है। आज भी जब कहीं पूजा होती है तो माथे पर तिलक से शुरुआत होती है। यह शरीर को एकाग्र बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा तिलक शरीर की ऊर्जा को नष्ट होने से बचाता है।
नदी में सिक्कों का फेंकना –
आपने अक्सर नदियों में लोगों को सिक्के फेंकते देखा होगा। नदी में सिक्के को फेंकना भाग्य के लिए अच्छा माना जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व यह है कि सिक्के कॉपर के बने होते हैं और जब हम इन्हें नदी में फेंकते हैं तो कई बार हमें नदी के पानी से कॉपर मिलता है। नदी का पानी-पीने के लिए उपयोग में लाया जाता है तो इससे शरीर में कॉपर का संतुलन बना भी रहता है।
मंदिरों में घंटी का लटकना –
ज्यादातर सभी मंदिरों के द्वार पर घंटी टंगी होती है, जिससे लोग मंदिर में प्रवेश और निकलते समय बजाते हैं। घंटी बजाने का वैज्ञानिक महत्व यह है कि जब भी इसे बजाया जाता है तो इसकी गूँज 7 सेकंड तक रहती है, यही गूँज हमारे शरीर की सात हीलिंग केंद्रों को सक्रिय कर देती हैं। जिससे हमारे दिमाग में आने वाले सभी नकारात्मक विचार ख़त्म हो जाते हैं।
खाने के बाद मीठा खाने की परम्परा –
अक्सर लोग खाना खाने के बाद मीठा खाना पसंद करते हैं। मसालेदार और चटपटा भोजन शरीर में पाचक रस और एसिड को सक्रिय करने में मदद करता है, जिससे शरीर में भोजन को पचाने की प्रक्रिया अच्छी तरह से चलती है। इसके बाद मीठा खाने से बनने वाले कार्बोहाइड्रेट पचे हुए भोजन को डाइजेस्ट करने में मदद करते हैं।
विवाह में हाथ और पैर में मेहँदी लगाना –
ऐसा देखा गया है, लड़के और लड़की की शादी से पहले पैर और हाँथ में मेहँदी की रस्म निभाई जाती निभाई जाती है। कहा जाता है कि मेहँदी लगाने से परेशानियाँ कम हो जाती है। इसलिए शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन के हाथों और पैरों में मेहँदी लगाई जाती है।
जमीन पर बैठ के खाना खाने की प्रथा –
खाना खाने की सबसे अच्छी विधि बैठ कर खाना खाना होता है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण यह है कि जब बैठ कर खाना खाया जाता है तो शरीर शांत रहता है और भोजन पचाने की क्षमता बढ़ती है। इससे मस्तिष्क को संकेत मिलता है कि भोजन पचने के लिए तैयार है।
उत्तर की दिशा में सर रखकर ना सोना –
हिन्दू धर्म में उत्तर की तरफ सर रखकर सोना अशुभ माना जाता है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण कहा जाता है कि जब हम उत्तर की तरफ सर रखकर सोते हैं तो पृथ्वी की तरह शरीर में चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण यह विषम हो जाता है। इसकी वजह से शरीर में ब्लड प्रेशर, सर दर्द, संज्ञानात्मक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कान छिदवाना –
भारत में कान छेदने की बहुत पुरानी परम्परा रही है। लड़कियां के ही नहीं अपितु कुछ लड़कों के भी कान छेद होते हैं। इसके पीछे यह वैज्ञानिक कारण दिया गया है कि कान छेदने से बोली भाषा में संयम आता है। ऐसा करने से गंदे विचार मन में नहीं आते है।
सूर्य नमस्कार करना –
जब भी योग की बात आती है तो सूर्य नमस्कार सबसे पहले ध्यान में आता है। योग के रूप में इसके काफी फायदे हैं। सूर्य नमस्कार करने से हमारी आँखें स्वस्थ रहती है। सूर्य नमस्कार हमारे शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है।
पुरुषों का चोटी रखना –
पुरुषों में मुंडन करने के बाद चोटी रखने का रिवाज है। इस बारें में महान चिकित्सक और आयुर्वेद के ज्ञाता सुश्रुति ऋषि ने कहा है कि इससे सिर के सभी नसों में गठजोड़ बना रहता है और इस गठजोड़ को अधिपति मरमा कहा जाता है।
व्रत रखना –
भारत में महिलाओं और पुरुषों द्वारा त्यौहार व अन्य मौकों पर व्रत रखने की बहुत पुरानी परम्परा है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण यह दिया जाता है कि मानव शरीर में 70% पानी होने के कारण व्रत रखने पर शरीर में विवेक को बनाए रखने की क्षमता आती है। व्रत रखने का एक कारण यह भी होता है कि पाचन तंत्र को कुछ समय के लिए आराम मिलता है।
झुककर चरण स्पर्श करना –
भारतीय परम्परा में झुककर पैर छूना बड़ों के प्रति सम्मान व्यक्त करने और आशीर्वाद प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। इस परंपरा के पीछे का वैज्ञानिक कारण है कि शरीर में मस्तिष्क से लेकर पैरों तक नसें होती हैं। जब किसी के पैर छूते हैं तो शरीर की ऊर्जा शक्ति आपस में जुड़ जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप शरीर में ऊर्जा आ जाती है।
विवाहित महिलाओं का सिन्दूर लगाना –
भारत में महिलाएं शादी के उपरांत माथे के बीच में सिंदूर लगाती हैं, जो उनके श्रंगार का एक हिस्सा होता है। यह विवाह की एक निशानी होती है। सिन्दूर हल्दी-चूने और पारा धातु के मिश्रण से बना होता है इसलिए इसे लगाने से शरीर में ब्लड प्रेशर बना रहता है। सिन्दूर में पारा मिला होने के कारण यह शरीर को दबाव और तनाव से मुक्त रखने में मदद रखता है।
पीपल के वृक्ष की पूजा करना –
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पीपल के पेड़ में न तो फल लगते है और न ही फूल, फिर भी हिंदू धर्म में इसे पवित्र माना गया है। लोग पीपल के पेड़ की पूजा भी करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पीपल ही एकमात्र ऐसा पेड़ है जो दिन के 24 घंटे वायुमंडल में आक्सीजन छोड़ता है। इसलिए किवदंती है कि इस पेड़ के महत्व के कारण हिंदू धर्म में इसे बहुत पवित्र माना गया है, जिसकी वजह से लोग इसकी पूजा करते है।
तुलसी के वृक्ष की पूजा –
पीपल के अलावा भारत में तुलसी के पेड़ को पूजने की बहुत पुरानी परम्परा रही है। यह महिलाओं द्वारा माँ की तरह पूजा जाता है। वैसे तुलसी एक प्रकार की औषधि है, जिससे कई बीमारियों में एक औषधि के तौर पर लिया जाता है। कहा जाता है, जहाँ तुलसी का पेड़ रहता है, वहाँ की वायु शुद्ध रहती है। तुलसी के पेड़ को घर में रखने से घर में मच्छर और कीड़े मकौड़े नहीं आते हैं।
मूर्ति पूजन –
हिंदू धर्म में जब भी घर में कोई नई मूर्ति आती है तो सबसे पहले उसका मूर्ति पूजन होता है और उसके बाद उसे स्थापित किया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मूर्ति की पूजा करने से प्रार्थना में एकाग्रता आती है। व्यक्ति मूर्ति को साक्षात मानकर भगवान की कल्पना करता है। इससे उसका दिमाग एक अलग ब्रह्माण्ड के बारें में सोचता है। इससे व्यक्ति की सोच विचार और अदृश्य शक्ति में विश्वास करने की क्षमता बढ़ती है।
महिलाओं का चूड़ी पहनना –
भारतीय महिलाओं के हाथों में चूड़ी और कंगन आमतौर पर देखा जाता है। इसके पीछे शोधकर्ताओं का मानना है कि कलाई शरीर का वह हिस्सा है, जिससे व्यक्ति की नाड़ी को चेक किया जाता है। इसके अतिरिक्त शरीर के बाहरी स्किन से गुजरने वाली बिजली को चूड़ियों की वजह से जब रास्ता नहीं मिलता है तो यह वापस शरीर में चली जाती है, जिससे शरीर को फायदा होता है।
मंदिरों में जाना –
मंदिर का वातावरण एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा करता है, जो वांछित उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। लोगों का मानना है कि मंदिरों में भगवान का वास होता है। यही कारण है कि भगवान अपने भक्तों की खातिर मंदिरों में प्रकट होते हैं। मंदिर में जाने से घंटों और मन्त्रों की ध्वनि से शरीर में तरंगे उत्पन्न होती हैं जो हमारी तंत्रिका तंत्र के भावों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मंदिर जाने से हम सकारात्मक भावों से भर जाते हैं जिसके चलते हम अपने काम को और बेहतर तरीके से कर पाते हैं।
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