Skip to content
30 June 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • भाषा-साहित्य
  • शिक्षा-जगत

पैसे कमाने और खर्च करने तक, क्या कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण

admin 15 July 2023
Sri Krishna Bhagwan
Spread the love

धन की आवश्यकता हर किसी को होती है। क्योंकि धन यानी रुपये-पैसे के माध्यम से हम अपनी जरूरत की हर एक चीज का प्रबंध कर लेते हैं। इसलिए चाहे वैदिक काल हो या आज का दौर। धन की आवश्यकता और महत्व हमेशा से हर किसी के लिए महत्वपूर्ण रही है।

हमारे शास्त्रों में धन के इस्तमाल और उसके महत्व के बारे में विभिनन प्रकार के उपायों को विस्तार से बताया गया है। साथ ही साथ यह भी बताया गया है कि यदि आवश्यकता पड़ने पर कर्ज लेना पड़ जाये तो उसके लिए नियत और नियम कया होने चाहिए, ताकि, आप कर्ज लिए हुए धन का सही और आवश्यकता के अनुसार उपयोग करते हुए, समय पर उसकी वापसी कर सकते हैं और भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से जूझना भी न पड़े।

धन के विषय में एक आम धारणा यही है कि जब हम और आप पैसे कमाते हैं तो किसी उद्देश्य से ही कमाते हैं। यानी धन की प्रकृति खर्च करने की होती है। लेकिन, हमारे शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि यदि मेहतन से कमाये हुए धन को उचित तरीके से खर्च नहीं किया जाता है तो यह उसका निरादर माना जाता है।

हमारे शास्त्रों में मुख्य रूप से बताया गया है कि धन कमाने के बाद ऐसे दो काम अवश्य करना चाहिए जिससे कि धन का निरादर न हो। और यदि ये दो काम नहीं किए गए, तो हमारे सामने इसके बुरे परिणाम भी आ सकते हैं। इनमें से पहला काम तो ये है कि – धन कमाने के बाद कमाई का कुछ हिस्सा गरीबों और जरूरमंदों को दान जरूर करना चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार, दान इसलिए करना चाहिए क्योंकि यदि आप ने किसी अनमाने में ही सही, अन्य के हिस्से का धन कमा लिया हो तो उसका एक छोटा अंश भी दान में देने से आप उसके दुष्परिणों से बच सकते हैं।

और दूसरा काम ये करना चाहिए कि धन कमाने के साथ-साथ आवश्यकता के अनुसार उसका भोग करना यानी खर्च करना भी आवश्यक होता है। क्योंकि धन कमाना ही मात्रा उद्देश्य नहीं बल्कि उसका खर्च करना और उसका कुछ अंश दान करना भी आवश्यक होता है।

जहां एक ओर, हमारे शास्त्रों में जहां एक ओर धन-दौलत को लेकर तमाम प्रकार के नियम बताये गये हैं वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे बड़ा धन अपने परिवार और कुटुंब को बताया है। और यह भी बताया है कि परिवार की प्रगति ही धन से कमाये हुए लाभ के समान होता है। साथ ही साथ, यहां भगवान श्रीकृष्ण ने यह भी कहा है कि परिवाररूपी धन सिर्फ उन्हीं लोगों को नसीब होता है जो इसको निस्वार्थ पाने की लालसा रखते हैं। और उसको संचय करने की क्षमता यानी अपने कुटुंब और परिवार को बनाए रखने और उसकी खुशहाली की लालसा रखता हो।

हमारे शास्त्र इस विषय में कहते हैं कि जो लोग धन का आवश्यकता से अधिक संचय करते हैं वे कंजूस होते हैं। क्योंकि ऐसे लोग अभाव में रहकर भी न तो स्वयं धन का भोग करते हैं और न ही किसी अन्य को उसका लाभ उठाने देते। ऐसे कंजूस लोग जल्द बर्बाद हो जाते हैं। इसलिए धन के साथ सुखी जीवन जीने वाले व्यक्ति सदैव आत्मसंतुष्ट, समृद्ध व खुशहाल बने रहते हैं।

#dharmwani

About The Author

admin

See author's posts

530

Related

Continue Reading

Previous: हे अर्जुन, तुम जो दृश्य देख रहे हो यह कर्मों का फल है
Next: इजरायली डाॅक्टरों ने एक पौराणिक घटना को साकार कर दिखाया

Related Stories

Indravijay An Old Book in Hindi Translation
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास

वेदों में भी इतिहास की भरमार है

admin 19 March 2025
Vidvaan Brahman
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष
  • शिक्षा-जगत
  • हिन्दू राष्ट्र

विद्वान ब्राह्मण एक फलदार वृक्ष के समान होता है

admin 19 June 2024
Think about
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • शिक्षा-जगत

हमारा विनाश कव शुरू हुआ था?

admin 5 June 2024

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078216
Total views : 142644

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved