Skip to content
27 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • अध्यात्म
  • धर्मस्थल

Omkareshwar Jyotirling : ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग के पौराणिक रहस्य

admin 9 January 2022
Omkareshwar & Mamleshwar Jyotirlinga Darshan

ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन

Spread the love

भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों मंदिरों में चैथे स्थान पर पूजे जाने वाला ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirling) मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह मंदिर नर्मदा नदी के किनारे मन्धाता या शिवपुरी नामक ओम के आकार में बने प्राकृतिक टापू पर है। पुराणों में इस टापू को ओमकार पर्वत पर कहा गया है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirling) की एक सबसे अनोखी बात यह है कि यह दो ज्योतिस्वरूप शिवलिंगों में विभक्त है, यानी दो अलग-अलग ज्योतिर्लिंगों में स्थापित है इसलिए इनके मंदिर भी अलग-अलग हैं। इनके नाम हैं ओमकारेश्वर और ममलेश्वर (Mamleshwar Jyotirling) हैं। इन दोनों मंदिरों में दर्शन करने पर ही एक ज्योतिर्लिंग की यात्रा पूरी मानी जाती है। इसमें से एक श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा के उत्तरी तट के टापू पर है जबकि श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर नर्मदा के दक्षिणी तट पर टापू से बाहर स्थित है।

नर्मदा के दक्षिणी तट पर स्थित श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mamleshwar Jyotirling) को पुराणों में अमलेश्वर या विमलेश्वर के नाम से जाना जाता है। नियमों और मान्यताओं के अनुसार पहले ओंकारेश्वर (Omkareshwar Jyotirling) का दर्शन करके लौटते समय अमलेश्वर-दर्शन किया जाना चाहिए, लेकिन यात्री चाहे तो सुविधा के अनुसार पहले अमलेश्वर का दर्शन कर सकते हैं और तब नर्मदा पार करके ओमकारेश्वर जा सकते हैं।

इसमें से नर्मदा नदी के टापू पर स्थित भगवान ओमकारेश्वर को स्वयभू ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ओमकारेश्वर के नाम के नाम के विषय में भी माना जाता है कि ओम के आकार वाले पर्वत पर होने के कारण इसे ओमकारेश्वर (Omkareshwar Jyotirling) नाम दिया गया। धर्मग्रंथों में बताया गया है कि ओमकारेश्वर और अमलेश्वर ज्योतिस्वरूप शिवलिंगों में 68 तीर्थों के देवी-देवता परिवार सहित निवास करते हैं।

Omkareshwar_Jyotirlinga Mandir
ओम के आकार में बने इस प्राकृतिक टापू को ओमकारेश्वर तीर्थ नगरी या ओमकार-मान्धाता के नाम पर भी पहचाना जाता है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirling) के दर्शनों के लिए आने वाले सर्वसाधारण भक्तों और श्रद्धालजुओं को इस बात की जानकारी नहीं होने के अभाव में किसी एक ही मंदिर में दर्शन करके लौट जाते हैं जिसकी वजह से उनकी इस ज्योतिर्लिंग की यात्रा अधूरी ही रह जाती है।

शिवपुराण में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अलावा श्री ओंकारेश्वर (Omkareshwar Jyotirling) और श्री ममलेश्वर (Mamleshwar Jyotirling) के दर्शन से पहले नर्मदा-स्नान के पावन फल का वर्णन भी विस्तार से किया गया है।

यहां दो ज्योतिस्वरूप शिवलिंग ओमकारेश्वर (Omkareshwar Jyotirling) और ममलेश्वर शिवलिंगों (Mamleshwar Jyotirling) को लेकर मान्यता है कि एक बार नारद मुनि विंध्य पर्वत पर पहुँच गये। विंध्य पर्वत ने बड़े आदर-सम्मान के साथ नारद जी का स्वागत किया और कहा कि मैं सर्वगुण सम्पन्न हूं, मेरे पास हर प्रकार की सम्पदा है, किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है।

विंध्य पर्वत के अहंकार को देखकर नारद जी ने उसके अहंकार का नाश करने की सोची। नारद जी ने विंध्य पर्वत को बताया कि तुम्हारे पास सब कुछ है, लेकिन मेरू पर्वत तुमसे बहुत ऊँचा है और उसके शिखर देवताओं के लोकों तक पहुंचे हैं। लेकिन, मुझे लगता है कि तुम्हारे शिखर वहां तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे। नारद जी की बात सुनकर विन्ध्याचल को अपनी गलती का एहसास हुआ।

Narmada in Omkareshwar
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा के उत्तरी तट के टापू पर है जबकि श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर नर्मदा के दक्षिणी तट पर टापू से बाहर स्थित है।

विंध्य पर्वत ने उसी समय निर्णय किया कि अब मैं वह भगवान शिव की आराधना और तपस्या करूंगा। इसके बाद उसने नर्मदा नदी के किनारे जहां आज ममलेश्वर शिवलिंग (Mamleshwar Jyotirling) स्थापित है उस स्थान पर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या शुरू कर दी। कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव उसकी तपस्या से प्रसन्न और विंध्य पर्वत को साक्षात दर्शन दिया।

भगवान शिव ने विंध्य पर्वत से वर मांगने के लिए कहा। जिसके बाद विन्ध्याचल पर्वत ने कहा कि भगवन यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं, तो कृपया मुझे कार्य की सिद्धि करने वाली अभीष्ट बुद्धि प्रदान करें और शिवलिंग के रूप में सदा-सदा के लिए यहां विराजमान हो जायें।

विन्ध्यपर्वत की याचना को पूरा करते हुए भगवान शिव ने वरदान दे दिया। उसी समय देवतागण तथा कुछ ऋषिगण भी वहाँ आ गये। देवताओं और ऋषियों के विशेष अनुरोध पर वहाँ स्थित ज्योतिर्लिंग दो स्वरूपों में विभक्त हो गया। जिसमें से एक प्रणव लिंग ओंकारेश्वर (Omkareshwar Jyotirling) और दूसरा पार्थिव लिंग ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mamleshwar Jyotirling) के नाम से प्रसिद्ध हुए।

यदि पौराणिक और पारंपरिक तरीके से ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirling) की यात्रा की जाये तो यह यात्रा मूलतः तीन दिन की मानी जाती है और तो इन तीन दिनों की यात्रा में यहाँ के सभी तीर्थ आ जाते हैं।

नर्मदा के दक्षिणी तट पर जो बस्ती है उसे विष्णुपुरी के नाम से जाना जाता है। जबकि ओमकारेश्वर (Omkareshwar Jyotirling) नगरी का मूल और पौराणिक नाम ‘मान्धाता‘ ही है। पुराणों के अनुसार सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा किनारे इस ओम पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं ओमकार पर्वत पर निवास करने का वरदान माँग लिया। इसीलिए उस महान राजा मान्धाता के नाम पर ही इस पर्वत का नाम मान्धाता पर्वत हो गया और यह प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओमकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी।

– अजय सिंह चौहान

About The Author

admin

See author's posts

3,539

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: Pushpa the Rise ने तोड़ दिया मुम्बईया दादागिरी का घमंड
Next: ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर संरचना का संपूर्ण इतिहास | Omkareshwar

Related Stories

Harivansh Puran
  • अध्यात्म
  • विशेष

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

admin 20 April 2025
RAM KA DHANUSH
  • अध्यात्म
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रम्

admin 19 March 2025
SRI VISHU JI ON GARUD
  • अध्यात्म
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

गरुडगमन तव चरणकमलमिह

admin 14 March 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081300
Total views : 148102

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d