Skip to content
13 June 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • विशेष
  • हिन्दू राष्ट्र

आधुनिक संविधान के शासक और प्राचीन राज व्यवस्था

admin 2 October 2024
BANGLADESHI HINDUS AND INDIAN PRIME MINISTER
Spread the love
महाभारत का कथन है कि राजा का प्रमुख कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना, और यदि कोई राजा प्रजा की रक्षा नहीं कर सकता है तो ऐसे राजा को हटा देना चाहिए। यदि राजा अपने राष्ट्र, धर्म और प्रजा की रक्षा नहीं कर सकता हो तो ऐसे राजा को किसी भी प्रकार से हटाना आत्मरक्षा कहलाता है और आत्मरक्षा से ही संसार में जीवित रहा जा सकता है। अतः राजा को सर्वप्रथम प्रजा की रक्षा पर ध्यान देना चाहिए और शान्ति की सुव्यवस्था करनी चाहिए।
राजा जब तक अपने राज्य में शत्रुओं को नष्ट नहीं करेगा, तब तक शान्ति की स्थापना नहीं हो सकती है। अतः वेदों में अनेक मन्त्रों के द्वारा राजा को शत्रुनाशन का आदेश दिया गया है। ऐतरेय ब्राह्मण ने राज्याभिषेक के समय ही राजा का कर्तव्य बताया है ‘अमित्राणां हन्ता’ अर्थात् शत्रुओं को नष्ट करे। इसी प्रकार से यजुर्वेद का कथन है कि राक्षसों और पापियों के नाश के लिए तुझे राजा बनाया गया है, न की सत्ता भोगने के लिए। राजा के लिए स्पष्ट आदेश है कि वह शत्रु की सेना पर विजय प्राप्त करे और उपद्रवी एवं कपटी लोगों को उसी युद्ध भूमि में नष्ट करे। राज्याभिषेक के समय भी प्रार्थना की जाती है कि राजा शत्रुओं को सर्वथा समाप्त कर दे। राजा अपने शत्रुओं को पैर से रौंद दे।
राजा का कर्तव्य हे कि यह सदा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करे तथा कभी पराजित न हो। अथर्ववेद में भी यही बात कही गई है कि राजा शत्रुओं को समूल नष्ट कर दे। जो कोई भी आम नागरिकों और स्त्रीजाति के प्रति कुदृष्टि रखता है, समाज से वैरभाव रखता है, जो पापी हैं, जो गाय को केवल पशु समझता हो, राष्ट्र के मूलधर्म को नहीं मानता हो या चोर-उचक्के हैं, उनको भी राष्ट्र का शत्रु ही माना जाय और उनको भी नष्ट कर दे।
प्रजापालन के लिए वेदों में लिखा है कि राजा का प्रमुख कर्तव्य है – प्रजा का पालन, रक्षण और संवर्धन। इसलिए कहा गया है कि ‘राजा प्रकृति – रञ्जनात्’ अर्थात् प्रजा को प्रसन्न करने से ही राजा कहा जाता है। यजुर्वेद का कथन है कि – ‘प्रजाः पाहि’ अर्थात् प्रजापालन राजा का कर्तव्य है।
एक अन्य मंत्र में कहा गया है कि प्रजा राजा को पूर्ण सहयोग दे और राजा प्रजा को सभी प्रकार से संरक्षण दे। वेदों में यह भी कहा गया है कि राजा का कर्तव्य है कि वह प्रजा को इस प्रकार संरक्षण दे कि प्रजा को किसी प्रकार की कोई हानि न पहुँचे।
महाभारत में इस विषय का भी बहुत सुन्दर वर्णन है कि राजा सात रूप में प्रजा का पालक होता है – वह माता, पिता, गुरु, रक्षक, अग्नि, कुबेर और यम है। अर्थात राजा इन सभी रूपों में प्रजा का पालक है। अतः एक राजा माता भी है और पिता भी। इस लिए प्रजा का अहित करने वालों को जलाता अर्थात दंड देने का अधिकार रखता है, अतः अग्नि है। दुष्टों का दमन करता है और उन्हें नियन्त्रण में रखता है, अतः यम है। सज्जनों और विद्वानों को खुलकर दान देता है, अतः कुबेर है। धर्म और अनुशासन की शिक्षा देता है, अतः गुरु है। प्रजा का संरक्षण करता है, अतः रक्षक (गोप्ता) है। जो राजा धर्म का पालन करता है और सारी प्रजा को प्रसन्न रखता है, उसका राज्य कभी अस्थिर नहीं होता।
राजा का कर्तव्य है कि वह स्वतंत्र हो। उसका देश स्वतंत्र हो। स्वराज्य की स्थापना हो। अतएव ऋग्वेद के एक पूरे सूक्त के मंत्रों में ‘अर्चन् अनु स्वराज्यम् ’ कहकर स्वराज्य की प्रशंसा की गई है। यजुर्वेद में राज्याभिषेक के समय ‘स्वराज स्थ’ कहकर राजा को आदेश है कि वह स्वराज्य की स्थापना करे।
(वेदों में राजनीतिशास्त्र से)

About The Author

admin

See author's posts

175

Related

Continue Reading

Previous: कम्युनिस्ट होकर भी इंदिरा गाँधी ने वेद-पुराणों का कर्तव्य निभाया
Next: नेता, चादर, फादर के साथ ब्राह्मण का मुकाबला

Related Stories

Natural Calamities
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

admin 28 May 2025
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

admin 27 May 2025
Teasing to Girl
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

admin 27 May 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

077971
Total views : 142008

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved