Skip to content
5 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • Uncategorized
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

उर्दू की उत्पत्ति और प्रचलन का वैदिक सम्बन्ध

admin 17 September 2024
Asian Countries of India
Spread the love

अजय सिंह चौहान || पश्चिम भारत यानी आज के अफगानिस्तान, तुर्की ईरान आदि में ऋज्राश्व नाम के कोई ऋषि थे। जरदस्त्र नाम का उनका एक दौहित्र अर्थात नाती था। वह ब्राह्मणों से द्वेष रखता था। ये बात है मंत्र निर्माण-काल की, अर्थात संभवतः त्रेता युग की।

ब्राह्मणों से द्वेष रखने के कारण वह यहां से पश्चिम दिशा की और चला गया और आज के अरब देशों की भूमि पर रहने लगा। वहाँ जाकर उसने ब्राह्मणों से संबंधित प्रचलित ब्राह्मी लिपि को छोड़कर, विपरीत यानी उल्टे क्रम से लिखी जाने वाली खरोष्ठी भाषा जिसे आज की उर्दू भाषा कहा जाता है उस लिपि की कल्पना की और उसे साकार भी कर दिया। जबकि वहाँ पहले से ब्राह्मी लिपि चलती थी। ब्राह्मी लिपि बाँई ओर से दाहिनी ओर लिखी जाती है, जबकि खरोष्ठी लिपि दाहिनी ओर से बांई ओर लिखी गई। स्वभाव और प्रकृति के अनुरूप ही खरोष्ठी लिपि शाकद्वीप तथा अन्य देशों में खूब प्रचलित हुई।

आगे चलकर इसी खरोष्ठी लिपि के विकार से अनेक लिपियाँ भी उत्पन्न होती चली गई। जरदस्त्र के अनुयायी लोगों का आचरण भी इसी लिपि के समान विपरीत था इसलिए स्वभावतः उन लोगों में यह जल्दी फैलने लगी। आगे चलकर वहां से कई लोग भारत भूमि पर आए और अपने साथ उस खरोष्ठी भाषा और लिपि को भी लाए।

भारत में भी धीरे धीरे खरोष्ठी लिपि व्यवहार में आने लगी। जबकि यहां पहले से ब्राह्मी लिपि चल रही थी। इस प्रकार यहां दोनों प्रकार की लिपियों का चलन और प्रचार हुआ जिसके कारण धीरे-धीरे ब्राह्मी तथा खरोष्ठी दोनों ही लिपियों में कुछ-कुछ विकृतियाँ आने लगीं।

पांडवों के वंशजों ने कलियुग में कितने वर्षों तक राज किया?

हालाँकि इस बात को हजारों वर्ष बीत चुके थे, किन्तु फिर भी खरोष्ठी लिपि भारत भूमि पर उतना प्रभाव नहीं डाल पाई थी जितना की उसने अरब के क्षेत्रफल में विस्तार किया था। क्योंकि देवभूमि होने के कारण भारतीय क्षेत्रफल नकारात्मक स्वभावों और लोगों से दूर रहता था, इसी कारण खरोष्ठी लिपि को यहां पनपने का उचित अवसर नहीं मिल पाया था।

किंतु जैसे जैसे यहां सनातन धर्म से अन्य पंथ निकलने लगे वैसे-वैसे खरोष्ठी लिपि का प्रभाव भी बढ़ने लगा, और भारत भूमि पर इसका आम लोगों के बीच प्रचार-प्रसार और उपयोग तब शुरू हुआ जब चंद्रगुप्त मौर्य के पोते और बिम्बसार के पुत्र सम्राट अशोक ने अपने शाशनकाल में बौद्ध अनुयाइयों को भारत भूमि पर शरण दी और उनका खूब सहयोग भी किया। उसका खामियाजा ये हुआ कि उन बौद्धों के कारण हमारी सीमाएं कमजोर होने लगीं और तभी पश्चिम भारतीय यानी आज के अफगानिस्तान, तुर्की ईरान आदि क्षेत्रों की सीमाओं से खरोष्ठी भाषी अर्थात म्लेच्छ लोग आसानी से भारत में प्रवेश करने लगे और सनातन संस्कृति, भाषा और भूमि पर कब्ज़ा करने लगे। हालाँकि बावजूद इसके आज भी भारतीय भाषाएँ सुरक्षित है, भले ही आज हमारी मूल भाषाओं को वो सम्मान प्राप्त नहीं है।

About The Author

admin

See author's posts

234

Related

Continue Reading

Previous: पांडवों के वंशजों ने कलियुग में कितने वर्षों तक राज किया?
Next: ऐन्द्र और वारुण का प्राचीन भारत

Related Stories

Natural Calamities
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

admin 28 May 2025
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

admin 27 May 2025
Teasing to Girl
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

admin 27 May 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078302
Total views : 142861

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved