मात्र एक भविष्य पुराण ही नहीं बल्कि अन्य पुराणों में भी इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि कल्कि का अवतार कलयुग समाप्त होने के कुछ वर्षों पूर्व ही होगा और कलयुग की कुल अवधि 4 लाख 32 हजार वर्ष है। पुराणों में यह भी स्पष्ट लिखा है कि भगवान कल्कि का अवतार गंगा और यमुना की भूमि के बीच के स्थान पर ही होगा और जहां (सम्भल) आज इन्होंने कल्कि अवतार का मंदिर बनाया हुआ है पौराणिक तथ्यों के अनुसार वह फर्जी है, और यह बात मैं बहुत पहले भी बता चुका हूं।
अगर कोई भविष्य मालिका पर भरोसा कर रहा है तो ऐसे एपिसोड यानी ऐसी घटनाएं जो भविष्य मालिका में दी गई हैं वे इस कलियुग में लगभग हर 5 से 6 हजार साल और लगभग हर 10,000 वर्षों बाद होती ही रहेगी। और यह कोई बहुत बड़ी घटनाएं नहीं होगी। साधारण घटनाएं ही होंगी, ताकि कलयुग को कंट्रोल किया जाता रहे और सुचारू रूप से जीवन चलता रहे, जैसा कि आज देख पा रहे हैं।
केवल सजावट नहीं है माथे का तिलक…
यदि आज-कल घट रही कुछ या सभी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय या फिर हर एक घर-आंगन में घटने वाली कुछ अमानवीय और अजीब सी घटनाओं से कोई विचलित हो जाता है तो समझ लीजिए कि ये तो कलियुग का प्राकृतिक स्वभाव है। अर्थात ये तो साधारण सी बातें हैं। क्योंकि श्रीहरि विष्णु ने स्वयं ही “कलि” को इसका आशीर्वाद दिया है कि समय आने पर मैं तुम्हारे अनुयायियों को उत्पन्न कर दूंगा ताकि तुम उनके माध्यम से कलियुग पर शासन कर सको।
यदि भविष्य मालिका पर आप विश्वास कर रहे हैं तो बता दूं कि यदि वे भविष्यवाणियां सच साबित होती भी हैं तो भी इसमें स्वयं श्री हरि विष्णु कल्कि अवतार लेकर नहीं आएंगे, बल्कि कई ऋषि-मुनि (अठ्ठासी हजार) ऐसे हैं जो इस धरती पर चारों युगों तक रहते हैं और वे ही स्थानीय स्तर पर समस्याओं का समाधान करते रहते हैं। विष्णु तो कल्कि अवतार में केवल कलयुग के अंत में ही आएंगे।
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