Skip to content
6 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • अवसरवाद
  • स्वास्थ्य

दिल्ली को ‘शराबियों की नगरी’ बनाने की कोशिश | Wine shops in Delhi

admin 28 December 2021
wine shops in delhi
Spread the love

भारतीय सभ्यता-संस्कृति में अनादिकाल से ही लोगों को सदैव यह बताया जाता रहा है कि मदिरा से व्यक्ति का न सिर्फ शरीर और अर्थ बर्बाद होता है, बल्कि उसकी आत्मा भी अपवित्र हो जाती है। मदिरा के नशे में व्यक्ति क्या-क्या कर सकता है, यह सभी को पता है। ऐसी स्थिति में प्रश्न यह उठता है कि जब मदिरा से कोई लाभ नहीं है और उसके नुकसान ही नुकसान हैं तो शासन-प्रशासन के स्तर पर इसे बढ़ावा देने का कार्य क्यों किया जाता है? गुजरात एवं बिहार जैसे राज्यों में तो मदिरा पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, उसके बावजूद वहां किसी न किसी बहाने तमाम लोग शराब का जुगाड़ कर ही लेते हैं। जिन राज्यों में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध है, वहां जब लोग जुगाड़ कर लेते हैं तो उन राज्यों में क्या होगा, जहां इस पर पूरी तरह छूट होगी।

हम सभी को पता है कि पंजाब एवं कुछ अन्य प्रांतों के युवा किस कदर नशे की चपेट में हैं। इस दृष्टि से यदि देश की राजधानी दिल्ली की बात की जाये तो यहां की सरकार ने दिल्ली को पूरी तरह शराब नगरी बनाने का मन बना लिया है। यह बात कही-सुनी बातों पर आधारित नहीं है बल्कि ऐसा कहने एवं लिखने के पीछे कुछ ठोस वजह है। दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति का विश्लेषण करने के बाद तो कुछ ऐसा ही कहने एवं लिखने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के मुताबिक दिल्ली में 849 शराब के ठेके खुल रहे हैं, जबकि इसके पहले दिल्ली में शराब की लगभग 260 दुकानें थीं। चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री आरविंद केजरीवाल कहा करते थे कि अगर मोहल्ले की महिलाएं मना करेंगी तो शराब के ठेके नहीं खुलेंगे, किन्तु आज स्थिति यह है कि न तो महिलाओं की सुनी जा रही है, न ही आर.डब्ल्यू.ए. एवं अन्य संगठनों की कोई बात सुनी जा रही है।

सत्ता में आने से पहले केजरीवाल ने अपनी पुस्तक ‘स्वराज’ में लिखा था कि वह रिहायशी क्षेत्रों में शराब की नई दुकानें नहीं खुलने देंगे। दिल्ली सरकार की नई नीति से पहले 80 नगर निगम वार्डों में एक भी शराब की दुकान नहीं थी किंतु अब नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली के सभी 280 वार्डों में शराब की तीन-तीन दुकानें खोली जा रही हैं। इसके अलावा रेस्टाॅरेंट, बार, होटल, बैंक्वेट हाल, हवाई अड्डे, माल और ऐसे अनेक स्थानों पर शराब के अड्डों को खोलने की इजाजत दी गई है। इस तरह देखा जाये तो दिल्ली में शराब की बिक्री लगभग चार हजार स्थानों पर होने लगेगी।

पहले की आबकारी नीति के तहत विद्यालयों, धार्मिक स्थलों एवं अस्पतालों के करीब शराब की दुकानें नहीं खुलती थीं किन्तु अब विद्यालयों, धार्मिक स्थलों एवं अस्पतालों के आस-पास भी शराब की नई दुकानें खुल रही हैं। यदि विश्लेषण किया जाये तो स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि इससे कानून व्यवस्था तो बिगड़ेगी ही, साथ ही साथ कितने घर-परिवार बर्बाद होंगे, इस संबंध में कुछ कहना मुश्किल है। आज दिल्ली का प्रत्येक निवासी यह जानना चाहता है कि आखिर दिल्ली सरकार दिल्ली को शराब के नशे में क्यों डुबाना चाहती है?

बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। दिल्ली सरकार ने शराब के ठेकेदारों का कमीशन दो प्रतिशत से बढ़ाकर बारह प्रतिशत कर दिया है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि ठेकेदारों का कमीशन दस प्रतिशत बढ़ाने के एवज में केजरीवाल सरकार ने भारी भ्रष्टाचार एवं घोटाला किया है। वास्तव में एक बात विचारणीय यह है कि जब ठेकेदार दो प्रतिशत कमीशन पर ही काम करके खुश थे तो उसे बढ़ाकर बारह प्रतिशत क्यों किया गया? ऐसे में लोगों के मन में आशंका पैदा होना स्वाभाविक है कि ठेकों के आवंटन में हेरा-फेरी या लेन-देन का खेल जरूर हुआ होगा।

लोगों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि आखिर दिल्ली सरकार दिल्ली में शराब के इतने अधिक ठेके बढ़ाने में रुचि क्यों ले रही है? पंजाब के पिछले विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल वहां जाकर कहा करते थे कि पंजाब में यदि उनकी सरकार आई तो पंजाब को नशामुक्त किया जायेगा, किन्तु क्या दिल्ली को नशामुक्ति की आवश्यकता नहीं है।

प्राचीन काल से ही एक कहावत प्रचलित है कि यदि किसी का घर बिगाड़ना हो तो पहले अपना पैसा लगाकर उसके घर के बच्चों को शराब पीने की आदत डलवाई जाये। जब उस घर के बच्चे शराब पीने के पूर्ण रूप से आदी हो जायेंगे तो फिर अपने आप शराब की जुगाड़ कहीं न कहीं से स्वतः कर लेंगे, इसके बाद तो कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

भारत में अनेक ऐसे लोग हैं जो अपने पड़ोसियों का घर बर्बाद करने के लिए इसी तरह की योजना उपयोग में लाते हैं। यह बात सभी को पता है कि शराब एक ऐसी बुराई है जो दूसरी बुराइयों को जन्म देती है। इससे समाज में अपराध बढ़ता है, लोगों का स्वास्थ्य खराब होता है, सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती हैं। लोगों की शारीरिक क्षमता घटती है। जब लोगों की शारीरिक क्षमता घटेगी तो उससे राष्ट्रीय उत्पादकता भी प्रभावित होगी। अंततोगत्वा इसका प्रभाव देश पर ही पड़ता है।

शराब से घरेलू हिंसा बढ़ती है, घर-परिवार की आर्थिक स्थिति चैपट होती है और इससे सबसे बुरा प्रभाव देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। बिहार में जब पूर्ण शराबबंदी लागू हुई तो उसके बाद वहां एक सर्वे के माध्यम से देखने को मिला कि अपराध में भारी कमी आई, महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ, घरेलू हिंसा में कमी आई, बच्चों की स्थिति सुधरी। पहले जब शराबबंदी नहीं थी तो कमाई का बड़ा हिस्सा लोग शराब पीने में लगा दते थे जिससे घर की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चैपट हो जाती थी।

बिहार में तो यहां तक देखने को मिला कि शराबबंदी के बाद रोड एक्सीडेंट में 58 प्रतिशत की कमी आई और अपराधों में 57 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही लीवर और किडनी की बीमारी में 34 प्रतिशत की कमी आई है। साथ ही घरेलू हिंसा में भी 54 प्रतिशत की कमी आई है।

अब सवाल यह उठता है कि जिन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी है तो वहां की अर्थव्यवस्था क्या पूर्ण से रूप से ध्वस्त हो चुकी है? जब वहां की सरकारें बिना शराब की कमाई के शासन-प्रशासन ठीक से चला सकती हैं तो दिल्ली सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती? अतः दिल्ली सरकार को अपनी नई आबकारी नीति पर पुनः विचार करना चाहिए जिससे राजधानी दिल्ली को शराब नगरी बनाने से बचाया जा सके।

– हिमानी जैन, मंत्री- भारतीय जनता पार्टी, दरियागंज मंडल, दिल्ली प्रदेश

About The Author

admin

See author's posts

703

Related

Continue Reading

Previous: राम भक्त श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा | Hanuman Chalisa
Next: कोरोना (Corona) से सावधान रहने की जरूरत

Related Stories

war-and-environment-in-hindi
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

admin 23 May 2025
Villagers under a tree in India
  • मन की बात
  • स्वास्थ्य

निरपेक्ष आर्थिक विकास के मार्ग पर भारत

admin 25 February 2025
Fotisn
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Fortis Hospital Noida : फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा में पहली बार रोबोटिक ने किया किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी

admin 16 January 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078330
Total views : 142939

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved