![Jagadguru Shankaracharya ji performed Narmada Aarti on the birth anniversary of Mother Narmada](https://i0.wp.com/dharmwani.com/wp-content/uploads/2024/02/Jagadguru-Shankaracharya-ji-performed-Narmada-Aarti-on-the-birth-anniversary-of-Mother-Narmada.jpg?fit=945%2C630&ssl=1)
रायसेन | आज (शुक्रवार 16 फरवरी) माँ नर्मदा जयंती प्राकट्योत्सव है। मान्यता है कि इसी तिथि पर मां नर्मदा का जन्म हुआ था। आज के दिन नर्मदा नदी में स्नान, दीपदान और पूजा-पाठ करने का महत्व है। इस अवसर पर ग्राम मोतलसिर (जिला रायसेनरायसेन) में, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज जी ने भी नर्मदा के तट पर बैठ करके माँ नर्मदा का पूजन किया और ग्राम कुसुमखेड़ा में भगवान श्री सत्यनारायण के मंदिर में महाराज श्री का पादुका पूजन हुआ।
इस शुभ अवसर पर महाराज जी के साथ कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी भी उपस्थित रहे इस। जगद्गुरु शंकराचार्य जी के दर्शन करने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने महाराज श्री के दर्शन का लाभ प्राप्त किया। जबकि, इससे पहले यानी 15 फ़रवरी को जगद्गुरु शंकराचार्य जी नर्मदा तट नारदेश्वर तीर्थ, मोतलसिर में उपस्थित थे जहां उन्होंने कथा प्रवचनों के माध्यम से सैकड़ों सनातनी भक्तों को जागरूक किया और सनातन का महत्त्व बताया।
यहां यह बात भी जान लेना चाहिए कि कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज के साथ नर्मदा जयंती के प्राकट्योत्सव के अवसर पर देखने के बाद कई हिन्दुओं को आश्चर्य भी हो रहा है। कई लोगों का कहना है कि अगर देवकीनंदन ठाकुर जगद्गुरु शंकराचार्य जी के साथ दिख सकते हैं तो अन्य कथावाचक क्यों नहीं दिखाई देते? तो ऐसा मानने और सोचने वालों को यहां ये बात भी जान लेना चाहिए कि हमारे शंकराचार्य जी एवं कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी आरएसएस के कथावाचक नहीं, बल्कि सनातन धर्म के लिए प्रतिनिधि के तौर पर जागरूकता का कार्य कर रहे हैं। और क्योंकि सनातन धर्म कोई संस्थान या किसी राजनीतिक पार्टी का नाम नहीं है इसलिए इसमें बहुत ही काम लोगों को ऐसा करते या अपने दम पर धर्म के लिए कार्य करते देखा जा सकता है। जबकि संघ एक अब्राहमिक और विदेशी मानसिकता से प्रेरित तथा संचालित संस्थान है और सनातन धर्म से इसका कोई लेना-देना नहीं है। यही कारण है कि कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज उन विदेशी ताकतों से दूर रहते हैं और शुद्ध सनातन के कार्य करते हैं।