देश में जिस तरह लगातार वृद्धाश्रमों में आने वालों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में इस बात की चिंता बढ़ती जा रही है कि युवा पीढ़ी के लोग सिर्फ मैं, मेरी पत्नी और मेरे बच्चों तक सीमित होते जा रहे हैं। हालांकि, बहुत से युवा अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन बहुत अच्छी तरह कर भी रहे हैं किन्तु एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि युवा पीढ़ी को जितना अधिक संस्कारी बनाने का काम होगा, वृद्धाश्रमों में आने वालों की संख्या उतनी ही कम होती जायेगी।
हमारी सभ्यता-संस्कृति में इस बात के लिए कोई स्थान नहीं है कि जिनके पास भरा-पूरा परिवार है, वे अपना बुढ़ापा वृद्धाश्रमों में काटें। इस प्रकार की अधिकांश समस्याएं संस्कारों की कमी से बढ़ रही हैं। अतः, आज आवश्यकता इस बात की है कि युवा पीढ़ी को अधिक से अधिक संस्कारित करने का कार्य किया जाये। यह कार्य जितने व्यापक स्तर पर होगा, उतना ही अच्छा होगा और उसका समाज को लाभ भी मिलेगा।
वैक्सीन के प्रति फैलाया जा रहा दुष्प्रचार ठीक नहीं
पिछले करीब डेढ़ वर्षों से पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना से त्रस्त है। इसका अभी तक कोई इलाज नहीं ढूंढ़ा जा सका है। सुरक्षा कवच के रूप में हमारे देश के वैज्ञानिकों ने बहुत ही परिश्रम करके वैक्सीन तैयार की। हालांकि, वैक्सीन दुनिया के अन्य देशों ने भी बनाई है किन्तु हमारे देश में दुभाग्यपूर्ण स्थिति यह देखने को मिल रही है कि कुछ लोग वैक्सीन के प्रति गलत और निराधार अफवाहें एवं भ्रम फैला रहे हैं।
अफवाह एवं भ्रम फैलाने वालों में तमाम लोग ऐसे भी हैं जो छिप कर अपने तो वैक्सीन लगवा युके हैं परंतु अन्य लोगों को गुमराह कर रहे हैं। जो भी लोग इस प्रकार का कार्य कर रहे हैं, उन्हें इस प्रकार की हरकतों से बचना चाहिए और सभी लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। वैक्सीन महामारी रोकने में बहुत कारगर साबित होगी।
– अरविन्द त्रिपाठी, दरियागंज (दिल्ली)