Skip to content
7 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • भाषा-साहित्य
  • षड़यंत्र

हस्ती तो कब की मितानी शुरू हो चुकी है लेकिन…

admin 14 April 2023
KARAN ARJUN & MAHARANA PRATAAP

ऐसा लगता है कि इन्दीवर ने यह गीत किसी विशेष व्यक्ति या समाज के प्रभाव और दबाव में आकर लिखा था

Spread the love

 

जो सभ्यता और संस्कृति अपने अतीत को संभल कर नहीं रख पाती उसका हश्र क्या होता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस बात के तमाम उदहारण मौजूद हैं। हालाँकि हिन्दू समाज आज भी उस एक कहावत को बेवजह बिना कुछ सोचे समझे रटता रहता है जिसमें कहा जाता है कि- “हस्ती है की मिटती नहीं।” जबकि सच तो ये है कि हस्ती तो कब की मितानी शुरू हो चुकी है। यदि विश्वास न हो तो यहाँ देख लें और खुद ही तय करें की क्या सच है और क्या नहीं।

उदहारण के लिए वर्ष 1995 में राजपूत पृष्ठभूमि पर बनी एक की फ़िल्म आई थी “करण-अर्जुन” जिसमें एक गीत था –

“छत पे सोया था बहनोई, मैं तन्ने समझ के सो गई।
मुझको राणाजी माफ करना, गलती म्हारे से हो गई।।”

इस फ़िल्म के आने से पहले तक “राणाजी” मात्र के शब्द ही नहीं बल्कि विशेषण और अत्यंत रौबदार तथा सजीले, मर्यादित और सभ्य व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता था, और प्रायः राजस्थान के जितने भी लोकगीत हैं उनमें राणाजी, यानी महाराणा प्रताप अथवा मेवाड़ के महाराणाओं के लिए प्रयोग किया जाता था। मात्र इतना ही नहीं बल्कि, वीर सम्राट महाराणा प्रताप के सम्पूर्ण संघर्षमय जीवन को सम्बोधित कर, ठेठ ग्रामीण स्त्रियां और गोड़िया लुहार आदि सभी अपने विरहा में उस दर्द को गाते रहते थे। इसके अलावा, मीराबाई के कई भजनों में भी यही सम्बोधन पड़ने और सुनने को मिलता है।

लेकिन बॉलीवुड का एक गीतकार जिसका पूरा नाम था श्यामलाल बाबू राय उर्फ़ इन्दीवर। उसी इन्दीवर ने एक गीत लिखा और उस गीत में विशेषतौर पर “राणाजी” शब्द पर जोर दिया। ऐसा लगता है कि इन्दीवर ने यह गीत किसी विशेष व्यक्ति या समाज के प्रभाव और दबाव में आकर लिखा और न सिर्फ उस हिन्दू सम्राट को बल्कि उस सम्राट पूजने वालों को भी नीचा दिखाने के लिए इस गीत को जानबूझ कर लिखा था। इन्दीवर ने उस गीत में “राणा” को जोड़कर जिस प्रकार से अश्लील अर्थ प्रचारित किया, एक श्रेष्ठ शब्द का न सिर्फ भयंकर उपहास हुआ बल्कि अपमान भी हो गया।

यह भी सच है कि वह जमाना आर्केस्ट्रा का था, इसलिए उन दिनों रात भर फरमाइश पर इसी गीत की ताल पर बड़े घरों की बेटियां नाचती रहती थीं। गीत के बोल पर पढ़े-लिखे और सभ्य शहरी लोग भी सबसे अधिक मजे ले लेकर थिरकते देखे जा रहे थे. लेकिन इसका अर्थ इतना घटिया यह बात बहुत ही कम लोग जानते थे।

उधर राजस्थान के किसी भी गांव में उक्त शब्द को गाना या गुनगुनाना तो दूर, बोलना भी पाप और अपराध था। ऐसा नहीं था की सरकार या कोई कानून इसको बुरा मानता था, बल्कि सच तो ये है कि आज भी राजस्थान के किसी भी गांव में इस गीत या इस प्रकार के बोल आदि को असभ्य, अनैतिक, संस्कारहीन, और जिहादी मानसिकता माना जाता है।

राजपूत योद्धा कैसे करते थे धर्म बचाने के लिए बलिदान

जिन शहरी लोगों को यह मनोरंजन से भरपूर गीत लगता है और बहनोई के साथ सोना, मुँह काला करवाना एक साधारण सी बात लगती है उसके ठीक एकदम उलट, किसी भी सभ्य ग्रामीण समाज और जीवन के लोगों के बीच बहनोई के साथ सोना या मुँह काला करवाना जैसे शब्दों को सुनकर आज भी तलवारें चल जाती हैं अथवा सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है।

इस प्रकार के घ्रणित और घटिया गाने को लेकर किसी शहर में रहने वाले लोगों को अफसोस भले ही नहीं हुआ हो, लेकिन ग्रामीण जीवन के लिए यह एक प्रकार का बहुत बड़ा अपमान साबित हुआ और आज भी हो रहा है. बावजूद इसके शहरी लोग इस गाने पर खूब थिरकते रहे और संस्कारों की खिल्ली उड़ाते रहे और तत्कालीन भारतीय समाज ने खुलकर नाच किया और मर्यादा तार-तार होती रही।

आज भी जिस प्रकार से राजस्थान के राजपूत समाज में एक असंतोष और अपमान की टीस सी दिखती है उसका कारण यह भी है कि भारत की जिहादी फ़िल्म इंडस्ट्री ने राजस्थान के राजपूतों को ऐसे ही प्रतीकों से जोड़कर इतना कुप्रचार फैलाया और शेष समाज उस पर मजे लेता रहा।

हद तो तब हो गई जब इसके बाद फिल्म “जोधा-अकबर” और फिर “पद्मावती” जैसी फ़िल्में आईं और इन फिल्मों के द्वारा राजस्थानी संस्कृति और मर्यादा आदि का अवमूल्यन चरम पर पहुंच गया। राजस्थान के वे लोग जो कभी “राणाजी” शब्द सुनकर आँखों में आक्रोश और हृदय में तड़प अनुभव करता था, अब वहां अश्लील फब्तियां ही बच गईं हैं।

अकबर महान जब मेवाड़ की किरणदेवी से हार गया

हालाँकि राजपूतों का यह दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि राजपूतों द्वारा ही पालित राजस्थान के मुस्लिम “मंगनियार” कलाकारों ने भी कई ऐसे गीत लिखे और गाये जिनमें राजपूत योद्धाओं की वीरता के बजाय अपमान ही हुआ। ओर तो ओर, वीरता की प्रतीक भूमि उदयपुर को भी मात्र झीलों की एक सुन्दर और पर्यटन की नगरी बना कर रख दिया गया है।

एक ऐसा ही गीत था जो थार रेगिस्तान के लोक संगीतकार के रूप में मुस्लिम मंगनियार कलाकारों द्वारा गाया जाता था, जिसमें कहा गया कि “राणा तू अलबेले ना धोखो मते दए!” यानी इस लोकगीत में भी महाराणा को कहा गया है कि तुम अकबर को धोखा मत देना और उसकी बात मान लेना।

आज के दौर में राजपूती वेश और संस्कृति को जिस प्रकार से आधुनिक रूप देकर, उसका अश्लील और फूहड़ तरीके से नृत्य प्रचारित किये जा रहे हैं और जिस प्रकार से जनता तालियां बजाये जा रही है यह मार्ग न सिर्फ राजस्थान के लिए बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए पतन का कारण बनने जा रहा है।

बॉलीवुड आज जो पाप आर रहा है उसकी सजा उसे तो नहीं लेकिन उसी समाज को मिल रही है जो इसको देख और सुन कर खूब तालियाँ बजा रहा है। इस महाभयंकर पाप की कोई सजा आज तक बॉलीवुड में किसी को भी नहीं मिली, जबकि हिन्दू समाज धीरे-धीरे पतन की और चला जा रहा है।

हिंदुओं को अपनी सांस्कृतिक और गौरवशाली धरोहर व विरासत आदि को संजो कर रखना ही होगा, नहीं तो हमारी संस्कृति से होने वाला खिलवाड़ किसी के लिए व्यावसाय और किसी के लिए मृत्यु का कारण बन जाएगा। हमें ये भी ध्यान रखना होगा कि इसके लिए वे लोग आगे नहीं आने वाले है जो खुद हमारा नाश करने पर तुले हुए हैं।

– गणपत सिंह चौहान, खरगोन (मध्य प्रदेश)

About The Author

admin

See author's posts

554

Related

Continue Reading

Previous: सनातन में १०८ की संख्या का महत्त्व
Next: हिन्दुओं पर हमले अभी और बढ़ेंगे, नोट कर लीजिए

Related Stories

Natural Calamities
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

admin 28 May 2025
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

admin 27 May 2025
Teasing to Girl
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

admin 27 May 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078369
Total views : 143042

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved