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ज्ञानगंज से बाहर आकर दो दिन तक चलने के बाद…

admin 16 June 2023
Gyanganj - Mystical Yoga and Supernatural Gyanganj of Tibet
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एक संत ने अपनी ज्ञानगंज की यात्रा के दौरान स्वयं के साथ घटित कुछ प्रमुख और महत्त्व पूर्ण घटनाओं एवं विषयों को एक पुसतक के रूप में प्रकाशित किया है पेश है उसी का एक संक्षिप्त अंश –

“दूसरे दिन भी दिव्यकैवल्य ने यहाँ आहार नहीं लिया। सिर्फ मेरे लिए वहाँ उस दिन भोजन बनाया गया। जब भी भोजन की बात दिव्यकैवल्य से करता, तभी कहते- पाँच दिनों पहले ही तो आहार लिया था। छह दिनों पहले ही तो खाया। मुझे बताया गया कि वह बिल्कुल भी निराहारी हो, ऐसा नहीं है। चलना-फिरना करने पर 9-10 दिनों के अन्तर में और साधनाकाल में 20-25 दिनों के अन्तर में आहार लेता है।

तब भी क्या तेज है उसमें! सोचा नहीं जा सकता! साथ में रह कर देखा है कि रात में भी नहीं सोते। निद्राजयी दिव्यकैवल्य! रात में जब भी देखा, वह ध्यान मुद्रा में बैठे मिले या टिक कर अर्द्धशयनित अवस्था में। असीम अनन्त में उनकी चिन्ता चेतना है।

महायोगी हैं वो। दिन के समय में आलोचना के दौरान योगशास्त्र हो, गुरुपरम्परा विद्या, जिससे मैं अनभिज्ञ था, उनकी विशेष प्रयोगकला देख कर मेरा जीवन धन्य और समृद्ध हो गया। योगियों के अलावा किसी और के समक्ष उन बातों का उल्लेख वर्जित है। इसलिए यहाँ वे वार्तालाप अप्रकाशित हैं।

अगले दिन 18 हजार फीट की ऊँचाई को पार कर 16 हजार फीट पर उतर आए। यही ज्ञानगंज की घाटी है। सरकते-सरकते यह ताकलाकोट के 80-90 किलोमीटर पश्चिम में सरक आया। मेरा अनुमान सटीक है। ये सोच कर विवेचना कर रहा हूँ कि ज्ञानगंज की परिधि से बाहर आकर दो दिन तक चलने के बाद भारत-तिब्बत सीमा लिम्पीयाधूरा पहुँचे थे। लिम्पीयाधूरा से डेढ़ दिन में पहुँचा आई.टी.बी.पी. की आखिरी सीमा चौकी जालिंकंग में।

(“तिब्बत का रहस्यमयी योग व अलौकिक ज्ञानगंज” पुस्तक से)

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