हममें से कई लोग, अक्सर गरीब होने का रोना रोया करते हैं। लेकिन, हम इस रहस्य के पीछे का कारण जानना ही नहीं चाहते कि आखिर गरीबी क्या है, और यह किसके पास आती है? और गरीबी के पीछे का कारण क्या है? लेकिन, अगर यहां हम एक पौराणिक कथा को आधार माने तो हमारे सामने उसका कारण स्पष्ट रूप से आ जाता है कि गरीबी क्या है और गरीबी का रहस्य क्या है? हमारे धनवान होने या हमें सदैव प्रसन्न रखने के लिए माता लक्ष्मी हमारे घरों में किस रूप में और कब और कैसे पधारतीं हैं?
एक पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार से है कि एक बार इंद्रदेव के मन में यह जानने की इच्छा हुई कि – आखिर कुछ लोग इतने गरीब क्यों होते हैं? और उनकी गरीबी के पीछे का रहस्य क्या है? अपने इसी तरह के कुछ प्रश्न लेकर इंद्रदेव माता लक्ष्मी के पास पहुंचे और उनसे आग्रह किया कि- हे माता। कृपया मेरी जिज्ञासा को शांत करें कि आखिर आपकी पूजा-आराधना तो सभी मनुष्य करते हैं, गरीब भी और धनवान भी, फिर भी आप उन सभी गरीबों पर अपनी कृपा क्यों नहीं बरसातीं? कृपा करके गरीबी के पीछे के इन रहस्यों को उजागर करें।
इंद्रदेव की जिज्ञासा को शांत करते हुए माता लक्ष्मी ने उनके प्रश्नों के उत्तर देना प्रारंभ किया, और इसके पीछे के कुछ महत्वपूर्ण रहस्यों का असली कारण भी उजागर करना प्रारंभ किया।
माता लक्ष्मी ने अपने रहस्यों को उजागर करते हुए इंद्रदेव के प्रश्नों के उत्तर देना प्रारंभ किया और बताया कि- हे इंद्रदेव। मैं भगवान विष्णु की अर्धागिनी हूं। इसलिए मात्र मेरी पूजा-आराधना के साथ-साथ व्यक्ति को भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना भी करनी अवश्यक है। लेकिन, मृत्युलोक के अधिकांश मनुष्य धन और वैभव की लालसा को मन में पाले रहते हैं जिसके कारण वे सिर्फ मेरी ही पूजा-अर्चना करते रहते हैं। जबकि मुझसे पहले तो उन लोगों को भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। क्योंकि जब वे लोग भगवान विष्णु को प्रसन्न कर लेंगे तो, भगवान विष्णु भी उन मनुष्यों पर अपनी कृपा करेंगे। और जब भगवान विष्णु की कृपा उन मनुष्यों पर होगी तो मैं तो स्वयं ही विवश होकर वहां भगवान विष्णु की अर्धांगिनी के रूप में पहुंच जाऊंगी।
माता लक्ष्मी ने आगे कहा कि- यदि कोई मनुष्य भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए धन की लालसा को छोड़ कर अपने धर्म के अनुरूप, अपने आचरण और व्यवहार के साथ मन की शांति और जगत कल्याण हेतु भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं तो यह उनके अच्छे कर्म माने जाते हैं। और जब उनके कर्म अच्छे होंगे, भाषा पर संयम होगा, आचरण और व्यवहार उचित होगा, तो उनके घर-परिवार के सदस्यों के मन में भी शांति और प्रसन्नता का वास होगा और अन्य लोगों के प्रति प्रेमभाव भी पनपेगा। और जब किसी भी व्यक्ति के घर-परिवार में प्रेमभाव और प्रसन्नता का वातावरण रहेगा, तो वहां भगवान विष्णु का वास स्वयं ही हो जायेगा। और जब भगवान विष्णु वहां वास करेंगे, तो मैं तो भगवान विष्णु की अर्धागिनी हूं। मुझे तो वहां बिना बुलाये ही आना पड़ेगा। और जब मैं भगवान विष्णु के साथ ऐसे घर-परिवारों में वास करती हूं तो वहां का वातावरण सदैव प्रेमभाव और प्रसन्नता का ही बना रहता है और फिर वहां कभी भी गरीबी नहीं रह पाती।
इंद्रदेव ने आगे पूछा कि है माता लक्ष्मी आपकी कृपा कितने रूपों और कैसे प्राप्त हो सकती है? तो इसके उत्तर में माता लक्ष्मी ने आगे कहा कि व्यक्ति गरीब अमीर अपने कर्मों से ही बनता है। जिसके कर्म और व्यवहार दूसरों के प्रति मान-सम्मान में सदैव नत-मस्तक रहते हैं उन लोगों पर मैं सदैव अपनी कृपा बनाये रखती हूं। लेकिन, लोभी, लालची, पाखंडी और दुष्ट लोगों के पास मुझे घुटन होने लगती है। क्योंकि ऐसे लोग मेरे द्वारा दिये गये कृपा रूपी धन, अच्छे वस्त्र, आलीशान भवन और स्वादिष्ट व्यंजनों आदि का दिखावा सदा दूसरों को जज्जीत करने के लिए तथा स्वयं को बड़ा साबित करने के लिए करते रहते हैं। जिसके कारण वहां मेरा अपमान होता है। इसलिए मैं उन पर से धीरे-धीरे अपनी कृपा वापस ले लेती हूं।
इसके अलावा माता लक्ष्मी ने आगे कहा कि- मेरी कृपा सदैव वहीं रहती है जिन घरों में सदैव सुख शांति होती है और और परिवार के सभी सदस्य आपस में मिल जुलकर रहते हों। लेकिन, जिन घरों में दिन-रात क्लेश और लड़ाई झगड़े का माहौल बना रहता है। ऐसे लोग मेरी पूजा-अर्चना चाहे कितनी ही क्यों ना कर लें वहां मैं कभी नहीं ठहर सकती।
लक्ष्मी मां ने आगे कहा कि- मेरे अनेक रूपों में से एक रूप अन्न-भोजन भी है। कुछ लोग क्रोध आने पर परोसी हुई भोजन की थाली को भी फेंक देते हैं। और इस तरह की आदतें धन, वैभव एवं पारिवारिक सुख के लिए अति नुकसानदायक होती हैं। इसलिए जहां कहीं भी अन्न का किसी भी रुप में अपमान होता है वह मेरा ही अपमान होता है, और ऐसे लोगों के पास मैं कभी नहीं ठहर सकती।
इसीलिए हमारे शास्त्रों में भी यही कहा जाता है कि जिस स्थान या जिस परिवार में शांति का वातावरण होता है वहां हमेशा लक्ष्मी का वास होता है और जहां लक्ष्मी का वास होता है उन घरों के सदस्य कभी भी घमंड नहीं करते। इसके उदाहरण के लिए हम अपने ही देश के सबसे बड़े उद्योगपति अंबानी परिवार के मुखिया मुकेश अंबानी का उदाहरण भी देख सकते हैं। आज कुछ लोग भले ही अंबानी परिवार को भला-बुरा क्यों न कहते हों, लेकिन, सच तो ये है कि वे आज भी अपने धर्म और माता लक्ष्मी के प्रति उतने ही आदर और श्रद्धाभाव रखते हैं जितना कि माता लक्ष्मी ने इंद्रदेव को अपनी कृपा के बारे में बताया है। इसलिए हमें भी मुकेश अंबानी से कुछ अच्छी आदतें सिखनी चाहिए।
– अमृति देवी