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हज़ार स्तंभ वाले मंदिर का सबसे अनोखा इतिहास | Thousand Pillars Temple in Hyderabad

admin 21 February 2021
Thousand-Pillars-temple-in-Hyderabad
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अजय सिंह चौहान | हैदराबाद शहर से करीब 150 किमी की दूरी पर स्थित, 1000 स्तंभों वाला मंदिर तेलंगाना राज्य के लिए यूनेस्को विश्व धरोहरों की सूची में सबसे खास महत्व रखता है। स्थानीय स्तर पर इसे ‘त्रिकुटल्यम‘ भी कहा जाता है। इस मंदिर के इतिहास में जायें तो सबसे पहले जिक्र आता है मंदिर से जुड़े काकतीय राजवंश का। क्योंकि इस क्षेत्र के अधिकतर मंदिरों का निर्माण और विकास काकतीय राजवंश के गणपति देव, रुद्रमा देवी और राजा प्रतापरुद्र के संरक्षण में ही हुआ था।

1000 स्तंभों वाले मंदिर के बारे में माना जाता है कि राजा रुद्रदेव के आदेश से ही इस मंदिर का निर्माण सन 1175 ईसवी में शुरू हो चुका था। जबकि हमें ये तथ्य भी मिलते हैं कि ये मंदिर सबसे पहले काकतीय राजवंश के राजा रुद्रदेव जी के शासनकाल में, यानी 1163 ई. में बन कर तैयार हो चुका था और उन्हीं के नाम पर इसे श्री रुद्रेश्वर स्वामी मंदिर का नाम दिया गया था, क्योंकि राजा रुद्रदेव जी भगवान शिव के परम भक्त थे।

आज ये मंदिर काकतीय मूर्तिकला और वास्तुकला के सबसे बेहतरीन और प्राचीन उदाहरणों और सबसे प्रमुख विरासतों में से एक है और आज भी इसे प्राचीन काल के उस तेलुगु देश के सुनहरे काल के दौर के सबसे समृद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है।

मंदिर से जुड़े कुछ अन्य तथ्य बताते हैं कि मूलरूप से यहां एक अति प्राचीन काल का रुद्रेश्वर मंदिर हुआ करता था जिसका जिर्णोद्धार करवा कर राजा रुद्रदेव ने इसको नया आकार और विस्तार दिया था।

कहा जाता है कि इस मंदिर को पहले से ही रुद्रेश्वर महादेव मंदिर के रूप में जाना जाता था और आज भी वही है, लेकिन क्योंकि इसमें उन्होंने भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु और सूर्य देव को भी स्थापित करवा दिया था इसलिए बाद में इसको ‘त्रिकुटल्यम मंदिर’ के नाम से भी जाना जाने लगा।

इस मंदिर की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण पहचान ये है कि इसको यहां 1000 हजार स्तंभों वाला श्री रुद्रेश्वर स्वामी मंदिर भी कहा जाता है।

इस मंदिर के अलावा भी इस क्षेत्र में काकतीय राजवंश के अन्य शासकों, जैसे रुद्रमा देवी, गणपति देव, और प्रतापरुद्र शासकों के द्वारा बनवाये गये कई छोटे-बड़े सिद्ध और प्रसिद्ध मंदिर देखने को मिल जाते हैं जिनमें इसी प्रकार की जटिल नक्काशीदार और कलाकृतियां बनी हुईं हैं। लेकिन, इस मंदिर की भव्यता उन सबसे अलग है।

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