अजय सिंह चौहान || कहने के लिए तो देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं, लेकिन, इस बार नजर सिर्फ और सिर्फ उत्त्र प्रदेश (UP Election 2022) पर ही टिकी हुई है। फिर चाहे वह मीडिया हो, पार्टियां हों, आम जनता हो या फिर देश के दुश्मन। हां इस कुछ हद तक पंजाब पर भी नजर दौड़ाई जा रही है। लेकिन, वहां की राजनीति अब कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि वहां अब एक बार फिर से किसानों के नाम पर अंदर ही अंदर खालिस्तान अपने पैर पसार चुका है और स्थिति को बद से बदतर करने की तैयारी में है और उसकी झलक हमें प्रधानमंत्री की हत्या की शाजिश से पता चल चुकी है।
देश के ही नहीं बल्कि सारी दुनिया के मीडिया में इस बात चर्चा हो रही है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के लिए बिगुल बज चुका है। आचार संहिता भी लग गयी है। उत्तर प्रदेश का रिकार्ड रहा है, पिछले तीन दशक से यहां कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार कुर्सी पर नहीं बैठा है। लेकिन, इस बार बात न तो राजनीति की है और न ही देशभक्ति या राष्ट्रवाद की। बल्कि इस बार राष्ट्रवाद से ऊपर उठ कर जहां हिंदू वोटर खुद ही एक होने के लिए अपना दमखम अजमाने के लिए खुद ही सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करने में जुट गये हैं वहीं हिंदु विरोधी पार्टियां भी इसी बात का इंतजार कर रही हैं कि कब कोई बड़े बवाल का गुबार उठे और कब हिंदु वोटरों को घेरा जाय। सवाल ये भी उठता है कि क्या इस बार के ऐसे ज्वलंत माहौल में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) इस बार प्रदेश का वह रिकार्ड को तोड़कर इतिहास रच पायेंगे?
उत्तर प्रदेश (UP Election 2022) की राजनीति में हमेशा यही कहा जाता रहा है कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए कोई भी व्यक्ति जब नोएडा जाता है तो उसकी सरकार अगली बार नहीं बन पाती है। मात्र मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री तक के लिए यह बात कही जाती है। लेकिन यहां देखने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उस भ्रम को हमेशा के लिए तोड़ दिया है और देश की जनता ने उन्हें 2019 में एक बार फिर से पद पर बैठा दिया।
प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने भी इस विषय पर कहा है कि इस बार अंधविश्वास पर नहीं बल्कि काम के आधार पर मोदी जी नोएडा आये थे और काम के आधार पर ही वे दौबारा सत्ता में भी आये हैं। मैं भी नोएडा में काम करने के लिए ही आता रहता हूं और आगे भी यहां काम करने के लिए ही आता रहूंगा। लेकिन, जो लोग अंधविश्वावी हैं वे खुद न तो काम करना चाहते हैं और न ही जनता का भला करना।
ध्यान रखने वाली बात ये है कि अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में एक बार भी नोएडा नहीं गये थे। लेकिन योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इस मिथक को तोड़ कर दख दिया है और एक बार नहीं, बल्कि कई बार नोएडा आना-जाना किया है। उधर कांग्रेसी कर्ताधर्ताओं की बात करें तो राहुल बाबा तो नोएडा की बजाय इटली जाना ज्यादा आसान समझते हैं। भले ही इटली यहां से हजारों किलोमीटर दूर है और नोएडा मात्र 20 या 30 किलोमीटर की दूरी पर।
जहां एक ओर हिंदू वोटर इस बार अपना मन बना चुका है कि वह किसी भी हालत में योगी (Yogi Adityanath) को ही पद पर बैठा कर अपना भविष्य सुरक्षित करना चाहेगा वहीं ओवेसी ने भी अपने वोटबैंक के लिए उल्टे-सीधे बयान देकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। इस रण में यदि अखिलेश यादव की बात करें तो भले ही उनकी पार्टी राज्य में दूसरे नंबर पर है लेकिन, उनके परंपरागत और जाति और यादव समाज के वोटबैंक में भी इस बार भाजपा ने मनोवैज्ञानिक तरीकों से सेंध मार दी है।
यहां भाजपा के मनोवैज्ञानिक तरीकों पर यदि हम विश्लेषण करें तो भाजपा ने खुद इतना काम नहीं किया है जितना की खुद अखिलेश यादव ने अपने ही यादव समाज को नाराज किया है, वहीं खुद यादव समाज के अधिकतर युवा इस जंजाल से बाहर निकलकर एक बार फिर से अपनी उन जड़ों में लौटना चाहता है जहां से उसकी पहचान है, लेकिन, समस्या इसमें ये भी आ रही है कि उनका सैक्युलर होना ही सबसे बड़ा लांछन है।
इस समय जहां एक ओर संपूर्ण देश के आम लोगों में यह धारणा बन चुकी है कि उत्तर प्रदेश (UP Election 2022) का यादव समाज अब पूरी तरह से सैक्युलर बन चुका है और अपने आप को न तो हिंदुओं में गिन रहा है और न ही मुस्लिमों में। एक प्रकार से देखा जाये तो जब कभी भी कोई उत्तर प्रदेश का यादव देश के अन्य राज्य या क्षेत्र में अपना परिचय देता है तो उसे अब शक की नजर से देखा जाने लगा है। भले ही वह कितना भी अपने आप को हिंदू मान ले, कितना भी पूजा-पाठ कर ले। उसके लिए तो यही कहा जाता है कि पूजा-पाठ तो राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा भी करते हैं, लेकिन उनका सच तो सबको मालूम है।
जिनकी कूटनीति, दूरदर्शिताएवं आर्थिक प्रबंधन का पूरी दुनिया ने लोहा माना…
खुद यादव समाज के अधिकतर युवा जानते हैं कि योगी ने अब तक जितना भी कार्य किया है वह दिख रहा है, लेकिन, आज से पांच वर्ष पहले अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनावों से पहले जो नारा दिया गया था कि, ‘काम बोलता है,’ उस नारे में न तो काम बोल रहा था और न ही दिख रहा था। जबकि आज की स्थिति ये है कि मुख्यमंत्री योगी ने जमीनी स्तर पर अपनी तमाम योजनाओं का ला दिया है। सिर्फ छोटे स्तर के गुंडे-बदमाशों का बल्कि देश के अन्य राज्यों तक फैले माफिया और अपराधियों पर भी ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। भले ही विपक्षी पार्टियां योगी पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन, उन्हीं की पार्टियों के कार्यकर्ता भी अंदर ही अंदर खुश दिख रहे हैं।
आज भले ही योगी जी खुद अपने लिए प्रचार कर रहे हैं लेकिन, सच तो ये है कि अन्य राज्यों में भी उन्हीं को ‘स्टार प्रचारक’ के तौर पर पेश किया जा रहा है। लगभग हर राज्य के भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने विधानसभा चुनाव के प्रचार में योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति के लिए राष्ट्रीय नेताओं से मांग की है। योगी की इस छवि और लोकप्रियता का कारण साफ है कि भू-माफिया और अपराध के खिलाफ उनके रुख और कानूनी कार्रवाई के दौरान किसी भी प्रकार से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की तस्वीरें चैराहों पर टंगवा देना अब तक देश में कहीं भी देखना तो दूर की बात है सूना तक नहीं था।
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की तस्वीरें चैराहों पर टंगवा देने जैसी कानूनी प्रक्रिया को अमेरिका और चीन जैसे देशों में भी सराहा गया और वहां भी योगी जी के कानून की नकल कर आरोपियों की तस्वीरें चैराहों पर टंगवा दी गई थीं। लेकिन, हमारे मीडिया ने उन खबरों को इसलिए आमजन तक नहीं पहुंचाया कि इससे योगी जी को ही लाभ होने वाला है। सब जानते हैं कि दंगाइयों की सात पीढ़ियों के इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा इसलिए वे शांत ही रहते हैं। लेकिन, 2017 से पहले वही दंगाई खुलेआम सड़कों पर तलवारें लहराते थे।
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) साफ कह चुके हैं कि उनके लिए परंपरागत वोट करने वाले ही उनके परम हितेशी हैं। ऐसे में यदि वे उन वोटरों के साथ-साथ उनके लिए भी जो उनकी विपक्षी पार्टियों के वोटर हैं के लिए भी काम कर रहे हैं तो इसमें कोई शक नहीं रह जाता है कि वे न सिर्फ हिंदुओं के बल्कि हर समाज के मुख्यमंत्री हैं। भले ही आज योगी आदित्यनाथ को दुश्मन की नजर से देखा जा रहा है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहीत दिल्ली एनसीआर के आम लोग यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि आजकल उनकी कार, बाइक और स्कूटर आदि की चोरियां एकाएक कैसे बंद गईं] प्रदेश में अपराध कैसे बंद हो गया, अपराधियों के साथ क्या करना चाहिए?