सच में, क्रोध एक तुफान हैं। एक क्षणिक पागलपन हैं। कहते हैं किसी को बिना किसी हथियार के समाप्त करना हो, तो उसे क्रोध करना सिखा दो। वह इस प्रकार ख़त्म होगा जैसे Slow poison लेने वाला धीरे-धीरे रोज मरता हैं। विशेषज्ञों के अनुसार क्रोध के दौरे से मस्तिष्क कि शक्ति का हास हो जाता है। एक बार क्रोध करने से हम 6 घंटे कार्य करने कि क्षमता को खो देते हैं। यहाँ तक की अनेकानेक भयंकर बीमारियो कि चपेट में भी आ सकते हैं। क्रोध के कारण नस-नाडियो में विष की लहर सी दौड़ जाती हैं।
एक नहीं ऐसी अनेको घटनाएँ दर्ज़ हैं, जहाँ एक माँ ने क्रोधावेश में जब शिशु को अपना दूध पिलाया तो शिशु कि मृत्यु हो गई। क्योकि वह दूध क्रोध के कारण जहरीला हो गया था। मोटे तौर पर कहे तो, 10 मिनट गुस्सा करके अप न केवल अपनी 600 सैकेन्ड़ कि खुशियाँ खो बैठते हैं, बल्कि कई नामुराद दुखो को अकारण ही न्यौता दे डालते हैं। अब आप स्वंय ही आकलन कर देखे- क्या सामने वाले ने आपको इतनी हानि पहुँचाई थी जितनी आपने उस पर क्रोध करके स्वंय को पंहुँचा डाली? इसलिए याज्ञवल्क्य जी ने उपनिषद में कहा- ‘यदि तू हानि करने वाले पर क्रोध करता है , तो क्रोध पर ही क्रोध क्यों नहीं करता, जो सबसे अधिक हानि करने वाला है।’
क्रोध पर क्रोध करने का अर्थ हैं उसे शांत कर देना। क्रोध को शांत करने के कुछ महत्वपूर्ण सूत्र:-
• बातों को सहज रूप में लेना सीखे: कई बार हम छोटी-छोटी बातों को स्वयं पर हावी होने देते हैं। जरा-सी बात पर ही क्रोधित हो उठते हैं। जैसे यदि स्नान करने गए और गीजर में गर्म पानी नहीं मिला, कपडे वक्त पर प्रेस नहीं हुए, खाने में स्वादनुसार मसाले नहीं मिले- बस, आ गया गुस्सा! चढ़ गई भोहे ! कह डाले दो-चार अपशब्द। अपना तो मुद ऑफ किया ही, सामने वाले का भी दिन ख़राब कर दिया। पर यहीं अगर हमने थोडा विवेक, थोडा धैर्य और थोड़ी-सी ऐड़ज़स्मेंट से काम लिया होता, तो दश्य बदल सकता था।
• स्वध्याए करे: एक बार सर्व श्री आशुतोष जी महाराज से एक शिष्य ने क्रोध पर नियंत्रण पाने का उपाय पूछा। श्री महाराज जी ने उत्तर दिया, ‘जब भी आपको क्रोध आई तो एकांत में बैठकर चिंतन करो। विचार करो कि आपको क्रोध क्यों आया। उन परिस्थितियों को पुनः याद करो। उन पर मनन करो। आपको अवश्य ही अपने किये पर पश्चाताप होगा कि व्यर्थ ही में अपना आपे से बाहर हो गया। जब हम एक-दो बार स्वाध्याय कर पश्चाताप करेंगे, तो पुनः वैसी परिस्थिति आने पर तुरंत सावधान हो जाएँगे. स्वयं को संतुलित रखने का प्रयास करेंगे। क्रोधावेग में नहीं बहेंगे।
Sleeping Sickness : आपके भोजन से जुड़े हैं नींद के तार
• प्रतिक्रिया में विलम्ब करे: क्रोध को समाप्त, कम या नियंत्रित करने का एक अच्छा उपाय यह भी है कि प्रतिक्रिया के बीच के समय को जितना हो सके टाले। जब कभी आपको लगे कि सामने वाले कई शब्द या व्यव्हार भीतर क्रोध की चिंगारी सुलगाने लगे है , तो तुरंत स्थान छोड़ कर चले जाइये। यदि ऐसा संभव नहीं तो विषय को बदलने कि। कोशिश are. परन्तु उसी समय प्रतिक्रिया करने कि भूल न करे। उसी समय पलट कर जवाब न दे। सेनेका के अनुसार- ‘क्रोध की सर्वोत्तम ओषधि है विलम्ब।’
• सात्विक भोजन करे: इस सन्दर्भ में हुए अनुसंधानो द्वारा अब यह स्पष्ट हो गया है कि सात्विक भोजन करने वालो कि तुलना में तामसिक भोजन करने वालो को अधिक गुस्सा आता है। तामसिक भोजन करने वाले ‘short tempered’ होते है। तभी भारतीय चिंतको ने कहा- ‘जैसा खाए अन्न, वैसा होवे मन।’ क्रोध-नियंत्रण के लिए कुछ अन्य सुझाव
१. पानी-पीजिये- जैसे ही आपको क्रोध कि सम्भावना आहट दे, आप एक गिलास ठंडा जल पी लीजिये।
२. योगासन व् प्राणायाम- योगाचार्यो के अनुसार सर्वांग आसन अवं शवासन और शीतली अवं भ्रामरी प्राणायाम क्रोध-नियंत्रण में लाभकारी सिद्ध होते है।
३. राम-बाण औषधि- क्रोध को पूरी तरह नियंत्रित करने कि अचूक औषधि है, ब्रह्मज्ञान। ब्रह्मज्ञान से हमे नाम-सुमिरन कि ऐसी युक्ति मिलती है, जिससे केवल क्रोध ही नहीं, अपितु सभी विकारो पर सहज ही विजय प्राप्त कि जा सकती है।
– के. प्रभाकर अय्यर