अभिषेक ठाकुर || समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज चैनल, रेडियो और वेबसाइट में समाचार एजेंसियों के हवाले से दी गई खबरें सुनने-पढ़ने को मिलती हैं। बताया जाता है कि पी.टी.आई. या यू.एन.आई. के अनुसार…।
आखिर पी.टी.आई. या यू.एन.आई. हैं क्या? दरअसल, हमारे देश में पी.टी.आई., यू.एन.आई. संवाद समितियां हैं जिन्हें न्यूज एजेंसी के नाम से जाना जाता है। पी.टी.आई. और यू.एन.आई. दोनों ही अंग्रेजी न्यूज एजेंसी हैं जो हिन्दी में भी समाचार सेवा प्रदान करती हैं जिन्हें भाषा और वार्ता के नाम से जाना जाता है।
इनके अलावा हिन्दुस्थान समाचार, समाचार भारती, आई.ए.एन.एस., ए.एन.आई. जैसी न्यूज एजेंसियां भी भारत में काम कर रही हैं। माना जाता है कि हर खबर तक समाचार एजेंसियों की पहुंच होती है।
समाचार एजेंसी से तात्पर्य एक ऐसे संगठन से है जो समाचारों को एकत्रित करता है, लिखता है और समाचार पत्रों व पत्रिकाओं, रेडियो और टेलीविजन ब्राॅडकास्टिंग एजेंसियों आदि को उपलब्ध कराता है
हालांकि यह दुर्भाग्य ही है कि भारत की कई समाचार एजेंसियों पर हमेशा ही किसी न किसी स्वार्थी व्यक्ति की तानाशाही रही है जिस वजह से इन संवाद समितियों में शोषण और भाई-भतीजावाद की शिकायतों की कमी नहीं है। इस कारण हमारी न्यूज एजेंसियों में समाचार प्रसारण की गुणवत्ता में कमी देखी गई है।
हम अपने आस-पास, जिला-राज्य, देश-विदेश में हो रहे हलचल के बारे में जानने के लिए समाचार पत्र, पत्रिकाओं को पढ़ते हैं। इनमें कई खबरों के आगे पी.टी.आई., यू.एन.आई., भाषा, वार्ता, ए.एन.आई. आदि लिखा होता है। इसका मतलब यह है कि उस समाचार पत्र-पत्रिका, रेडियो, टी.वी. ने वह खबर अमुक समाचार एजेंसी से लेकर प्रसारित की है।
जब किसी समाचार पत्र, पत्रिका के पास कोई महत्वपूर्ण खबर नहीं होती है तो वहां का संपादक इन्हीं समाचार एजेंसियों की खबरों को देखने की सलाह देते हैं। वैसे तो चुनिंदा खबरें आप भी इन समाचार एजेंसियों की वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं लेकिन उनका इस्तेमाल करने के लिए या पूरी खबर को पढ़ने के लिए एक सब्सक्राइबर को एजेंसी की सेवाएं लेनी होती है, जो महंगी होने के कारण आम आदमी नहीं ले सकता। इसीलिए एजेंसी की सेवाएं सिर्फ समाचार संगठन ही लेते हैं।
सभी कुछ इंटरनेट पर उपलब्ध होने से एक यह प्रवृति भी देखने को मिली है कि छोटे समाचार संगठन न्यूज एजेंसियों की खबरें उनकी वेबसाइट या ट्विटर से पढ़कर अपनी भाषा में लिखते हैं और उन्हें अपना बताकर इस्तेमाल में लाते हैं जो सही नहीं है।
इन समाचार एजेंसियों की मुख्य बात यह है कि इनकी पहुंच हर जगह होती है। इसलिए इनके पास हर तरह के समाचारों का संकलन होता है। भारत में कई विदेशी समाचार एजेंसियां भी काम कर रहीं हैं, जैसे- ब्रिटेन की राॅयटर, फ्रांस की आजांस फ्रांस प्रेस (ए.एफ.पी.), अमेरिका की एसोसिएटेड प्रेस (ए.पी.) आदि।
न्यूज एजेंसियों की विशेषता –
– न्यूज एजेंसी दुनियाभर के समाचारों की कवरेज को तेजी से और गहराई से देती है।
– न्यूज एजेंसी का नेटवर्क कम-से-कम एक हजार स्टाफ के साथ लगभग प्रत्येक देश में फैला होता है।
– न्यूज एजेंसी कई भाषाओं में अपनी सेवा देती है।
– इन्हें प्रेस एसोसिएशन, प्रेस एजेंसी, वायर सर्विस, न्यूज सर्विस नामों से भी जाना जाता है।
– ये वास्तव में ऐसी एजेंसियां हैं जो स्वयं तो व्यवसायिक रूप से कोई समाचार प्रकाशित नहीं करती हैं लेकिन समाचार को प्रकाशित करने वाली अन्य संस्थाओं को समाचार प्रदान करती हैं।
– अखबार या टीवी चैनल का दफ्तर रात में या आपात स्थिति में बंद हो सकता है लेकिन न्यूज एजेंसी 24 घंटे काम करती है।
– एक अच्छी न्यूज एजेंसी विडियो, टेक्स्ट, फोटो, मल्टीमीडिया और ग्राफिक के रूप में अपनी सेवाएं समाचार पत्र, मैगजीन, रेडियो, टीवी, वेबसाइट व अन्य कस्टमर को उपलब्धी कराती है।
– अब तो मोबाइल आॅपरेटर्स भी न्यूज एजेंसी से खबरें लेने लगे हैं जिन्हें वे ब्रेकिंग न्यूज के रूप में अपने सब्सक्राइबर को एसएमएस या व्हाट्सऐप के जरिये उपलब्ध कराते हैं।
– 22 अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसियों ने अपना एक नेटवर्क बनाया हुआ है जिसे माइंड्स इंटरनेशनल के नाम से जाना जाता है।
– इ.ए.एन.ए. प्रेस एजेंसियों का यूरोपीय संगठन है जबकि ओ.ए.एन.ए. एशिया प्रशांत क्षेत्र की न्यूज एजेंसियों का संगठन है।
अन्य देशों की समाचार एजेंसियां –
चीन – सिन्हुआ
इंडोनेशिया – अंतारा
रूस – तास, नोवोस्ती
मलेशिया – बरनामा
इटली – अंसा
जापान – क्योडो
ईरान – इरना
जर्मनी – डी.पी.ए.