अजय सिंह चौहान || जैसा कि अक्सर कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति, वस्तु या स्थान का समय कभी एक जैसा नहीं रहता। फिर चाहे वो दक्षिण भारत पर राज करने वाला काकतीय राजवंश से जुड़ा कोई भी राजा हो या फिर कोई मंदिर ही क्यों ना हो।
उसी प्रकार दक्षिण भारत सबसे प्राचीन और मंदिरों में से एक 1000 स्तंभ वाले मंदिर (Thousand Pillars Temple in Hyderabad) का भी इतिहास कुछ इसी तरह का रहा है। ये मंदिर तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से करीब 150 किमी दूर, हनमाकोंडा कस्बे में बना हुआ है। स्थानीय लोग इस मंदिर को रुद्रेश्वर महादेव मंदिर या फिर ‘त्रिकुटल्यम‘ भी कहते हैं।
सन 1190 ई. तक इस संपूर्ण दक्षिण क्षेत्र पर काकतीय वंश का दबदबा हुआ करता था। लेकिन, जैसे ही सन 1190 ई. में काकतीय वंश टूटकर बिखरा, उसकी शक्तियां भी कमजोर हो गई। क्योंकि उस बिखराव के बाद इस वंश ने यहां अपने अलग-अलग राज्य कायम कर लिए थे।
जाहिर है, ऐसे में उनकी शक्तियां भी कम हो गई थीं, और उसी बात का फायदा उठा कर इस संपूर्ण दक्खन क्षेत्र पर विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमणों का दौर शुरू हो गया और 14वीं शताब्दी के आते-आते यहां के अधिकांश भाग पर मुहम्मद बिन तुगलक का अधिकार हो गया। उसके बाद तुगलक वंश के आक्रमणकारियों ने इस मंदिर का जो हाल किया उसी को हम आज भी देख रहे हैं।
दरअसल, तुगलक वंश के शासकों के द्वारा यहां के अन्य कई छोटे-बड़े मंदिरों की तरह ही इस मंदिर पर भी भीषण प्रहार किया गया और इसे अपवित्र कर उसमें से कीमती आभूषण और रत्न-जवाहरात आदि लूटने के बाद इसकी मुख्य संरचना को ढहाने का भी कार्य किया गया।
लेकिन, जब इस मजबूत संरचना को ढहाने के काम में तुगलक वंश के पसीने छूटने लगे तो उन लोगों ने इसके स्तंभों पर बनी तमाम मूर्तियों को खंडित करना शुरू कर दिया और जितना हो सकता था उन लोगों ने यहां तांडव मचाया।
इतिहासकारों का कहना है कि अगर हम उन उभरी हुई नक्काशियों को, आज देख पाते तो वर्तमान में दुनिया का ये एकमात्र ऐसा मंदिर होता जिसके आगे सातों अजूबे एक साथ फेल हो जाते।
लेकिन, आज भी यहां जो नक्काशियां देखने को मिल रहीं हैं वे भी उन सातों अजूबों से बढ़ कर हैं।
अगर आप लोग भी इस मंदिर को नजदीक से देखना चाहते हैं तो बता दूं कि 1000 स्तंभों वाला ये मंदिर (Thousand Pillars Temple in Hyderabad) तेलंगाना राज्य में हनमाकोंडा-वारंगल राजमार्ग से लगे हुए हनमाकोंडा कस्बे की एक पहाड़ी के ढलान पर बना हुआ है और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है इसलिए यहां जाने में कोई परेशानी नहीं होती।