अजय चौहान
भारत में हिन्दुओं ने केंद्र के लिए जिस सरकार को बहुत ही उम्मीदों के साथ वोट दिया, आज वह सरकार क्या कर रही है और जिस व्यक्ति को कट्टर हिन्दू अपना हिन्दू ह्रदय सम्राट बताकर फुले नहीं समाते उनके लिए यह एक आँखें खोल देने वाली ऐसी खबर है जिसको जानकार आप लोगों के होश उड़ जाएंगे। लेकिन इस खबर को बताने से पहले यहाँ ये भी जान लें कि, इसमें हो सकता है कि इस खबर में कहीं न कहीं भारत की भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी यानी नौकरशाही का भी हाथ हो, लेकिन फिलहाल तो हम यही कहेंगे कि “जैसा राजा वैसी प्रजा”।
मोदी जी को केंद्र में अब तक करीब-करीब 8 वर्ष हो चुके हैं। हालांकि उनका पिछले कार्यकाल काफी अच्छा रहा और हर स्तर के लोग उनसे डरते थे, लेकिन आज की स्थिति ये है कि कभी-कभी तो लगता है कि उनके अपने ही कई मंत्री ऐसे हैं जो उनकी इज़्ज़त नहीं कर रहे हैं, या उनसे बिलकुल भी नहीं डरते. तभी तो वे मंत्री अपनी ही मनमानी करते है और दिखावा कुछ और करते हैं।
लेकिन जो खबर है, वो ये कि जो लोग देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का सपना देख रहे हैं, फिर चाहे कोई भी हो, आप या मैं हम सभी इसी भ्रम में हैं कि मोदी जी देश को हिन्दुओं के लिए स्वर्ग के सामान बना देंगे, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि समय कभी वापस नहीं आता, भले ही कुछ लोग वापस सत्ता में आ जाएँ।
बात वापस आने की है तो यहाँ में एक ऐसी खबर जो भले ही सभी हिन्दुओं के लिए रुला देने वाई भले ही न हो, लेकिन कहीं न कहीं दुनियाभर के हिन्दुओं के लिए सोचने और विचार करने का विषय जरूर है।
कहने के लिए तो यह खबर एक छोटी सी है और एक आम हिन्दू के लिए इसका कोई लेना-देना भी नहीं है. लेकिन यह खबर जुडी है उन करीब 800 हिन्दुओं से जो कन्वर्ट हो कर इस्लाम में नहीं जाना चाहते या फिर अपनी बहु बेटियों की इज़्ज़ार को नीलाम होते नहीं देखना चाहते. लेकिन वे लोग आज इसके लिए भारत की केंद्र सरकार और हिन्दू ह्रदय सम्राट को ही कोस रहे हैं. वे लोग उसको कोस रहे हैं जिसको भारत के लोग हिन्दू ह्रदय कहते नहीं थकते।
यहाँ ये भी जान लेना चाहिए कि हमारे देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्याों ने जिस प्रकार से केंद्र की मोदी सरकार को और करीब-करीब हर प्रदेश की, हर पार्टी की, हर एक विचारधारा वाली सरकारों को कब्ज़े में ले रखा है या बंधक बना कर, अपनी मनमानी कर रहे हैं, उनसे फ्री का माल उड़ा रहे हैं, उसको देखकर ऐसा लगता है जैसे इस देश के हिन्दू टैक्स देने वाले उनके लिए सिर्फ और सिर्फ नौकर बन कर ही रह गए हैं।
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लेकिन वहीं अगर कोई गरीब हिन्दू, सताया हुआ हिन्दू, लाचार हिन्दू, अपने धर्म और अधिकार के लिए, अपने बच्चों के भविष्य के लिए, भारत सरकार की शरण में जाता है तो उसको वहां से इतना विवश होना पड़ता है कि या तो वो आत्महत्या ही कर ले या फिर वो भी कन्वर्ट हो कर, उन्हीं लोगों की तरह, भारत विरोधी होकर, भारत की सरकारों को बंधक बना कर, भारत के हिन्दू टैक्स पेयर्स के पैसे पर मुफ्त की रोटियां खाता रहे, और भारत के सेक्युलर हिन्दुओं के दम पर दादागिरी दिखाता रहे।
दरअसल बीबीसी की ख़बर के अनुसार पकिस्तान से भारत में शरण लेने वाले ऐसे सैकड़ों हिन्दू प्रवासी वापस पाकिस्तान लौट गए है जिनको भारत में नागरिकता नहीं मिल सकी है। इसमें हैरानी की बात तो ये है कि ये आँकड़े वर्ष 2021 के हैं, यानी हिन्दू ह्रदय सम्राट के कार्यकाल के ही हैं।
जबकि आजभी सैकड़ों की संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या के लोग यहाँ आ भी रहे हैं और हिन्दू टैक्स पेयर्स के पैसे से मुफ्त का खा भी रहे हैं और भारत की छाती पर मुंग भी दल रहे हैं। हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से अधिकतर बांग्लादेशी और रोहिंग्या के लोग तो दिल्ली-एनसीआर के अंदर ही हैं. यानी केंद्र सरकार की नाक के नीचे. उस केंद्र सरकार की नाक के नीचे जो हिन्दू ह्रदय सम्राट की सरकार है।
दरअसल पाकिस्तान से आये इन हिन्दू परिवारों का कहना है कि उनके द्वारा भारत में दिए गए नागरिकता आवेदन के बाद की प्रक्रिया में कोई प्रगति न देखने के बाद ही उन्हें मज़बूरन यहाँ से जाना पड़ रहा है. इनमें से कई प्रवासी हिंदू तो वापस पाकिस्तान लौट भी चुके हैं।
इस खबर में हैरान करने वाला तथ्य ये है कि उन हिन्दुओं का साफ़-साफ़ कहना है कि- “जो हिन्दू परिवार भारत से निराश होकर वापस पकिस्तान लोट जाते हैं पाकिस्तानी एजेंसियां उनका इस्तेमाल भारत को बदनाम करने के लिए खुल कर करती हैं और उन्हें मीडिया के सामने लाकर ये बयान देने को मजबूर किया जाता है कि भारत में उनके साथ बुरा बर्ताव हुआ है।”
खबर के अनुसार भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने वर्ष 2018 में नागरिकता आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की थी. इसके तहत मंत्रालय ने सात राज्यों में 16 कलेक्टरों को भी ये ज़िम्मेदारी दी थी कि वे पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्धों लोगों को नागरिकता देने के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करे. लेकिन भारत की राजशाही और नौकरशाही के अड़ियल रवैये और बेरुखी के चलते तथा सेक्युलरवाद के विशेष दबाव के चलते भारत के बहार से आने वाले इन हिन्दुओं को न सिर्फ अनदेखा किया गया जा रहा है बल्कि उनका तमाम प्रकार से शोषण भी किया जा रहा है।
हैरानी की बात तो ये है कि आज भी अकेले राजस्थान में ऐसे करीब 25 हज़ार पाकिस्तान से आये हिंदू हैं जो अपने ही देश की नागरिकता मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं. उससे भी बड़ी हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से कुछ तो बीते दो दशकों से इस इंतज़ार में हैं।