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हम कैसे बर्बाद कर रहे हैं अपना जीवन ?

admin 13 April 2023
Philosophers of India
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अजय चौहान || क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो अपने जीवन का अधिकतम समय बर्बाद कर रहा है. यदि नहीं जानते तो आज हम बताएँगे कि किसी अन्य की तो बात ही क्या करना, बल्कि यहाँ तो हम भी कभी – कभी किसी न किसी प्रकार से अपने जीवन का अधिक से अधिक हिस्सा बर्बाद कर देते हैं.

जी हाँ, ये सच है. आप और हममें से चाहे कोई कितने भी पढे – लिखे क्यों न हों, कितने भी धनवान हों, कितने भी बड़े समाजसेवी हों, या फिर कितने भी महान नेता या अभिनेता ही न हों. आपके और हमारे जीवन का अधिकतर समय इसलिए बर्बाद होता है क्योंकि हम स्वयं कई बार ऐसे काम कर जाते हैं जिनके कारण हमारा अधिक से अधिक समय बर्बाद होता है. और ये बात हम खुद नहीं कर रहे हैं बल्कि ये बात तो दुनियाभर के तमाम बड़े से बड़े दर्शनशास्त्रियों, मनोविज्ञानिकों और समाज विज्ञानियों ने कही है. वे तो खुद अपने बारे में भी बताते हैं कि उन्होंने भी अपने जीवन का अधिकतर समय बर्बाद किया है और वो अब वापस आने वाला नहीं है.

जी हाँ, ये सच है. न सिर्फ हम खुद बल्कि हमारे जैसे दुनिया के करीब – करीब 60 से 70 प्रतिशत लोग अपना जीवन बस यूँ ही बर्बाद कर रहे हैं. करीब – करीब हर एक दर्शनशास्त्री और मनोवैज्ञानिक ये बात इस दावे के साथ कहते हैं, क्योंकि आज के दौर में अधिक से अधिक धन कमाने के चक्कर में लोग ये भी भूल जाते हैं कि उनका निजी जीवन क्या है और वे उसे किस प्रकार से जी रहे हैं.

अब आप यहाँ ये भी सोच सोच रहे होंगे कि यदि हमारा अधिक से अधिक समय बर्बाद होता है तो फिर वो क्या है जिसका हम लाभ उठा पाते हैं? तो यहाँ हम इस जानकारी के माध्यम से वो भी बताएँगे, और आप स्वयं भी उस बात को समझ जाएंगे। लेकिन उससे पहले ज़रा ये भी जान लीजिये कि आप जो अपना समय बर्बाद करते हैं वो आखिर किस प्रकार से होता है?

आम तौर पर कुछ ख़ास प्रश्न हैं जो करीब – करीब सभी दर्शनशास्त्रियों, मनोविज्ञानिकों या समाज विज्ञानियों की पुस्तकों में खूब पड़ने को मिलते हैं. ये प्रश्न कुछ इस प्रकार से होते हैं – आप का जीवन क्या है?, आप का जीवन कैसा है, आप का जन्म किस उद्देश्य के लिए हुआ है?, आप कितने महान हैं?, आप कितने भाग्यशाली हैं?, आप इस दुनिया में किसी काम के हैं भी या बस यूँ ही आप बोझ बने हुए हैं?, अगर आप गरीब है तो अधिक खुश है या फिर मध्यमवर्ग के हैं तो अधिक खुश हैं? क्या आप धनवान बनकर अधिक खुश रह सकते हैं? आप अपने परिवार के साथ अधिक खुश हैं या फिर परिवार के बिना? आप धर्म के साथ रहना चाहते हैं या फिर अधर्म के साथ? वगैरह – वगैरह।

ऐसे ही कई प्रकार के प्रश्नों को लेकर किसी अज्ञात दार्शनिक ने अपने विचार और अनुभवों को आम लोगों के साथ साझा किया। उस दार्शनिक ने अपने उन अनुभवों के आधार पर जो लिखा उस पर यदि ठीक प्रकार से अमल किया जाय या गौर किया जाय तो कइयों की ज़िंदगी एकदम आसान और सुखमय हो सकती है.

उस अज्ञात दार्शनिक ने लिखा कि – मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो अपनी जिंदगी का हर दिन, हर पल बस बर्बाद करता जा रहा है। बाहर से वह एक अच्छे इंसान की तरह दिखता है। उसके पास एक अच्छी नौकरी भी है जिसमें वह लगभग एक लाख रुपए प्रति माह तक कमाता है। वह एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार का हिस्सा है। वह प्रतिदिन समय के अनुसार अपने हर जरुरी काम करता है और समय पर कार्यालय भी पहुँच जाता है, शाम को समय पर घर चला आता है। वीकेंड पर यानी सप्ताह के अंत में वह व्यक्ति सारा दिन घर बैठे – बैठे ही बिताने का प्रयास करता है। उसको किसी भी प्रकार की कोई बुरी आदत या फिर नशा, धूम्रपान, बेवजह का घूमना – फिरना, बेवजह की दोस्ती या फिल्में देखने जैसी भी कोई दूसरी समस्या भी नहीं पालता.

दरअसल, यह दार्शनिक यहाँ जिस व्यक्ति के बारे में बात कर रहा है वह व्यक्ति करीब 40 से 45 वर्ष की अपनी उम्र के इस पड़ाव में अभी तक अविवाहीत है. और अविवाहीत है तो जाहिर है कि उसकी पत्नी नहीं है, और कोई संतान भी नहीं है. अपने परिवार के अन्य सदस्यों से भी वह दूर रहने का कोशिश करता है. दार्शनिक का कहना है कि उस व्यक्ति की समस्या यह नहीं है कि वह अविवाहीत है, बल्कि उसकी समस्या यह है कि किशोरावस्था को पार करने के बाद से अब तक का उसका जो भी जीवन बीता है वो एकदम उबाऊ ही रहा है.

और क्योंकि किसी भी उबाऊ व्यक्ति की ज़िंदगी में रोमांचकारी अनुभव नहीं देखे जाते हैं इसलिए मुझे लगता है कि वह अपना अबतक का जीवन तो बर्बाद कर ही चुका है, आगे आने वाला समय भी वह बर्बाद ही कर सकता है.

उबाऊ होने के कारण वह व्यक्ति हर समय अपने वरिष्ठजनों, राजनेताओं, बॉस और अन्य कई लोगों के बारे में कोई न कोई शिकायत करता ही रहता है। यानी यह उबाऊ व्यक्ति कुछ इस तरह का है जो हमेशा अपने आसपास एक समस्या को ढूंढता है और उसकी शिकायत करता रहता है. यह व्यक्ति उन लोगों में से एक है जो ज़िंदगीभर सिर्फ काम करने, पैसा कमाने और खर्चों के बिल चुकाने और अंत में मरने के लिए पैदा हुआ होता है।

दरअसल, इस व्यक्ति की समस्या यह है कि उसके पास अन्य किसी से बात करने या उनको अपनी निजी ज़िंदगी के बारे में बताने के लिए रोमांचक या अन्य कई अच्छे अनुभव नहीं हैं. सीधा – सीधा कहें तो इस व्यक्ति या फिर इसी प्रकार के अन्य किसी भी व्यक्ति के पास यदि अपनी दिनचर्या में सिर्फ काम करना, धन कमाना, पैसे अर्जित करना, खर्चों के बिल चुकाते रहना और अन्य किसी भी बात को लेकर बार – बार शिकायतें करते रहने के अलावा कुछ अन्य प्रकार के रोमांचक या अन्य कई अच्छे अनुभव नहीं हैं तो यह इस बात का संकेत है कि उसका जीवन व्यर्थ और बर्बाद है. इसमें फिर चाहे हम और आप हैं या फिर किसी ऐसे ही अन्य व्यक्ति का उदाहरण भी ले सकते हैं.

अब आप यहाँ समझ ही गए होंगे कि यदि हमारा अधिक से अधिक समय बर्बाद होता है तो फिर वो क्या है जिसका हम लाभ नहीं उठा पाते तथा हम जो अपना समय बर्बाद करते हैं वो आखिर किस प्रकार से होता है?

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