सूर्य की सतह पर होने वाली हलचल कई बार पृथ्वी तक असर डालती हैं, और इस बार भी 14 जुलाई को कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। दरअसल, सूर्य की सतह पर एक ऐसा विस्फोट देखा गया है जो सिर्फ पृथ्वी के लिए ही नहीं बल्कि सौर मंडल के अन्य ग्रहों पर भी असर डाल सकता है। वैज्ञानिकों ने इस घटना को ‘कनिबल’ (Cannibal CME) यानी ‘कनिबल’ कोरोनल मास इजेक्शन (Cannibal Coronal Mass Ejection) का नाम दिया है। ओर यह ‘कनिबल’ पृथ्वी से टकराने वाला है इसलिए इसका असर पृथ्वी पर भी कम घातक नहीं होने वाला है।
इस ‘कनिबल’ को हम साधारण भाषा में ‘नरभक्षी सीएमई’ कह सकते हैं, क्योंकि Cannibal का हिंदी में अर्थ होता है ‘नरभक्षी’ या ‘पिशाच’। सूर्य की सतह पर घटित यह ‘कनिबल’ कोई कोई सामान्य घटना नहीं बल्कि एक भयानक विस्फोट है और उस विस्फोट के कारण कई सौर तूफान उठने शुरू हो चुके हैं। उन तूफानों से पैदा हुआ ‘कनिबल’ कोरोनल मास इजेक्शन हमारी पृथ्वी तक भी असर डालने वाले हैं और पृथ्वी के एक बड़े भू-चुंबकीय तूफान को ला सकता है।
आप को बता दें कि नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने सूर्य के दक्षिण-पश्चिमी अंग के पास हुए इस भयानक विस्फोट को रिकॉर्ड किया है और इसे Cannibal CME नाम दिया है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर कोरोनल मास इजेक्शन पृथ्वी से टकराते हैं तो इससे हमारे ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं और इसका परिणाम यही होगा कि यहां भी कई बड़े भू-चुंबकीय तूफान आ सकते हैं और उसके कारण आंशिक रेडियो ब्लैकआउट जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
आपको बता दें कि ‘‘रेडियो ब्लैकआउट’’ एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें सूरज से निकलने वाला ऐसा रेडिएशन है जो इस संपूर्ण सौरमंडल को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। इसके कारण न सिर्फ धरती की मैग्नेटिक फील्ड पर भी असर करने की क्षमता उत्पन्न होती है बल्कि पृथ्वी के आसपास के वातावरण की ऊर्जा पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘कनिबल’ (Cannibal CME) यानी ‘कनिबल’ कोरोनल मास इजेक्शन (Cannibal Coronal Mass Ejection) तभी बनता है जब एक प्रारंभिक सीएमई के बाद दूसरा सीएमई तेज गति से आता है। क्योंकि जब दूसरा प्लाज्मा पहले वाले को घेर लेता है तो इससे प्लाज्मा की एक विशालकाय लहर जन्म ले लेती है जो सौर मंडल में दूर तक असर करने में सक्षम होती है।
स्पेसवेदर डाॅट काॅम नामक एक वेबसाइट द्वारा दी गई इस खबर के अनुसार, सूर्य की सतह पर 14 जुलाई को हुए एक विस्फोट के साथ एक प्लाज्मा यानी सीएमई एक AR3370 नामक सनस्पाॅट से निकला था, और इसके अगले दिन यानी 15 जुलाई को AR3363 नामक एक दूसरे और बहुत बड़े सनस्पाॅट से भी तेज गति के साथ निकला है।
NASA’s Solar Dynamics Observatory recorded the blast near the sun’s southwestern limb
नेशनल ओशनिक एंड एटमाॅस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर का कहना है कि 14 जुलाई को सूर्य की सतह पर हुए इस विस्फोट से निकलने वाले तुफान का असर पृथ्वी पर करीब-करीब 18 जुलाई तक पहुंचने की संभावना है। इस घटना से पृथ्वी पर कुछ बड़ी प्रकृतिक घटनाएं भी देखने को मिल सकती हैं और इन घटनाओं को हम ‘नरभक्षी’ या ‘नर पिशाच’ की श्रेणी में रख सकते हैं। हालांकि, ये प्राकृतिक घटनाएं हैं, लेकिन, इन्हें हम सामान्य नहीं मान सकते इसलिए फिलहाल हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। क्योंकि प्राकृतिक घटनाएं हमेशा अच्छी नहीं कही जा सकती हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य की सतह से निकलने वाले इस प्रकार के कुछ कोरोनल मास इजेक्शन सबसे बड़े विस्फोटों में होते हैं जिसमें अरबों टन पदार्थ कई मिलियन मील प्रति घंटे की रफ्तार से बाहर निकलते हैं और सौर मंडल में फैलते जाते हैं। यह बहुत ही दुर्लभ घटना होती है, लेकिन फिलहाल सूर्य की सतह पर होने वाली इस प्रकार की घटनाऐं हमें पिछले कुछ वर्षों में कई बार देखने को मिली हैं।
– अशोक सिंह