पुस्तक “इंद्रविजय” (“Indravijay” An Old Book in Hindi Translation Review) एक दुर्लभ पुस्तक है, इसलिए इसके प्रकाशक का कहना है कि यह बहुत ही कम छपती है, यानी जितना ऑनलाइन आर्डर होता है उतनी ही कॉपी छपती हैं।
इस पुस्तक के नाम “इंद्रविजय” (“Indravijay” An Old Book in Hindi Translation Review) को लेकर इसकी भूमिका में भाषा विद्वान कलानाथ शास्त्री जी ने लिखा है, “पुस्तक के लेखक मधुसूदन ओझाजी ने बतलाया है कि उस युग में किस प्रकार साध्य, महाराजिक आदि वर्गों में विभाजित देव थे जो विज्ञानसंपदा के धनी थे। उन्होंने यज्ञ किए, प्रथम धर्मों का प्रवर्तन किया, इतिहास बनाया।
इंद्र जो एक पद था, उस युग का सर्वोच्च शासक होता था। यदि उस प्राचीन भारत का इतिहास लिखा जाए तो एक दृष्टि से उसे इंद्र का इतिहास भी कहा जाएगा। इस प्रकार ‘इंद्र’ हमारे प्रागैतिहासिक इतिवृत्त का प्रतीक है। वेदों में इंद्र वैज्ञानिक तत्व भी है, ऐतिहासिक राजा भी है, जिसका चरित्र और महिमा वेदों में वर्णित है। यही रहस्य है इस इतिहास ग्रंथ का नाम इंद्रविजय रखे जाने का।”
“इंद्र न सिर्फ अतीत के बल्कि वर्तमान के भी राजा हैं। वे हमारे इतिहास पुरुष हैं। इंद्र चौदह पृथक् संदर्भों में चौदह प्रकार से वेदों में वर्णित है, और यही ओझा जी ने इस पुस्तक के माध्यम से स्पष्ट किया है।”
पुस्तक “इंद्रविजय” इस लिए दुर्लभ है क्योंकि मधुसूदन ओझा जी ने इसे वर्ष 1930 में लिखा था, यानी इसका प्रथम संस्करण वर्ष 1930 में प्रकाशित हुआ था। इंद्रविजय नामक इस ग्रंथ में यह एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक कार्य किया गया है कि “वेदों में वर्णित सभी सूक्तों तथा ऐतिहासिक उल्लेखों के आधार पर आर्यों का सुसंगत इतिहास वर्णित कर अध्येता के लिए पूरा शास्त्र बना दिया है।”
आज भी यह पुस्तक (“Indravijay” An Old Book in Hindi Translation Review) प्रासंगिक है। “इंद्रविजय” को पढते हुए लगता ही नहीं की इसमें कुछ भी गलत है या फिर किसी चमत्कार की बात हो रही है, बल्कि जिसे हम बचपन से सुनते आ रहे हैं उसे हम इस पुसतक में तथ्यों के साथ पढ़ सकते हैं।
अतः मैं हर एक सनातनधर्मी से आग्रह करूंगा कि अपने वास्तविक इतिहास और भूगोल को समझने के लिए ‘इंद्रविजय’ (“Indravijay” An Old Book in Hindi Translation Review) का अध्ययन अवश्य करें और अपने बच्चों को, ख़ासकर किशोर आयु के बच्चों भी अपने वास्तविक ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और इतिहास से परिचित कराएं। किशोर पीढ़ी के लिए तो इसमें और भी ज्ञानवर्धक है। युवा इस पुसतक से वाद-विवाद के विषयों की भरपूर जानकारी ले सकते हैं। साथ ही इसको पड़ने के बाद tiktok जैसे फालतू के apps छोड़ सकते हैं और धर्म के इतिहास को जान सकते हैं।
यदि आप इस पुस्तक को प्राप्त करना चाहते हैं तो इसका लिंक नीचे दिया गया है। धन्यवाद।
Link: https://www.kapot.in/product/indra-vijay/
#books #book #bookreview #पुस्तक_समीक्षा
#dharmwani