जिस प्रकार शराब वाला पात्र अग्नि में तपाए जाने पर भी शुद्ध नहीं हो सकता, उसी प्रकार जिस मनुष्य के ह्रदय में पाप और कुटिलता भरी होती है, सैकड़ों तीर्थ स्थानो पर स्नान करने से भी ऐसे मनुष्य पवित्र नहीं हो सकते।
अच्छी संगति से दुष्टों में भी साधुता आ जाती है। उत्तम लोग दुष्ट के साथ रहने के बाद भी नीच नहीं होते। फूल की सुगंध को मिट्टी तो ग्रहण कर लेती है, पर मिट्टी की गंध को फूल ग्रहण नहीं करता।
जिस प्रकार नीम के वृक्ष की जड़ को दूध और घी से सीचने के उपरांत भी वह अपनी कड़वाहट छोड़कर मृदुल नहीं हो जाता, ठीक इसी के अनुरूप दुष्ट प्रवृतियों वाले मनुष्यों पर सदुपदेशों का कोई भी असर नहीं होता।
– दुष्ट आचरण करनेवाला। बुरी चाल चलन का।
बुरे काम करनेवाले से यथाशक्ति दुरी बनाकर रखना चाहिए।।
प्राप्ते कलियुगे घोरे नराः पुण्यविवर्ज्जिताः ।
दुराचाररताः सर्व्वे सत्यवार्त्तापराङ्मुखाः ॥
महापातकयुक्तस्त्वं दुराचारोऽतिगर्हितः ॥
दुराचारो हि पुरुषे लोके भवति निन्दितः ।।