Skip to content
23 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • Uncategorized
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Acupressure: भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है एक्युप्रेशर

admin 1 April 2022
acupressure therepy
Spread the love

क्युप्रेशर (acupressure) भारत की एक पुरातन चिकित्सा विद्या है। वेदों में इसका वर्णन मिलता है। एक्युप्रेशर शरीर के विभिन्न हिस्सों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव डालकर रोग के निदान करने की विधि है। एक्युप्रेशर काउंसिल संस्थापक के अनुसार मानव शरीर पैर से लेकर सिर तक आपस में जुड़ा है तथा हजारों नसें, रक्त धमनियां, मांसपेशियां, स्नायु और हड्डियों के साथ आँख, नाक, कान, हृदय, फेेेेफड़े, दांत, नाड़ी आदि आपस में मिलकर मानव शरीर के स्वचालित मशीन को बखूबी चलाती हैं। अतः किसी एक बिंदु पर दबाव डालने से उससे जुड़ा पूरा भाग प्रभावित होता है। यह भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति भी रही है। एक्युप्रेशर पद्धति कितनी पुरानी है तथा इसका किस देश में आविष्कार हुआ, इस बारे में अलग-अलग मत हैं। ऐसा विचार है कि एक्युप्रेशर जिसकी कार्यविधि एवं प्रभाव एक्युपंचर तुल्य है।

पुरातन काल से लेकर आधुनिक समय तक शरीर के अनेक रोगों तथा विकारों को दूर करने के लिए जितनी चिकित्सा पद्धतियां प्रचलित हुई है उनमें एक्युप्रेशर सबसे पुरानी तथा सबसे अधिक प्रभावशाली पद्धति है। इतना अवश्य है कि प्राचीन समय में इसका कोई एक नाम नहीं रहा। विभिन्न देशों में विभिन्न समय में इस पद्धति को नए नाम दिए गए।

एक्युप्रेशर का आविष्कार लगभग 6 हजार वर्ष पूर्व भारत में ही हुआ था। आयुर्वेद की पुरातन पुस्तकों में देश की प्रचलित एक्युपंचर पद्धति का वर्णन है। प्राचीन काल में चीन से जो यात्री भारत आए, उनके द्वारा इस पद्धति का ज्ञान चीन में पहुंचा जहां यह पद्धति काफी प्रचलित हुई। चीन के चिकित्सकों ने इस पद्धति के आश्चर्यजनक प्रभाव को देखते हुए इसे व्यापक तौर पर अपनाया और इसको अधिक लोकप्रिय तथा समृद्ध बनाने के लिए काफी प्रयास किया। यही कारण है कि आज ये सारे संसार में चीनी चिकित्सा पद्धति के नाम से मशहूर है।

डाॅ. आशिमा चटर्जी (पूर्व एम.पी.) ने 2 जुलाई, 1982 को राज्यसभा में यह रह्स्योद्घाटन करते हुए कहा था कि एक्युपंचर (acupressure) का आविष्कार चीन में नहीं अपितु भारत में हुआ था। इसी प्रकार 10 अगस्त, 1984 को चीन से एक्युपंचर सम्बन्धी हुई एक राष्ट्रीय गोष्ठी में बोलते हुए भारतीय एक्युपंचर संस्था के संचालक डाॅ. पी.झे. सिंह ने तथ्यों सहित यह प्रमाणित करने की कोशिश की थी कि एक्युपंचर का आविष्कार भारत में हुआ था।

यह पद्धति इसलिए भी अधिक प्रभावी है, क्योंकि इसका सिद्धांत पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। इस पद्धति की एक अन्य खूबी यह है कि प्रेशर द्वारा इलाज बिल्कुल सुरक्षित होता है तथा इसमें किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है। एक्युप्रेशर (acupressure) पद्धति के अनुसार समस्त रोगों को दूर करने की शक्ति शरीर में हमेशा मौजूद रहती है पर इस कुदरती शक्ति को रोग निवारण के लिए सक्रिय करने की आवश्कता होती है।

समय के साथ जहाँ इस पद्धति का चीन में काफी प्रचार बढा, भारत में यह पद्धति लगभग अलोप ही हो गयी। इसके कई प्रमुख कारण थे। विदेशी आक्रमण के कारण जहाँ भारतवासियों के सामाजिक, धार्मिक तथा राजनीतिक जीवन में काफी परिवर्तन आया वहीं सरकारी मान्यता के अभाव में एक्युप्रेशर सहित कई अन्य प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियाँ पुष्पित-पल्लवित नहीं हो सकीं।

acupressure therepy

एक्युप्रेशर (acupressure) चिकित्सा प्रणाली को विकसित करने में लगे विशेषज्ञों ने लगभग 100 वर्षों के अथक प्रयास के बाद मानव शरीर में लगभग 900 बिंदुओं को चिह्नित किया था, जिस पर दबाव डालकर हर तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता था। बिहार के एक होम्योपैथिक चिकित्सक ने जागरूकता मिशन के जरिये 90 के दशक में इसे पुनस्र्थापित करने के साथ जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया था। उन्हीं की पुण्यतिथि पर 26 मई को प्रत्येक वर्ष एक्युप्रेशर दिवस का आयोजन किया जाता है वहीं वर्ष 1979 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चीन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान एक्युप्रेशर को एक कारगर चिकित्सा प्रणाली घोषित किया था। भारतीय समाज में तो प्राचीन काल से ही मालिश करने की परंपरा को भी इस विधि से जोड़ कर देखा जाता है।

शरीर में जो बिंदु चिन्हित किए गए हैं, उन्हें एक्युप्वाइंट कहा जाता है। जिस जगह दबाव डालने से दर्द हो उस जगह दबने से संबंधित बिन्दु की बीमारी दूर होती है। कई पूर्वी एशियाई मार्शल आर्ट आत्म रक्षा और स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए व्यापक अध्ययन और एक्युप्रेशर का उपयोग करते हैं। कहा जाता है कि बिंदुओं या बिंदुओं के संयोजन का उपयोग किसी प्रतिद्वंद्वी को हेर-फेर करने या अक्षम करने के लिए किया जाता है।

एक्युप्रेशर पद्धति जिसका आधार प्रेशर या गहरी मालिश है, के सम्बन्ध में प्राचीन भारतीय चिकित्सकों, जिनमें चरक का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है तथा यूनान, मिस, तुर्की तथा रोम के कई प्राचीन चिकित्सकों ने भी अनेक शारीरिक एवं मानसिक रोगों को दूर करने, संचार को ठीक करने, मांसपेशियों को सशक्त बनाने तथा सम्पूर्ण शरीर, विशेषकर- मस्तिष्क तथा चित्त को शांत रखने के लिए गहरी मालिश अर्थात एक्युप्रेशर की सिफारिश की थी। दबाव के साथ मालिश करने से रक्त्त का संचार ठीक हो जाता है।

हजारों वर्षों से मनुष्य अपने शरीर में कहीं भी पीड़ा होने पर वहां दबाव देकर आराम पाने की कोशिश करता आया है। सिर में दर्द होते ही अपने हाथों से सिर को दबाने लगता है। एक हाथ में दर्द होते ही अनायास दूसरा हाथ दर्द वाले स्थान पर पहुंच जाता है तथा हम हाथ दबाने लगते हैं। पैरों में दर्द होते ही या तो हम स्वयं अपने पैर दबाने लगते हैं या हमारी इच्छा होने लगती है कि कोई अन्य व्यक्ति हमारे पैर दबा दे। दबाव के माध्यम से आंतरिक अवयवों को प्रभावित करके शरीर की पीड़ा को कम करने की इसी मनोभावना ने अनेक चिकित्सा पद्धतियों को जन्म दिया, जिन्हें आज हम एक्युप्रेशर, एक्युपंक्चर, सुजोक थेरेपी, रिफ्लेक्सोलाॅजी आदि नामों से जानते हैं।

प्राचीन चीनी चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्युप्रेशर बिंदु हैं। उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सोलाॅजी कहा जाता है। दुनियाभर में पैरों की मालिश चिकिसा का उपयोग किया जाता है।

भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों में बुजुर्गों के पैरों को दबाने की प्रथा प्राचीन काल से ही रही है। जब कभी कोई बुजुर्ग महिला घर के बाहर से आकर प्रवेश करती है तो घर की अन्य युवा महिलायें उनके पैरों को दबाकर आशीष प्राप्त करती हैं और चैन-सुख देती हैं। यह मात्र प्रथा नहीं है, इसके पीछे घर के बड़े-बुजुर्गों को सुकून के साथ-साथ मान-सम्मान की अनुभूति कराना भी होता है। यही कारण है कि मालिश बचपन से लेकर वयस्क होने तक जाने-अनजाने में दिनचर्या के माध्यम से जीवनशैली का अभिन्न अंग रहा है। नंगे पांव श्रम करना, चलने-फिरने की प्रथा इसलिए सुझाव स्वरूप बतायी जाती थी जिससे स्वतः ही पैरों के तलवे से शक्ति संचार सुदृढ़ होकर स्वास्थ्यवर्धक होता था।

आजकल तो आधुनिकता के दौर में खड़े कांटों वाली चप्पलें भी बहुत प्रचलित हैं जो स्वास्थ्यवर्धक हैं इसलिए किसी भी तेल, जैसे सरसों या जैतून आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैरों पर लगायें, विशेषकर तलवों पर तीन मिनट के लिए तथा बांयें और दाहिने पैर के तलवे पर तीन मिनट के लिए लगाना चाहिए।

रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश सरसों या जैतून के तेल से करना कभी भी न भूलें और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए दिनचर्या का हिस्सा बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने बालों में कंघी करते हैं, तो क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाये। स्वस्थ व दीर्घायु रहने के लिए इसे भी अपनी दिनचर्या का अंग बनाकर जीवन को सुखमय बनायें, यह एक स्थापित एवं अटल सत्य है।

– श्वेता वहल

About The Author

admin

See author's posts

1,657

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: शक्ति का प्रयोग मानवहित एवं शांति के लिए होना चाहिए…
Next: Nepal News: बहुत जल्द ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित होने वाला है नेपाल

Related Stories

marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

admin 20 August 2025
brinjal farming and facts in hindi
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

admin 17 August 2025
Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

admin 11 August 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081000
Total views : 147609

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d