अग्निपथ योजना को लेकर पूरे देश में भले ही विरोध के स्वर उठे हों और विपक्षी दलों सहित तमाम लोगों ने युवाओं को गुमराह करने का कार्य किया हो किन्तु यदि इस योजना का समग्र रूप से विश्लेषण एवं मूल्यांकन किया जाये तो स्पष्ट रूप से देखने में आता है कि यह योजना देश के लिए काफी लाभकारी साबित होगी और आवश्यक भी है। वैसे भी देखा जाये तो वर्तमान समय में भारत पूरे विश्व में सबसे युवा देश है। देश की 15 से 25 वर्ष के बीच की युवा पीढ़ी भविष्य में महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना दिशा-निर्देश देगी तथा विभिन्न क्षेत्रों में देश का नेतृत्व कर उज्जवल भारत के सपने को साकार करने में अपना योगदान देगी। इस दृष्टि से देखा जाये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने जो निर्णय लिया है वह निहायत दूरदर्शी कदम है।
अग्निपथ योजना के अंतर्गत अग्निवीरों के लिए जिस उम्र का निर्धारण किया गया है, वही उम्र बच्चों के सीखने-समझने, संभलने, राष्ट्रीय चरित्र निर्माण एवं राष्ट्र भक्ति के जज्बे के साथ जीवन पथ पर आगे बढ़ने की होती है। अग्निपथ योजना के द्वारा हमारे देश का युवा ऐसा बन सकेगा जो देश के अन्य नागरिकों एवं युवाओं के लिए पे्ररणा स्रोत बनेगा। वैसे भी यह बात अपने आप में पूर्ण रूप से सत्य है कि यदि युवावस्था में ही कोई राष्ट्रीय चरित्र निर्माण की आधार शिला पर चढ़कर राष्ट्र भक्ति की अलख जगाने में लग जाता है तो वह राष्ट्र एवं समाज का श्रेष्ठ नागरिक बन जाता है।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए विश्व के एक मात्र दूरदर्शी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों और सेना के प्रमुख अधिकारियों के साथ कई वर्षों के मंथन के बाद इस योजना को अमल में लाने का निर्णय लिया है। इस योजना को अमल में लाने से पहले सरकार ने सर्वप्रथम उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रति वर्ष 100-100 बच्चों को सैन्य शिक्षा देने की योजना प्रारंभ की।
इस योजना के तहत बच्चों को सैन्य शिक्षा के लिए जिन स्कूलों का चयन किया गया है, प्रत्येक स्कूल को सालाना बीस लाख रुपये देने का प्रावधान किया गया है। अप्रैल माह में गहन विचार-विमर्श एवं मंथन के बाद 100 स्कूलों में सैन्य शिक्षा प्रारंभ कर दी गई। इसके अतिरिक्त 100 और स्कूलों के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। कहने का आशय यह है कि युवाओं में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण हो, देश भावना और अधिक जागृत हो, इस दृष्टि से सरकार बहुत ही सराहनीय कार्य कर रही है।
युवाओं में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करने एवं देश भक्ति की भावना और अधिक पैदा करने के लिए इसी कड़ी में सरकार ने अग्निपथ योजना का श्रीगणेश किया है। हालांकि, अग्निपथ नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यह रास्ता आग पर चलने जैसा है मगर इस योजना का विश्लेषण एवं मूल्यांकन किया जाये तो ऐसा लगता है, जैसे सरकार ने अग्नि मिसाइल बनाकर पूरे विश्व में ख्याति अर्जित की है उसी प्रकार अग्निवीर नामक स्वदेशी योद्धा तैयार हो सकें और जिनकी पूरी दुनिया में धमक हो।
अपने समाज में एक पुरानी कहावत है कि यदि अपने पड़ोसी का घर बिगाड़ना हो तो पहले अपना पैसा लगाकर उसके घर के बच्चों को बिगाड़ दो। शुरुआत में शराब पिलाने की आदत बच्चों में डाल दी जाये। पड़ोसी के घर का बच्चा जब पूर्ण रूप से शराबी बन जायेगा तो फिर पड़ोसी का घर बिगड़ने में देर नहीं लगेगी किन्तु यदि कोई बच्चा युवावस्था में ही नियमित, अनुशासित, संयमित, राष्ट्र एवं समाज के प्रति वफादारी, जिम्मेदारी एवं राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत हो जाये तो क्या होगा? यानी इस प्रकार के युवा राष्ट्र की गौरव गाथा को और अधिक बढ़ाने का ही काम करेंगे।
मोटे तौर पर देखा जाये तो इस योजना के पीछे सरकार की मूल भावना यही है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी कस्बे, गांव या मोहल्ले में दस अग्निवीर हों तो क्या उस क्षेत्र में किसी आतंकी वारदात को अंजाम देने की हिम्मत कोई जुटा पायेगा? इस दृष्टि से यदि विचार किया जाये तो यह योजना निहायत लाभकारी नजर आती है। समाज में ऐसे तमाम लोगों का मानना है कि आज का वातावरण कीचड़ के समान है, ऐसे में राष्ट्र भक्ति के रास्ते पर चलना अग्निपथ पर चलने के समान है इसलिए भी यह योजना बहुत जरूरी है।
देश के तमाम लोगों का यह मानना है कि वास्तव में ये अग्निवीर चार साल के बाद क्या करेंगे? देश में बेरोजगारी की ऐसी स्थिति है कि चार साल की नौकरी की तो बात छोड़िये, यदि चार महीने की भी नौकरी मिले तो भी लोग लाइन लगाकर खड़े मिलेंगे। हालात तो यहां तक है कि पीएचडी करके भी लोग चपरासी की नौकरी के लिए कतार में खड़े हैं।
चूंकि, हमारा देश लोकतांत्रिक देश है, इसलिए यहां सभी को अपनी बात कहने की आजादी है। वैसे, यह भी जरूरी नहीं है कि सबकी राय एक जैसी हो किन्तु इस योजना में जो बात महत्वपूर्ण है, वह यह है कि इस योजना से प्रशिक्षित होकर जो भी युवा निकलेगा वह कम से कम देश के साथ न तो गद्दारी करेगा और न ही किसी कीमत पर सरकारी संपत्ति को जलाने एवं नष्ट करने का काम करेगा। यह भी अपने आप में नितांत सत्य है कि जिसको जैसी शिक्षा मिलती है, वैसा ही वह बनता है। देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह योजना पूर्व सैनिकों समेत अन्य पक्षों के साथ लगभग दो साल के विचार-विमर्श और आम सहमति के आधार पर लाई गई है। हम चाहते हैं कि लोगों में देश के लिए अनुशासन एवं गर्व की भावना हो।
वास्तव में यदि इस योजना पर नजर डाली जाये तो अग्निवीरों को प्रति माह 30 हजार रुपये सैलरी मिलेगी, जिसमें से 21 हजार रुपये खाते में मिलेंगे और 9 हजार रुपये कट जायेंगे। इस स्थिति में कोई पीएफ आदि नहीं कटेगा। 9 हजार रुपये सेवा निधि के लिए काटे जायेंगे। बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, सैलरी में प्रति वर्ष इजाफा भी होगा। पहले साल यदि सैलरी 30 हजार रुपये होगी तो दूसरे वर्ष 33 हजार हो जायेगी। इसके बाद तीसरे साल 36,500 और चैथे साल में 40 हजार होगी, वहीं जो पहले साल में 9 हजार कटे थे, वो भी ज्यादा कटने लगेंगे। इस तरह इन हैंड सैलरी दूसरे वर्ष में 21 हजार रुपये से 23,100, तीसे साल में 25500 और चैथे साल में 28 हजार रुपये हो जायेगी। इसके साथ ही सैलरी में से जितनी राशि सेवा निधि के लिए कटेगी, उतनी ही राशि सरकार अपनी तरफ से भी जमा करवायेगी, इससे अग्निवीरों के फंड में पहले साल प्रति माह 18 हजार रुपये जमा होंगे, दूसरे वर्ष में 19,800, तीसरे वर्ष में 21,900 और चैथे वर्ष में 24,000 रुपये हो जायेंगे। ऐसे में कुल मिलाकर चार साल में अग्निवीरों के खाते में 5 लाख दो हजार रुपये तो सैलरी से कटेंगे और इतने ही रुपये सरकार देगी, इसके बाद ब्याज मिलेगा। कुल मिलाकर पूरी सर्विस के बाद अग्निवीरों को 11 लाख 72 हजार रुपये मिल जायेंगे।
अग्निवीर सुविधा अनुसार प्रति वर्ष 30 दिनों की छुट्टियां ले सकेंगे और कार्यकाल के दौरान 48 लाख रुपये के जीवन बीमा कवर का लाभ भी मिलेगा। इसके अतिरिक्त चिकित्सा अवकाश, चिकित्सीय परामर्श के आधार पर दिया जायेगा। बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। सेवाकाल के दौरान अग्निवीर यदि शहीद हो जाता है तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके अतिरिक्त अग्निवीर यदि दिव्यांग हो जाते हैं तो 100 प्रतिशत दिव्यांगता पर 44 लाख रुपये, 75 प्रतिशत दिव्यांगता पर 25 लाख रुपये एवं 50 प्रतिशत दिव्यांगता पर 15 लाख रुपये अदा किये जायेंगे।
जिन लोगों के मन में किसी प्रकार की कोई शंका है तो उसका निराकरण करते हुए तीनों सेनाओं ने कहा है कि सेना के तीनों अंगों (जल, थल और वायु) में अन्य भर्तियां पहले की ही तरह जारी रहेंगी, फिर भी यदि यह योजना लाई गई है तो इसका अपना विशेष महत्व है। इस योजना के माध्यम से सेना का आधुनिकीकरण तेजी से किया जायेगा। इस योजना में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि 4 वर्ष की सेवा के पश्चात निष्पादन के आधार पर 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेना की स्थायी सेेवा में शामिल कर लिया जायेगा। इसके अतिरिक्त जो 75 प्रतिशत अग्निवीर बचेंगे उन्हें केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों एवं अन्य केंद्रीय और राज्य सरकारों एवं उनके विभागों में प्राथमिकता के आधार पर नौकरी दी जायेगी। इसके साथ ही कई निजी संस्थाओं ने भी अग्निवीरों के लिए अपने दरवाजे खोलने की घोषणा की है। इस संबंध में सरकार और सेना ने एक महत्वपूर्ण बात यह कही है कि जैसे-जैसे यह योजना सतह पर आती जायेगी, यदि उसमें किसी प्रकार के सुधार की आवश्यकता महसूस होगी तो वह होता जायेगा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री जी इस योजना को राष्ट्र एवं समाज हित में कामयाब बनाने के लिए आवश्यकता के अनुसार उपयोगी सुझावों को अमल में लाने के लिए खुले मन से तैयार हैं।
हालांकि, देखा जाये तो इस प्रकार की योजना किसी न किसी रूप में अमरीका, ब्रिटेन, रूस, चीन, इजराईल, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, इरीट्रिया, स्विटजरलैंड, ब्राजील, सीरिया, जार्जिया, लिथुआनिया एवं स्वीडन जैसे देशों में मौजूद है। पूरी दुनिया में यदि राष्ट्र भक्ति की बात आती है तो वर्तमान समय में बड़े आदर के साथ इजराईल का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है।
निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि यह योजना राष्ट्र भक्ति एवं राष्ट्रवाद की भावना को और अधिक बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी। छोटा सा देश इजराईल यदि समग्र दृष्टि से आत्मनिर्भर है तो वह अपने श्रेष्ठ नागरिकों की वजह से ही है। यदि मोटे तौर पर अग्निवीर शब्द का विश्लेषण किया जाये तो कहा जा सकता है कि चार साल के प्रशिक्षण के बाद जो युवा अग्निवीर बनकर निकलेगा वह सर्व दृष्टि से देश का श्रेष्ठ नागरिक होगा। श्रेष्ठ नागरिकों से ही श्रेष्ठ परिवार और श्रेष्ठ परिवारों को मिलाकर ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता है। सर्व दृष्टि से एक श्रेष्ठ समाज ही श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।
इस बात की कल्पना स्वतः की जा सकती है कि राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत अग्निवीरों की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती जायेगी, अपराध एवं भ्रष्टाचार पर शनैः-शनैः अंकुश भी लगता जायेगा। जिनके मन में यह आशंका है कि नियमित रूप से होने वाली सेना की भर्ती बंद हो जायेगी तो उन्हें यह जान लेना आवश्यक है कि किसी भी समय भारतीय सैनिकों की कुल संख्या के 50 फीसदी से अधिक अग्निवीरों की संख्या नहीं होगी। यदि कदम-कदम पर देश को अनुशासित, नियमित, संयमित एवं राष्ट्र के प्रति सैनिक मिलेंगे तो इससे देश का भला ही होगा। आज यदि यह कहने की आवश्यकता महसूस हो रही है कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी या नहीं मिलनी चाहिए तो शायद भविष्य में अग्निवीरों से प्रेरित होकर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले युवा या अन्य लोग ही न मिलें।
वैसे भी कहा गया है कि बूंद-बूंद से सागर भरता है। कहने का आशय यह है कि देश में जैसे-जैसे अग्निवीरों की संख्या बढ़ती जायेगी, तमाम समस्याओं का निदान अपने आप होता जायेगा। अग्निपथ निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। पहले वर्ष 40 हजार अग्निवीरों की भर्ती होगी तो दूसरे वर्ष 46 हजार हो जायेगी। यह कारवां ऐसे ही बढ़ता जायेगा और एक दिन ऐसा आयेगा जब देश का प्रत्येक नागरिक किसी न किसी रूप में अग्निवीर बनने के लिए बेचैन हो जायेगा।
कुल मिलाकर कहने का आशय यह है कि अग्निपथ योजना लाकर सरकार ने राष्ट्रीय चरित्र निर्माण व देशहित में बहुत ही नेक काम किया है। देश के प्रत्येक नागरिक को इस योजना का स्वागत करना चाहिए। इसमें किसी भी रूप में किंतु-परंतु की गुंजाइश लाना ठीक नहीं है।
– अरूण कुमार जैन (इंजीनियर)