अकबर बीरबल हमेशा की तरह टहलने जा रहे थे।
रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा, मंत्री बीरबल ने झुक कर प्रणाम किया ।
अकबर ने पूछा कौन हे ये ?
बीरबल – मेरी माता है।
अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़ कर फेक दिया और बोला कितनी माता हैं तुम हिन्दू लोगों की ?
बीरबल को उसका जबाब देने की एक तरकीब सूझी ।
आगे एक बिच्छुपत्ती (खुजली वाला) झाड़ मिला!
बीरबल उसे दंडवत प्रणाम कर, कहा – जय हो बाप मेरे ।
अकबर को गुस्सा आया … । दोनों हाथों से झाड़ को उखाड़ने लगा ।
इतने में अकबर को भयंकर खुजली होने लगी तो बोला: बीरबल ये क्या हो गया ?
बीरबल ने कहा : आप ने मेरी माँ को मारा इस लिए ये गुस्सा हो गए ।
अकबर जहाँ भी हाथ लगता वहाँ पर उसे खुजली होने लगती ।
अकबर बोला : बीरबल जल्दी कोई उपाय बताओ ।
बीरबल बोला : उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी माँ है । उनसे विनती करनी पड़ेगी ।
अकबर बोला : जल्दी करो ।
आगे गाय खड़ी थी बीरबल ने कहा : गाय से विनती करो कि हे माता, दवाई दो ?
गाय ने गोबर कर दिया ।
अकबर के शरीर पर उसका लेप करने से फौरन खुजली से राहत मिल गई ।
अकबर बोला : बीरबल अब क्या राजमहल में ऐसे ही जायेंगे ?
बीरबल ने कहा : नहीं बादशाह हमारी एक और माँ है । सामने गंगा बह रही थी ।
आप बोलिए हर हर गंगे …। जय गंगा मईया की … और कूद जाइए ।
नहा कर अपने आप को तरोताजा महसूस करते हुए अकबर ने गंगा मैया को नमन किया तो बीरबल ने अकबर से कहा “महाराज ये तुलसी माता, गौ माता, गंगा माता तो जगत जननी है सबकी माता हैं बिना भेदभाव सबका कल्याण करने वाली हैं ।
इनको मानने वालों को ही “हिन्दू” कहते हैं ।
हिन्दू एक “संस्कृति” है, “सभ्यता” है । सम्प्रदाय नहीं ।
गौ, गंगा, गीता और गायत्री का सम्मान कीजिये ….।
ये सनातन संस्कृति के प्राण स्तंभ है ।