CAA-NRC और किसान आंदोलन में अराजकों के प्रति भारत सरकार का जो रवैया रहा है और जिसके कारण आज तीनों अधर में लटक चुके हैं, वह स्थिति समान नागरिक संहिता (UCC) की घोषणा के बाद भी होगा। अराजक इसे भी मुस्लिम विरोधी बताएंगे और भारत सरकार इसमें भी अंतरराष्ट्रीय दबाव मानकर पीछे हट जाएगी।
इससे अच्छा और बुनियादी बदलाव अनुच्छेद-25 से 30 तक को ध्यान में रखते हुए हिंदुओं को भी अपने शिक्षण संस्थान खोलने का अधिकार दिया जाए, मंदिरों का प्रबंधन हिंदुओं को प्राप्त हो जिससे हिंदुओं का सर्वाधिक भला होगा। इसका कोई विरोध भी नहीं करेगा, क्योंकि अल्पसंख्यकों को पहले से ही यह अधिकार मिले हुए हैं। UCC उसके बाद का चरण है।
कोनराड का वक्तव्य:-
“Bad strategy. Everyone could know that CAA would be construed as anti-Muslim discrimination. But the really consequential reforms, viz. restoring Hindu autonomy & equality in school & temple management, were far less susceptible to such misconstruction yet shunned by this (Modi) Govt.”
लेखक व विचारक शंकर शरण जी द्वारा पक्ष:-
UCC अधिक कठिन, लागू करने में विकट, और हिन्दू हितों के लिए लगभग अप्रासंगिक है।
तुलना में, हिन्दू मंदिरों और हिन्दू शिक्षा संचालन में हिन्दुओं को मुसलमानों क्रिश्चियनों के ‘समान अधिकार’ दे देना हिन्दू हित के लिए अतुलनीय रूप से महत्वपूर्ण है।
इसे लागू करना आसान और लगभग निर्विरोध हो सकता है। इस कार्य की उपेक्षा ऐसी है, मानो कोई हाथ में मिला ब्रह्मास्त्र फेंक कर किसी से लाठी छीनने के लिए जद्दोजहद करे!
नोट:- भारत कैसे विश्वगुरु बना, वह यहां की शिक्षा व्यवस्था और राज्य के संचालन में छिपा था, जिसे तुर्क-मुगलों ने कुचला, अंग्रेजों और मार्क्सवादियों ने तेजी से दबाया और स्वतंत्रता के बाद सभी शासकों ने उनकी ही राह को अपनाया, अन्यथा संविधान में हिंदुओं को ही केवल उसके शिक्षण संस्थान को खोलने से क्यों रोका गया? वक्फ और चर्च को स्वतंत्र छोड़ा गया और हिंदुओं के मंदिरों पर ही क्यों कब्जा किया गया?
– संदीप देव