म.प्र. का होशंगाबाद अब ‘नर्मदापुरम’ के नाम से पहचाना जायेगा, अन्य कई शहरों के भी बदले जायेंगे नाम
अजय सिंह चौहान || मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) अब यह बात अच्छी तरह से जान चुके हैं कि अब समाजवाद और सेक्युलरवाद के दम पर अब ज्यादा दिनों तक राजनीति नहीं की जा सकती है और ना ही आरएसएस के इशारों पर ज्यादा दिनों तक सत्ता की कुर्सी पर बैठा जा सकता है। क्योंकि आरएसएस (behest of RSS) तो हिंदुओं को सिर्फ और सिर्फ कायर और ऐसा सरकारी हिंदू बनाकर उनके वोट बटोरने के लिए ही काम कर रहा है जो सिर्फ चुनाव के समय ही राष्ट्रवादी और हिंदू बने और बाकी चार वर्षों तक बेवकूफ और महामूर्ख हिंदू बन कर ये सब भूल जाये।
सच्चे हिंदू अब ये बात अच्छी तरह से जान चुके हैं कि हिंदुत्व और सनातन से तो आरएसएस (behest of RSS) का कोई नाता ही नहीं है। क्योंकि आरएसएस तो यह बात पहले ही कह चुका है कि उनका और उस विशेष समुदाय का डीएनए एक ही है, तभी तो न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देशभर में तमाम हिंदूवादी संगठन ऐसे हैं जो कि अब किसी भी कीमत पर आरएसएस को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते।
सच्चे हिंदू और हिंदूवादी संगठन ये बात जानते हैं कि आरएसएस (behest of RSS) हमारे देश को कभी भी एक हिंदूराष्ट्र नहीं बनने देगा, बल्कि अवसर आने पर वह भी अपना डीएनए बदल कर उन्हीं के साथ हो लेगा और हिंदुराष्ट्र का विरोध करेगा। शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) भी अब ये बात बहुत अच्छी तरह से जान चुके हैं कि आज अगर प्रदेश के हिंदुओं ने उन्हें दिल की बजाय दिमाग में बैठा लिया तो फिर उनका हाल भी कांग्रेस की तरह से हा जायेगा।
शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को इस बात का भी आंदेशा है कि अगर आज भी वे प्रदेश की जनता के मन की बात को नहीं समझ पायेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Mr. Narottam Mishra) ही उनका स्थान लेकर देश के उन उभरते हुए कट्टर हिंदूवादी छवि के नेताओं जैसे योगी आदित्यनाथ और हेमंत विश्वशर्मा जैसों के साथ न सिर्फ गिने जायेंगे बल्कि सनातन के भगवा ध्वज को लेकर एक राष्ट्रव्यापी छवि के महानायक बन जायेंगे। हालांकि श्रीमान नरोत्तम मिश्रा जी एक जागृत हिंदु बन चुके हैं और न सिर्फ प्रदेश का बल्कि संपूर्ण देश का हिंदू उनकी ओर आशाभरी नजरों से देख भी रहा है।
शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ये बात समझ चुके हैं कि उनके प्रदेश की जनता इस समय उनसे नफरत करने लगी है और उनके गृहमंत्री श्रीमान नरोत्तम मिश्रा जी को हद से ज्यादा पसंद करने लगी है। हो भी क्यों न, श्रीमान नरोत्तम मिश्रा (Mr. Narottam Mishra) जी की छवि मध्य प्रदेश में यूपी के योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और आसाम के हेमंत विश्वशर्मा (Hemant Vishwasharma) जैसी बन चुकी है, इसलिए आमजन उन्हें अब भविष्य का कट्टर हिंदूवादी महानायक समझ कर अपना भविष्य सुरक्षि करना चाहती है।
तभी तो उत्तर प्रदेश की हिंदूवादी विचारधारा की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने भी कई सार्वजनिक स्थानों और प्रमुख शहरों के नाम बदलने की परंपरा को प्रारंभ कर दिया है और प्रदेश में जिन शहरों के नाम मुगलों या अंग्रेजों के नामों पर या उनकी याद दिलावे वाले नाम या उनके मजहब के द्वारा थोपे गये थे उन्हें अब फिर से प्राचीन और पौराणिक नाम और पहचान दिलाने के लिए आम जनता के साथ-साथ कुछ विशेष संस्थाओं की मांग पर जल्द ही बदल दिया जायेगा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने रात के करीब 10 बजे ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी है कि ‘‘पवित्र नर्मदातट पर बसे होशंगाबाद शहर को अब मध्य प्रदेश की प्राणदायिनी मैया नर्मदा की जयंती के शुभ दिन से ‘नर्मदापुरम’ कहा जाएगा।’’
ट्वीट के अनुसार, होशंगाबाद के अलावा अब शिवपुरी को भी कुंडेश्वर धाम के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह जानकारी केंद्र सरकार की तरफ से नाम बदलने की प्रक्रिया को मंजूरी मिलने के बाद ही ट्वीटर के माध्यम से दी है।
पवित्र श्री नर्मदा जयंती इस वर्ष 7 फरवरी (Sri Narmada Jayanti is on 7th February) को है और घोषणा के अनुसार इसी शुभ दिन से होशंगाबाद शहर को आधिकारिक तौर पर ‘नर्मदापुरम’ नाम से पहचाना जायेगा। इसके अलावा शिवराज सिंह (Shivraj Singh Chouhan) ने प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली बाबई का नाम बदल कर उन्हीं के नाम पर ‘‘माखन नगर’’ करने की भी जानकारी भी दी है।
खबरों की माने तो प्रदेश की शिवराज सरकार अभी और भी करीब 12 से 15 ऐसे शहरों के नाम बदलने की तैयारी में है जो कलंकित नामों से पहचाने जाते हैं या फिर उनके प्राचीन नामों को विकृत रूप दे दिया गया था और वे आज भी चल रहे हैं। इनमें सबसे पहले नाम आता है राजधानी भोपाल, ग्वालियर और नर्मदा के तट पर बसे देवी अहिल्याबाई के शहर महेश्वर का।
आप को बता दें कि प्रदेश के इन प्रमुख शहरों और स्थानों के नाम बदलने की मांग वहां के कई प्रमुख संगठनों और प्रमुख लोगों के द्वारा ही की जा रही है, जिसके बाद ही श्रीमान शिवराज सिंह चौहान जी की नींद टूट रही है और वे इस प्रकार के कुछ अच्छे फैसले ले पा रहे हैं। दूसरी भाषा में कहें तो जनता के दबाव और शोर-शराबे के बाद ही वे जागते हैं और कुछ अच्छे फैसले ले पाते हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के मामले में जनता पीछे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी (Yogi Adityanath) आगे-आगे चलते हैं। बल्कि कई बार तो उनकी जनता को पता ही नहीं होता कि योगी जी इतना अच्छा फैसला ले भी चुके हैं।
आपको बता दें कि कई प्रमुख संगठनों और आमजन की भारी मांग के बाद ही पिछले वर्ष भी शिवराज सिंह जी ने हबीबगंज स्टेशन का नाम बदल कर “रानी कमलापति रेलवे स्टेशन” और पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम भी ‘‘टन्ट्या मामा रेलवे स्टेशन’’ किया था।
यहां हम आपको यह भी बता दें कि नाम बदलने की यह प्रक्रिया स्थानीय निकायों द्वारा प्रस्ताव पारित करने के बाद शुरू होती है। राज्य शासन के द्वारा यह प्रस्ताव को केन्द्र के पास भेजा जाता है और उस पर केंद्र शासन के द्वारा अंतिम मुहर लगने के बाद ही यह प्रक्रिया पूरी मानी जाती है और उसी के बाद किसी भी शहर या स्थान को नया नाम दिया जा सकता है।