संघ प्रमुख मोहन भागवत जी एवं संघ विचारधारा की पत्रिका पांचजन्य और आर्गेनाइजर एवं उनके संपादक हितेश शंकर एवं प्रफुल्ल केतकर के विरुद्ध आज (23 जनवरी, 2023) मैंने दिल्ली के बिंदापुर थाने में हिंदुओं की धार्मिक भावना को आहत करने की शिकायत दर्ज करा दी है।
इन्होंने महाभारत-पुराण में ‘समलैंगिकता’ के झूठ को प्रकाशित व प्रसारित करते हुए दो सगे शिवांश भाई हंस-डिम्भक को न केवल समलैंगिक ठहराने का घृणित प्रयास किया, वरन भगवान श्रीकृष्ण को अफवाह उड़ाने वाला भी दर्शाने का काम किया है!
मैंने दोनों पत्रिका के संपादकों को हरिवंश पुराण स्कैन करा कर WhatsApp किया कि आप इसका अध्ययन करते हुए इसके लिए खेद व्यक्त करें और खंडन छाप दें, लेकिन उन्होंने देखकर भी इसे अनदेखा कर दिया।
मैंने संघ प्रमुख को भी ट्वीटर पर टैग करते हुए विनती की कि क्षमा मांगने से कोई छोटा नहीं होता, आप अपने बयान वापस ले लीजिए, परंतु किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हार कर आज दोपहर मुझे शिकायत दर्ज कराना पड़ा। आगे हम यह लड़ाई अदालत में लड़ने के लिए तैयार हैं।
ये लोग ‘समलैंगिकता’ को अपनाएं, उसे सपोर्ट करें, इससे हमारा कोई विरोध नहीं है, परंतु सबसे बड़ी कथित हिंदू संस्था का प्रमुख यदि हमारे शास्त्रों में गलत उदाहरण देकर समलैंगिकता का अफवाह फैलाए तो इससे आने वाली हिंदू पीढ़ियों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा! यह एक गलत उदाहरण बन जाएगा!
यह ‘समलैंगिकता’ जैसे अप्राकृतिक कृत्य को हिंदू धर्मशास्त्रों द्वारा उचित ठहराने का ऐसा जघन्य अपराध है, जिसका लाभ वामपंथी लेखक और पत्रकार अभी से लेख लिख कर उठाने लगे हैं।
देवदत्त पटनायक जैसे ‘मिथकवादी’ यह लिख रहे हैं कि भारतीय संस्कृति में समलैंगिकता पहले से था, जिसे मोहन भागवत जी ने खोज निकाला है। शेखर गुप्ता अंग्रेजी में भागवतजी की वाहवाही में लेख लिख रहे हैं! भारत पर घात लगाए बैठी विदेशी मीडिया व संस्थाएं भी हिंदुओं के धर्मशास्त्रों पर हमला करने के लिए भागवत जी के इसी बयान का उपयोग भविष्य में करेगा, ऐसी पूरी संभावना है!
भारत की पारिवारिक व्यवस्था को तोड़ने का जो षड्यंत्र पश्चिम की औपनिवेशिक व अब्राहमिक ताकतों ने सदियों से किया है, आज संघ जैसा खुद को हिंदू कहने वाला संगठन भी उसके साथ कंधे से कंधा मिलाता दिख रहा है! हद यह है कि संघ प्रमुख इसके लिए हिंदू शास्त्रों की गलत व्याख्या प्रस्तुत कर रहे हैं और संघ विचारधारा की पत्रिकाएं इसे छाप रही हैं! ऐसा लगता है संघ पश्चिम की अदृश्य ताकतों के हाथों में जैसे खेल रहा हो!
इस पर सनातन समाज की चुप्पी को देखते हुए मुझे यह ‘कानूनी स्टैंड’ लेना पड़ा। उम्मीद है भागवत जी और दोनों पत्रिका के संपादक इस मामले की गंभीरता को समझेंगे और खंडन छाप कर इस गलती की क्षमा सनातन वैदिक हिन्दू समाज से मांगेंगे।
Right जब Left से सर्टिफाइड होना चाहता है तो अकसर अपने धर्म व परंपरा पर आघात कर बैठता है! भागवत जी का यह बयान कुछ-कुछ ऐसा ही है। इस मुद्दे पर समर्थन करने वाले सभी सनातनी बंधुओं/भगनियों का धन्यवाद।
– संदीप देव (लेखक एवं पत्रकार), शिकायतकर्ता