कोई भी मूल्यवान पदार्थ उनकी दुर्लभता के कारण या फिर उनके उत्पादन में कठिनाई के कारण ही अत्यधिक महंगे होते हैं। महंगे पदार्थों का मूल्य नियमित रूप से उनकी उपलब्धता और मांग के आधार पर बदलता रहता है। सबसे महंगी सामग्रियों की सूची में पाये जाने वाले दुर्लभ तत्वों के महंगे होने का अन्य कारण यह है कि दुनिया में कुछ सबसे महंगी सामग्री का उपयोग उच्च मांग वाले उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाता है। जैसे इन महंगी सामग्रियों से सबसे अधिक आभूषण, इंजन और यहां तक कि दांतों की फिलिंग भी की जा सकती है, जिसके कारण यह सामग्री कई उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है।
1. एंटीमैटर (6,414,000,000,000,000 रु. प्रति ग्राम) –
एंटीमैटर सामान्य पदार्थ के विपरीत गुणों वाला होता है। इसके उप परमाणु कणों में भी सामान्य पदार्थ के विपरीत गुण होते हैं जिसके कारण उन कणों का विद्युत आवेश उलट जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार बिग बैंग के बाद पदार्थ के साथ एंटीमैटर बनाया गया था, लेकिन आज के ब्रह्मांड में एंटीमैटर दुर्लभ हो चुका है। इसकी दुर्लभता का कारण क्या है। वैज्ञानिकों को अभी तक ज्ञात नहीं है। एंटीमैटर को प्रयोगशालाओं में बनाया तो जा सकता है लेकिन वह बहुत ही कम मात्रा में और बहुत खर्चीला हो सकता है। यह एक शानदार आविष्कार है जिसका उपयोग ग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों के भविष्य और अंतरिक्ष यान तथा यात्राओं को बढ़ावा देने के लिए होता है।
2. कैलिफोर्नियम-252 (1,73,11,72,500 प्रति ग्राम) –
कैलिफोर्नियम एक रेडियोधर्मी धात्विक रासायनिक तत्व है जिसे प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। इसका उपयोग विस्फोट तैयार करने और लैंड माइंस का पता लगाने या उनकी पहचान करने और कैंसर के इलाज के अलावा अन्य उपकरणों में भी किया जाता है।
3. हीरा (41,67,637 रुपये प्रति ग्राम) –
हीरे स्वयं के प्रकाश से चमकते प्रतीत होते हैं, क्योंकि हीरे का अपवर्तनांक उच्च होता है, इसी गुण के कारण साॅलिटेयर और बारीक कटे हीरे दुनिया में सबसे अधिक मांग वाले रत्नों में से एक है।
4. ट्रिटियम (19,23,525 रु. प्रति ग्राम) –
परमाणु प्रतिक्रिया के दौरान बनने वाले हाइड्रोजन का यह रेडियोधर्मी समस्थानिक है। इसके अलावा हमारे दैनिक जीवन में, ट्रिटियम का उपयोग माॅल, थिएटर और कार्यालय भवनों में स्व रोशनी संकेतों के लिए किया जाता है।
5. बिच्छू का जहर (6,41,175 रुपये प्रति द्रव औंस) –
दुनिया की तमाम बिच्छू प्रजातियों में से मात्र 25 प्रजातियों के बिच्छुओं में ही एक ऐसा विष पाया जाता है जो मनुष्यों के लिए घातक होता है जबकि उस जहर में पाया जाने वाले प्रोटीन का उपयोग सूजन, आंत्र रोग, संधिशोथ, और मल्टीपल स्केलेरोसिस को ठीक करने के लिए किया जाता है।
6. Taaffeite (1,60,256 रुपये से 12,82,010 रुपये प्रति ग्राम के बीच) –
यह मटमैला रंग का रत्न है जो मैग्नीशियम, बेरिलियम और एल्युमिनियम से बना है। हीरे की तुलना में यह एक लाख गुना दुर्लभ और अधिक टिकाऊ भी माना जाता है।
क्या है दुनिया के 10 सबसे महंगे पदार्थ और इनकी वर्तमान कीमत
7. प्लूटोनियम (2,56,402 रुपये प्रति ग्राम) –
यह एक प्रकार का रेडियोधर्मी तत्व है जिसका प्रकृति में केवल कुछ अंश ही पाया जाता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोग परमाणु रिएक्टरों के संचालन में होता है।
8. सोलिरिस (10,705.12 रुपये प्रति द्रव औंस) –
दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में सोलिरिस का नाम आता है। सोलिरिस का उपयोग दुर्लभ रक्त विकार के उपचार में सबसे अधिक किया जाता है।
9. क्रेम डी ला मेर (4485.64 रुपये प्रति ग्राम) –
क्रेम डी ला मेर को एंटी-एजिंग और माॅइस्चराइजिंग क्रीम समुद्री केल्प और एक अग्रणी जैव किण्वन प्रक्रिया के साथ प्रयोगशाला में तैयार किया गया है।
10. प्लेटिनम (रु. 1974.32 प्रति ग्राम) –
इस दुर्लभ, कीमती धातु का व्यापक रूप से गहनों में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा उत्प्रेरक कन्वर्टर्स, इलेक्ट्राॅनिक्स और कैंसर विरोधी दवाओं में भी इसका उपयोग किया जाता है।
– अशोक सिंह, ग़ाज़िआबाद, उत्तर प्रदेश