अपराध चाहे जिस प्रकार के हों, उन पर किसी भी सूरत में नियंत्रण बेहद जरूरी है। आजकल देखने में आ रहा है कि यदि कोई घटना मीडिया एवं सोशल मीडिया में आ जाती है तो उसमें त्वरित गति से कार्रवाई हो जाती है। बड़े मामले अमूमन मीडिया एवं सोशल मीडिया में प्रचलित हो जा रहे हैं किन्तु क्षेत्रीय स्तर पर आये दिन अनेक ऐसे अपराध होते रहते हैं जो मीडिया एवं सोशल मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाते हैं, इसलिए उनके निर्णायक नतीजे तमाम मामलों में नहीं आ पाते।
राह चलते किसी के गले से चेन छीन लेना, किसी का मोबाइल, पर्स छीन लेना, किसी की जेब से पैसे निकाल लेना, किसी को चाकू मार देना आदि तमाम तरह की घटनाएं होती रहती हैं। जगह-जगह सी.सी.टी.वी. कैमरे एवं अन्य तकनीकी उपकरणों के बावजूद तमाम मामलों में शासन-प्रशासन एवं न्याय तंत्र किसी निर्णायक नतीजे पर नहीं पहुंच पाता है जिसकी वजह से अपराधियों का मनोबल बढ़ता है।
मोबाइल चोरी की घटनाएं जिस हिसाब से बढ़ रही हैं, ऐसे में तमाम लोग सलाह देने लगे हैं कि राह चलते मोबाइल से बात करना खतरे से खाली नहीं है जबकि मोबाइल आईएमईआई नंबर के जरिये बरामद किये जा सकते हैं किन्तु अधिकांश मामलें में पुलिस भी यह कह कर पल्ला झाड़ लेती है कि आखिर हम क्या-क्या करें? हमारे पास और भी बहुत काम हैं। महिलाओं को भी अकसर इस बात की सलाह मिलती रहती है कि महंगे आभूषण पहनकर एवं महंगे मोबाइल लेकर घर से न निकलें क्योंकि इससे समस्या हो सकती है।
अब ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि आखिर लोग करें तो क्या करें और कैसे रहें? क्या पहन कर घर से निकलें और क्या पहनकर न निकलें। बंद पड़े फ्लैटों में ताला तोड़कर चोरी की घटनाएं भी कम नहीं हैं। घर के सामने से बाइक कब उठ जाये, इस बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है? इस संबंध में मुख्य बात यह है कि आखिर इन समस्याओं से निजात पाने का क्या उपाय है? अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि हर छोटे-मोटे अपराध मीडिया एवं सोशल मीडिया की सुखियां बन पायें? यदि प्रयास किया जाये तो मोबाइल चोरों को पकड़ा जा सकता है।
25 प्रतिशत मोबाइल की भी रिकवरी होने लगे तो मोबाइल चोरी की वारदातों में काफी कमी आ सकती है। कभी-कभी देखने में आता है कि गली-मोहल्ले के चोर-उचक्के और गुंडे लोगों के लिए सिरदर्द हो जाते हैं और इनके खिलाफ डर के कारण तमाम लोग पुलिस के पास भी नहीं जाना चाहते हैं।
ऐसी स्थिति में इस बात की नितांत आवश्यकता है कि स्थानीय स्तर के अपराधों पर नियंत्रण उतना ही जरूरी है जितना कि बड़े अपराधों पर। स्थानीय अपराधों से लोगों को आये दिन दो-चार होना पड़ता है। मुझे यह बात लिखने में कतई संकोच नहीं है कि स्थानीय स्तर के अपराध लोगों को काफी पीड़ा देते हैं और लोग इन अपराधों से काफी भयभीत भी रहते हैं।
वर्तमान स्थिति में स्थानीय स्तर के अपराधों पर नियंत्रण के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाये जाने की जरूरत है जिससे अपराधियों का मनोबल तोड़ा जा सके और कानून के भय से उनमें बार-बार अपराध करने की हिम्मत न आ सके। अतः, इस तरफ गंभीर एवं सख्त कदम उठाये जाने की नितांत आवश्यकता है।
– जगदम्बा सिंह