एकम सनातन भारत दल के सभी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों, समर्थकों और मतदाताओं को धन्यवाद। एकम ने इस लोकसभा चुनाव में उत्तर-पूर्व से लेकर महाराष्ट्र तक कुल 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हमें कोई सफलता नहीं मिली। बिना संगठन, बिना कार्यकर्ता, बिना धन और धन के अभाव में बिना प्रचार-प्रसार के हमें सफलता मिल जाएगी, यह दिवा-स्वप्न भी हमने नहीं देखा था। इस चुनाव में हमारे सभी उम्मीदवारों को मिलाकर कुल 68,030 वोट मिले। अर्थात् 68 हजार से अधिक लोगों तक हिंदुओं के वास्तविक मुद्दों को पहुंचाने में हम सफल रहे। यह 68 हजार वो हिंदू हैं, जिन्होंने पार्टी के ‘सप्त-संकल्प’ से प्रेरित होकर विशुद्ध हिंदू मुद्दों पर वोट किया है। किसी सोशल मीडिया या यूट्यूब के जरिए नहीं। एकम के उम्मीदवार और कार्यकर्ता इन 68 हजार मतदाताओं के घरों में पहुंच कर और ग्राउंड पर उतर कर हिंदुओं के प्रमुख मुद्दों को समझाने में सफल रहे हैं। ये सभी लोग इन मुद्दों से सहमत हुए हैं और इस पर वोट किया है, यह कोई छोटी सफलता नहीं।
हां, हमें दुख है कि पार्टी के अध्यक्ष एडवोकेट अंकुर शर्मा जी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी। पार्टी चाहती थी कि एक विशुद्ध हिंदू आवाज संसद में पहुंचे और हिंदुओं से जुड़े सारे मुद्दे संसद में रखे, लेकिन इस बार यह नहीं हो सका, जिसके लिए हम हिंदू समाज से क्षमाप्रार्थी हैं। हम हिंदू समाज को विश्वास दिलाते हैं कि हम और मेहनत करेंगे, इस लक्ष्य को पाने के लिए।
लेकिन हम पूरी तरह से विफल भी नहीं हुए हैं। जिस नाॅर्थ-ईस्ट में क्रिश्चियन मिशनरी और अलगाववादी म्लेच्छों की बड़ी संख्या है, वहां हमारे उम्मीदवार तीसरे और चैथे नंबर पर आए हैं, यह मात्र एक साल पुरानी पार्टी के लिए किसी बड़ी सफलता से कम नहीं है। असम के जोरहाट से एकम के उम्मीदवार अरुणचंद्र हांडिक जी जहां तीसरे नंबर पर रहे, वहीं असम की राजधानी गुवाहाटी से अमिताभ शर्मा जी चैथे नंबर पर रहे। यही नहीं, मप्र के जबलपुर से विजय हल्दकर जी और राजस्थान के कोटा से आशीष योगी जी चैथे नंबर पर पर रहे। कार्यकर्ता एवं धन व संगठन की कमी से जूझते हुए एक साल पुरानी पार्टी की यह सफलता कम नहीं है, बस आपका देखने का नजरिया कैसा है, सब कुछ इस पर निर्भर करता है।
इस एक साल में एकम का संगठन बड़ा होता, लेकिन एक पार्टी व संगठन विशेष के घुसपैठियों के कारण इसमें बार-बार अवरोध का सामना करना पड़ा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे पदों पर घुसपैठिए पहुंचने में सफल रहे और पार्टी को एक तरह से अपाहिज बनाने में वो काफी हद तक कामयाब रहे। यह कोई एक प्रदेश में नहीं हुआ, बल्कि कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मप्र, बंगाल और उप्र में लगभग एक ही तरीके को अपनाते वहां के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों ने गुटबंदी करके इसे अंजाम दिया।
विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक, एक ही मोडस ओपरेंडी से चुनाव के बीच एक के बाद दूसरा प्रदेश अध्यक्ष यह पूछने पर कि इस चुनाव में आप कितने उम्मीदवार दे रहे हैं? उम्मीदवारों की कोई सूची है तो दीजिए? पार्टी में अब तक कितने कार्यकर्ता बनाए हैं? प्रदेश में पार्टी का कार्यक्रम रखिए, जिसमें केंद्र से पदाधिकारी जाएंगे और पार्टी के विस्तार पर चर्चा करेंगे आदि पूछते ही बौखला उठता, फिर पार्टी की पूरी कार्यकारिणी को लेकर अपना नया संगठन बनाता और सोशल मीडिया के जरिए पार्टी को बदनाम करने का अभियान चलाता। पार्टी के अंदर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के कारण प्रदेश की पूरी कार्यकारिणी बनाने का काम प्रदेश के ही अध्यक्ष और महासचिव का होता है, इसलिए ऐसे गद्दार अध्यक्ष अपनी पूरी कार्यकारिणी को पार्टी से तोड़ने में सफल रहे।
महाराष्ट्र और उप्र की पूर्व टीम ने पार्टी से ही मिले मानव संसाधन और धन का उपयोग कर अपना संगठन तक बना लिया! सुना है उप्र के गद्दारों ने पार्टी अध्यक्ष Ankur Sharma जी की हार पर कल जश्न भी मनाया है। उप्र का एक पूर्व पदाधिकारी ने भाजपा के एक विधायक से मिलकर पार्टी को उप्र में ठप किया तो मप्र के पूर्व पदाधिकारी ने एकम को ठप करने के ईनाम स्वरूप दूसरी पार्टी में राष्ट्रीय पद पाने में सफल रहा। महाराष्ट्र के कुछ पूर्व पदाधिकारी ने पार्टी से मिले फंड और मानव संसाधन का उपयोग कर अपना एजनीओ खड़ा कर लिया!
ऐसे में पार्टी के उन प्रदेश अध्यक्षों को धन्यवाद देना बनता है, जिनके प्रदेश में कोई उम्मीदवार नहीं था तो उन्हांेने आगे बढ़कर अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करते हुए चुनाव में सहभागिता की। वो जानते थे कि वो बुरी तरह से हारेंगे, लेकिन कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा के अध्यक्ष महावीर सिंह जी, पूर्वी दिल्ली के अध्यक्ष ज्योति प्रकाश जी, छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष लक्ष्मण पाठक जी और महाराष्ट्र के अध्यक्ष सुब्रतो राय जी ने आगे बढ़कर जो नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया, उसके लिए पूरी पार्टी उनका धन्यवाद करती है। इनका यह प्रयास उन गद्दार पूर्व प्रदेश अध्यक्षों व पदाधिकारियों के मुंह पर भी तमाचा है, जो पार्टी में जमीनी स्तर पर काम करने की जगह एकम का उपयोग कर सोशल मीडिया पर अपनी ब्रांडिंग करते रहे और जब पहचान मिल गई तो पार्टी को तोड़ कर उसे बदनाम करने का एजेंडा चलाते रहे।
अंत में पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों, फाउंडर मेंबरों, समर्थकों का दिल से धन्यवाद कि वह इस माहौल में भी हमारे साथ बने रहे।
धन्यवाद यदि मैं India Speaks Daily के पाठकों और दर्शकों का नहीं करूं तो यह सबसे बड़ा अन्याय होगा। पार्टी को खड़ा करने के लिए सर्वाधिक संख्या में नियमित रूप से धन का जो दान इंडिया स्पीक्स के दर्शकों ने किया है, मैं उनका ऋणि हूं। मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि यदि इंडिया स्पीक्स के लोग नहीं होते तो इस पार्टी को न मानव संसाधन मिलता, न धन मिलता और न ही जम्मू से निकल कर यह पार्टी राष्ट्रीय स्तर की बन पाती। आप सभी का आभार।
इस चुनाव से हमने जो सीखा है, वह हमें और मजबूत ही बनाएगा यह मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं। चुनावी समीक्षा के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के नेतृत्व में शीघ्र ही बैठक होगी और उससे निकले विमर्श को भी सभी के समक्ष रखा जाएगा। पुनः आप सभी का धन्यवाद।
आपका #SandeepDeo
संगठन महासचिव,
एकम सनातन भारत दल।
#ekamsanatanbharatdal #ekamai