मध्य प्रदेश के इंदौर जैसे महानगर में भगवान गणेश के अनगिनत ऐसे मंदिर हैं जो संभवतः देश के किसी भी दूसरे शहर या कस्बे में देखने या सुनने को नहीं मिलेंगे। और इन सभी मंदिरों की कुछ न कुछ अलग ही विशेषतायें और मान्यतायें भी हैं। जिसे देखकर लगता है कि इंदौर के साथ भगवान गणेश जी का रिश्ता भी संभवतः आदिकाल से और युगों-युगों से कुछ न कुछ विशेष ही रहा होगा। इसके अलावा, यहां कुछ ऐसे गणेश मंदिर भी हैं जिनका पौराणिक और आधुनिक इतिहास एवं मान्यतायं सबसे अलग और सबसे विशेष माना जाता है। यहां हम आपको ऐसे ही इंदौर के कुछ खास और महत्वपूर्ण गणेश मंदिरों के बारे में बताने जा रहें हैं।
1. खजराना का गणेश मंदिर –
खजराना का यह गणेश मंदिर खजराना नामक स्थान पर स्थित इस गणेश मंदिर को इंदौर का सबसे प्राचीन मंदिर माना गया है। इसके वर्तमान मंदिर की संरचना का निर्माण सन 1735 में होलकर वंश की महारानी आहिल्याबाई के द्वारा करवाया था।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार किसी व्यक्ति को भगवान गणेश ने सपने में आकर बताया था कि यहां उनकी प्रतिमा दबी हुई है। और जब महारानी आहिल्याबाई को इस सपने के बारे में पता चला तो उन्होंने यहां अपनी सेना भेजकर इस स्थान की खुदाई करवाई। उसी खुदाई के दौरान वहां से भगवन गणेश जी की यह प्रतिमा मिली। बाद में उसी स्थान पर गणेश की इस प्रतिमा की स्थापना करवा दी गई। मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश के साथ सरस्वती की प्रतिमा भी स्थापित है।
बताया जाता है कि ये प्रतिमायें भी खुदाई में ही मिली थी। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि संसार में भगवान गणेश का यह एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमें आने वाले हर भक्त की कुछ न कुछ मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण होती है।
यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिये गणेश जी के पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाता है, गणपति जी उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं और मनोकामना पूर्ण होने के पश्चात् वह भक्त पुनः यहां आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। गणेशोत्सव के दौरान यहां भजन संध्या, महाआरती, विभिन्न प्रकार के लड्डुओं का भोग तथा पुष्प शृंगार किया जाता है।
बड़ा गणेश मंदिर में आज भी जिंदा है हजारों वर्षों की परंपरा
2. बड़ा गणपति मंदिर –
इस बड़ा गणपति मंदिर को इंदौर की शान भी माना जाता है। यह मंदिर कितना पुराना है किसी को भी ठीक से ज्ञात नहीं है। लेकिन यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि इंदौर में इसे विशेष तौर पर पहचाना जाता है। मंदिर मंें स्थापित गणेश जी की वर्तमान प्रतिमा का निर्माण राजस्थान के कारीगरों के द्वारा सन 1899 में किया गया था।
बड़ा गणपति की यह प्रतिमा 25 फीट ऊंची और 14 चैड़ी है। लगभग तीन वर्ष में बन कर तैयार हुई इस प्रतिमा में अष्टधातु के सरिये, चुना, हल्दी, गुड, मैथीदाना और लाख पाउडर जैसी सामग्री का इस्तमाल किया गया है। इस प्रतिमा की स्थापना सन 1901 में की गई थी।
अपने विशाल आकार के कारण यह प्रतिमा बड़े गणपति के नाम से जानी जाती है और इसके आसपास का इलाका भी इसी नाम से पहचाना जाता है। वर्तमान में स्थापित प्रतिमा का निर्माण कार्य शुरू करने से पहले यहां भगवान गणेश की जो छोटी प्रतिमा स्थापित थी वह प्रतिमा आज भी बड़ी प्रतिमा के पास ही में स्थापित है।
3. खड़े गणेश जी का मंदिर –
खड़े गणेश जी के इस मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह प्रतिमा लगभग तीन सौ वर्ष पहले शालिगराम शास्त्री के पूर्वज को कान्ह नदी के श्रीहरी घाट के पास मिट्टी में दबी हुई मिली थी। और वहीं से लाकर इसे यहां स्थापित किया गया था।
श्री गणेश चालीसा || Shri Ganesh Chalisa
गणेश जी की यह प्रतिमा काले पत्थर पर उकेरी गई है। इस प्रतिमा में गणेश जी को खड़ी अवस्था में दिखाया गया है। मान्यता है कि इस प्रकार की प्रतिमा का निर्माण कार्य गुरु पुष्य नक्षत्र में ही किया जाता था। इसलिए इस प्रतिमा को भी गुरु पुष्य नक्षत्र में ही यहां स्थापित किया गया था।
4. छोटे गणेश जी का मंदिर –
इंदौर में स्थित इस छोटे गणेश जी का मंदिर मंें स्थापित गणेश जी की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि करीब 200 साल पहले होलकर और बिर्टिश शासकों के बीच मंदसौर में हुये एक युद्ध में तात्या टोपे ने संधि कराई थी। इससे खुश होकर होलकर शासकों ने तात्या टोपे को जो जमीन भेंट में दी थी उसी जमीन से गणेश जी की यह प्रतिमा मिली थी, तात्या टोपे ने उस प्रतिमा की स्थापना बावड़ी के पास ही में करवा दी थी। लेकिन, कुछ वर्षों के बाद तात्या टोपे ने यहां पर एक बड़ी प्रतिमा स्थापित करवा दी। और क्योंकि यह प्रतिमा उस प्रतिमा से बहुत छोटी थी, इसलिए यह छोटे गणेश के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
5. पोटली वाले गणेश जी का मंदिर –
इंदौर में स्थित इस पोटली वाले गणेश जी का मंदिर के बारे में कहा जाता है कि राजस्थान से आए कुछ गडरियों ने करीब 750 साल पहले इस स्थान पर सिद्धी विनायक गणेश जी की स्थापना की थी। दुनियाभर में गणेश जी की यह एकमात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसके हाथ में धन की पोटली दिखाई देती है।
इस मंदिर में स्थापित गणेश जी के हाथ में पोटली क्यों है इस विषय में जानकार मानते हैं कि भगवान गणेश समृद्धि के प्रतिक हैं इसलिए इनके हाथ में धन की पोटली को दर्शाया गया है। और यही कारण है कि इन्हें पोटली वाले सिद्धी विनायक गणेश जी कहा जाता है। यह मंदिर जूना इंदौर यानी पुराने इंदौर शहर में शनि मंदिर के पास ही में है।
– ज्योति सोलंकी, इंदौर