अजय चौहान || मारिया विर्थ (Maria Wirth) जर्मन मूल निवासी एक मनोविज्ञानी और लेखिका हैं। उन्होंने जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान की पढ़ाई खत्म कर कुछ समय आस्ट्रेलिया में बिताने के बाद भारत आकर अप्रैल 1980 में आयोजित हरिद्वार के अर्ध कुंभ मेले का दौरा किया, जहां उनकी मुलाकात दो प्रसिद्ध संतों श्री आनंदमयी मां और देवराह बाबा से हुई। उनके आशीर्वाद से मारिया भारत में ही रह गयी और फिर कभी आस्ट्रेलिया नहीं गईं। उन्होंने अपने अनगिनत लेखों और पुस्तकों के माध्यम से विशेषकर जर्मन पाठकों के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए, भारत की आध्यात्मिक परंपरा को उजागर करने का प्रयास किया है।
मारिया विर्थ (Maria Wirth) ने अपने हर लेख और हर पुस्तक के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि कैसे, न सिर्फ भारतीयों को बल्कि दुनिया के अन्य देशों और लोगों को भी, भारत की आध्यात्मिक परंपरा के विषय में जानने और उसका प्रचार करने से रोकने के लिए कुछ देश और उनकी विशेष संस्थाएं अपने षड्यंत्रों के माध्यम से ऐसे ठोस प्रयास कर रहे हैं कि प्राचीन भारतीय विरासत फिर से विश्वगुरू बन कर न उठ सके।
मारिया विर्थ (Maria Wirth) अब तक भारत के कई प्रदेशों और क्षेत्रों का दौरा कर चुकीं हैं और इस दौरान वे श्रीश्री रविशंकर, आनंदमयी माँ से लेकर अम्मा सहीत अन्य कई सिद्ध और प्रसिद्ध महान संतों से मुलाकात कर उनके विचार जान चुकी हैं। मारिया अपने लेखों के माध्यम से अपने कई करीबियों के साथ-साथ व्यक्तिगत विचारों और अनुभवों को भी https://mariawirthblog.wordpress.com/ पर साझा करती रहतीं हैं।
मारिया बताती हैं कि अध्यात्म से जुड़ी उनकी यह यात्रा कैसे उन्हें शहरों में रहने वाले कई प्रसिद्ध सेलिब्रिटी गुरुओं तक और ग्रामिण क्षेत्रों के रंग-बिरंगे तीज-त्योहारों से होते हुए हिमालय के कुछ विशेष और अज्ञात योगियों तथा तपस्वियों की उन एकांत गुफाओं तक भी ले जाती है जहां हर किसी के लिए पहुंचना आसान नहीं है।
मारिया विर्थ (Maria Wirth) ने अब अपने लेख और पुस्तकों को जर्मन भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा के माध्यम से भी न सिर्फ भारतीयों के लिए बल्कि दुनिया के उन तमाम देशों और पाठकों तक पहुचाने का प्रयास शुरू कर दिया है जो भारतीय परंपरा और सनातन के न सिर्फ समर्थक हैं बल्कि वे इसका पालन और अनुशरण करने का प्रयास कर रहे हैं और इसके बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं।
मारिया ने अपनी पुस्तक के माध्यम से बताने का प्रयास किया है कि भारत क्या है और उसका प्राचीन ज्ञान और ज्ञानियों का योगदान विश्व के लिए आज भी कितना महत्व रखता है।
मारिया विर्थ ने “Thank you India – a German woman’s journey to the wisdom of yoga” (थैंक यू इंडिया – ए जर्मन वुमन जर्नी टू द विजडम आफ योगा) शिर्षक से वर्ष 2018 में एक पुस्तक लिखी थी जिसे एक लिंक (https://www.garudabooks.com/thank-you-india-by-maria-wirth/) के माध्यम से खरीदा जा सकता है। वर्तमान में इस पुस्तक का मुल्य मात्र 274 रुपये है। यह पुस्तक Amazon.in और Flipkart पर भी उपलब्ध है।